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संत पापाः पवित्र आत्मा प्रेरितिक उत्साह के स्रोत हैं

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में पवित्र आत्मा को सुसमाचार का नायक घोषित करते हुए उन्हें सुसमाचार प्रचार में प्रेरितिक उत्साह का स्रोत कहा।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में उपस्थित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुआ कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात और स्वागत। 

संत पापा ने कहा कि आज भी मैं मान्यावर कम्पनेल्ली से सहायता की मांग करता है। मैं ठीक हूँ लेकिन अधिक बात करने से थकान होती है अतः धर्मशिक्षा को वे पढ़ सुनायेंगे।

अपने विगत धर्मशिक्षा में हमने सुसमाचार की घोषणा को एक खुशी की घोषणा कहा, जो सभों के लिए है और जो वर्तमान समय में होता है। अब हम इसके अंतिम खास विशेषता पर विचारमंथन करेंगे- जो हमें इसकी घोषणा को पवित्र आत्मा में होने की आवश्यकता के बारे में कहता है। वास्तव में, ईश्वर की घोषणा करना, खुशी में विश्वास का साक्ष्य और वैश्विक स्तर पर इसका प्रचार करना अपने में काफी नहीं है। पवित्र आत्मा के बिना हमारे सारे उत्साह व्यर्थ और झूठी प्रेरिताई हो जाती है। यह केवल हमारा कार्य हो जाता जो फलदायक नहीं होता है।

कलीसिया में कृपा की घोषणा 

एभेनजेली गौदियुम में संत पापा हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि “येसु सर्वप्रथम और सबसे बड़े सुसमाचार प्रचारक हैं।” अर्थात सुसमाचार के हर क्रियाकलाप में, हमारी प्रधानता ईश्वर होते हैं, जिन्होंने हमें अपने साथ सहयोग करने हेतु बुलाया है, और वे हमें पवित्र आत्मा की शक्ति से आगे ले चलते हैं।” यहाँ हम पवित्र आत्मा की प्रधानता को पाते हैं। यही कारण है कि ईश्वर स्वर्ग राज्य के आयाम को एक व्यक्ति से तुलना करते हैं जो अपने खेतों में बीज बोता है, जो रात और दिन सोता है, वहीं बीज उगता और कैसे बढ़ता है, उसे पता नहीं चलता है।” यहाँ हम पवित्र आत्मा को नयक स्वरूप पाते हैं, वे प्रेरिताई को आगे ले चलते और उसे फलहित करते हैं। यह ज्ञान हमें बृहृद सांत्वना से भर देता है। यह हमें एक दूसरे मनोभाव से वाकिफ करता है विशेषकर कलीसिया अपनी उत्साह में स्वयं को घोषित नहीं करती है बल्कि एक कृपा को, एक उपहार की घोषणा करती है जहाँ हम पवित्र आत्मा को उस ईश्वरीय उपहार स्वरुप पाते हैं, जैसे कि येसु उस समारी नारी से कहते हैं।

वहीं, पवित्र आत्मा की प्रधानता हमें आलस्य की ओर अग्रसर न करें। विश्वास हमें  कार्य करने से वंचित रहने को न्यायसंगत घोषित नहीं करता है। बीज की उर्वरता  किसान को यह अधिकार नहीं देती कि वह खेतों की चिंता न करे। येसु अपने स्वर्गारोहण के पहले हमें यह निर्देश देते हैं, “पवित्र आत्मा के आने पर तुम उसकी शक्ति से पोषित किये जाओगे, और मेरा साक्ष्य विश्व के कोने-कोने में दोगे।”

येसु ने हमारे लिए ईशशास्त्रीय कार्यशैली या एक प्रेरिताई पर्चा नहीं छोड़ा है बल्कि पवित्र आत्मा को दिया जो हममें प्रेरितिक कार्यो की प्रेरणा लाते हैं। वे सहासिक पहल हमारे अंदर उत्पन्न करते जो हमें उनकी शैली में कार्य करने को अग्रसर करता है, जिसमें हम सदैव दो विशेषताओ- सृजनात्मकता और सरलता को पाते हैं।

