भारत: मध्य प्रदेश में परिवार में एससीसी प्रार्थना
सिस्टर रीता जॉर्ज थायकूटम,पीएचजेसी
इंदौर, गुरुवार 04 जुलाई 2024 (ाटिकन न्यूज) : परिवारों में बाइबल साझा करने की परियोजना शुरू करने से पहले, मध्य प्रदेश में इंदौर धर्मप्रांत के धार पल्ली के ख्रीस्तीय परिवार, येसु मसीह की दीन दासियों (पीएचजेसी) के धर्मसमाज की धर्मबहनों के साथ पल्ली में इकट्ठा होते और प्रार्थना करते थे।
सिस्टर रीता जॉर्ज कहती हैं कि प्रार्थना आमतौर पर किसी व्यक्ति द्वारा बाइबल से एक अंश को जोर से पढ़ने के साथ समाप्त होती थी। हालाँकि, हमारे समुदाय को लगा कि यह पर्याप्त नहीं था और प्रार्थना सत्र में परमेश्वर के वचन निष्क्रिय था।
इसलिए, धर्मबहनों ने परिवारों को बाइबल पढ़ने के लिए आमंत्रित किया और इसे अपने घरों में छोटे-छोटे समूहों में एक साथ किया। इंदौर का धर्मप्रांत प्रत्येक पल्ली में परिवारों में विश्वास को बढ़ाने के लिए ईश्वर के वचन को साझा करने को प्रोत्साहित करता है, इस प्रकार पूरे पल्ली को भौगोलिक रूप से "एससीसी" “लघु ख्रीस्तीय समुदाय” समूहों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक समुदाय में कुछ परिवार होते हैं। वे हर दो सप्ताह में एक सदस्य परिवार के घर में इकट्ठा होते हैं और एक साथ प्रार्थना करते हैं।
ईश्वर के वचन को साझा करने के सात चरण
धर्मबहनों ने परिवारों में ईश्वर के वचन को साझा करने के सरल सात चरणों को शामिल किया। प्रार्थना की शुरुआत समूह के नेता द्वारा पवित्र आत्मा की उपस्थिति का आह्वान करने से होती है और फिर बाइबल के एक अंश की घोषणा करके उसे धीरे-धीरे पढ़ता है।
एकत्रित सदस्यों को प्रेरक शब्द और उनके विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। परमेश्वर के वचन पर चिंतन करने के बाद, प्रत्येक परिवार पिछली बार के बाइबल साझा करने के आधार पर अपने द्वारा किए गए और प्राप्त किए गए संकल्पों के बारे में बात करते हैं। अंतिम चरण में समूह द्वारा साझा किए गए बाइबल अंश के आधार पर एक नया संकल्प लिया जाता है।
इंदौर धर्मप्रांत के समाचार बुलेटिन में बीसीसी की समीक्षा भी नियमित रूप से प्रकाशित होती है।
बाइबल परिवारों को बदल रही है
जब परिवारों ने बाइबिल साझाकरण (बाइबिल शेयरिंग) प्रार्थना शुरू किया, तो हमारा समुदाय इसके परिणामों से आश्चर्यचकित था। हमने देखा कि परिवार में माता-पिता और बुजुर्ग बपतिस्मा की कृपा में बोए गए विश्वास के बीजों को पोषित करने के लिए जिम्मेदार बन जाते हैं। वे ईश्वर के वचन को जीते हैं और युवाओं को उसी मार्ग पर चलने के लिए आमंत्रित करते हैं। ईश्वर का वचन सिर्फ़ पढ़ा या प्रचारित नहीं किया जाता, बल्कि एक जीवंत अनुभव बन जाता है।
इंदौर में ख्रीस्तियों की आध्यात्मिक यात्रा एक समावेशी वास्तविकता बन गई है जो पिता और माता, भाई और बहन, दोस्त और पड़ोसी के साथ बंधन बनाती है। हमें लगता है कि यह अपरिहार्य है कि दोधारी तलवार जाति, रंग, पंथ और धर्म की बाधाओं को काटती रहे।
साथ ही, बाइबिल शेयरिंग का अनुभव परिवारों को कठिनाइयों से निपटने में मदद करता है, जिससे उनके लिए जीवन की किसी भी कठिन परिस्थिति में ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करना आसान हो जाता है।
इस तरह बाइबिल शेयरिंग प्रार्थना ईंधन के रूप में कार्य करता है जो हमारे परिवारों को आगे बढ़ाता है ताकि वे वही बनें जो ईश्वर उन्हें बनने के लिए कह रहा है, बाइबल की जीवनदायी वास्तविकता को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करने हेतु आत्मविश्वास मिलता है।
भारत में ख्रीस्तियों के लिए चुनौतियाँ
येसु मसीह की दीन दासियाँ (धर्मबहनें) परिवारों को ईश्वर के वचन के जीवित अनुभवों को साथ लेकर चलने के लिए आमंत्रित करती हैं ताकि वे क्षमा न करने वाली दुनिया, उदासीन पड़ोसी और बेपरवाह समाज को चुनौती दे सकें।
जो परिवार एक साथ प्रार्थना करते हैं, उन्हें अपने विश्वास के तम्बू को फैलाने और दूसरों के करीब आने की चुनौती दी जाती है, जो भारत जैसे बहु-धार्मिक देश में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
धर्मबहनों को लगता है कि देश एक तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा है, जहाँ आम समूहों में एक साथ प्रार्थना करना कभी-कभी "धर्मांतरण गतिविधि" के रूप में धमकी भरा व्यवहार माना जाता है।
विश्वास दैनिक जीवन को आसान बनाती है
हमारे समुदाय ने महसूस किया है कि परिवारों में बाइबल साझा करने से हमने जो सबसे मूल्यवान सबक सीखा है, वह यह एहसास था कि विश्वास सतह से परे है। यह इस बारे में नहीं है कि आप दूसरों के सामने कैसे दिखना चाहते हैं; यह तब भी विश्वास करने में है जब कोई नहीं देख रहा हो। यह भी है कि आप न केवल जीने का तरीका चुनते हैं, बल्कि अपने आस-पास के सभी लोगों तक प्रकाश फैलाना भी चुनते हैं।
इस कारण से, इंदौर के ख्रीस्तीय परिवार अपने विश्वास का सार साझा करते हैं और अन्य धर्मों के पड़ोसियों को ख्रीस्तीय त्यौहार मनाने के लिए आमंत्रित करते हैं। साथ ही धर्मबहनें अन्य धर्मों के त्यौहारों जैसे ईद और दिवाली में भी भाग लेती हैं।
कार्य, शिक्षा और सामाजिक गतिविधि के स्थानों पर ख्रीस्तीय परिवार अपने धार्मिक मूल्यों के लिए खड़े होते हैं।
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