सृजनात्मकता

सृजनात्मकता में हम येसु को खुशी में, हर किसी के लिए घोषित करते हैं। हमारे समय में, धार्मिक जीवन का दृष्टिकोण अपने में सहायक नहीं होता है, यह बहुत से स्थानों में सुसमाचार की घोषणा को कठिन, मुश्किल भरा, फलविहीन बनाता है, जहाँ प्रेरिताई के प्रति हम एक तरह से अपने में ऊबाव के भाव उत्पन्न होता पाते हैं।

हम शायद अपने लिए कोई आरामदायक स्थान का चुनाव करते हैं, जैसे कि किसी के द्वारा केवल रूटीन भरा कार्य किया जाना, या कोई अपने को एक अंतरंग आध्यात्मिकता के आकर्षक तक सीमित रखता है, या यहाँ तक कि धर्मविधि की क्रेन्दीयता के संबंध में एक तरह से गलत धारणा रखना। ये हमारे लिए प्रलोभन बनते हैं जो पंरापरा के प्रति निष्ठावान के भेष में हमारे लिए आते हैं। लेकिन बहुधा पवित्र आत्मा को प्रत्युत्तर देने के बदले, वे प्रतिक्रिया बन सकते हैं जो हमारे व्यक्तिगत असंतोष के कारण होते हैं। जबकि हमें प्रेरितिक सृजनात्मकता पवित्र आत्मा में साहसी बनाता, प्रेरिताई की ज्वाला से प्रज्वलित करता जो हमारे लिए उनके प्रति निष्ठावान होने की निशानी बनती है। अतः संत पापा लिखते हैं, “येसु हमारी सुस्तीपन के रुपों को तोड़ सकते हैं जिसके द्वारा हम उन्हें अपने में बंद करते हैं, वे हमें निरंतर अपनी दिव्य सृजनात्मकता से आश्चर्यचकित करते हैं। जब कभी हम सच्चे ताजगी भरे सुसमाचार की ओर आते हैं, एक नयापन हममें जागृत होता है, सृजनात्मकता की नयी राहें खुलती हैं, जिसे हम विभिन्न रूपों में पाते हैं, जो शानदार निशानियों और शब्दों के रुप में वर्तमान दुनिया के लिए नये अर्थ को प्रकट करता है।

प्रथम घोषणा सुसमाचार का केन्द्र-बिन्दु

सरलता के बारे में जिक्र करते हुए संत पापा ने कहा पवित्र आत्मा हमें विशेष रुप से स्रोत प्रथम घोषणा की ओऱ ले चलते हैं। वास्तव में यह पवित्र आत्मा की आग है...जो हमें येसु ख्रीस्त में विश्वास करने को अग्रसर करती है जो अपने दुःखभोग और पुनरूत्थान द्वारा पिता की अनंत करूणा को हमारे लिए व्यक्त करते और उसे हमें प्रदान करते हैं। यह प्रथम घोषणा है, जिसे सुसमाचार प्रचार के क्रियाकलापों का केन्द्र-बिन्दु बनाने की जरूरत है जिसके फलस्वरूप कलीसिया में नवीनता के हर प्रयास होते हैं। हमें निरंतर यह घोषित करने की जरुरत है कि येसु ख्रीस्त हमें प्रेम करते हैं, उन्होंने हम बचाने के लिए अपना जीवन दिया और वे अब हर रोज हमारी बगल में रहते और हमें ज्योति, शक्ति से भरते हुए मुक्ति प्रदान करते हैं।

पवित्र आत्मा की अगुवाई 

भाइयो एवं बहनों, हम अपने को पवित्र आत्मा के द्वारा प्रेरित होने दें और रोज दिन उन्हें पुकारें, वे हमारे जीवन और हमारे कार्यों का आधार बनें। वे हमारे हर कार्य, मिलन, संगोष्टी और घोषणा के शुरूआत कर्ता बनें। वे कलीसिया को खमीर से भरते और युवा बनाते हैं उनमें हमें भय नहीं लगता क्योंकि वे एकता हैं, जो हममें सृजनात्मकता और सरलता को सदैव बनाये रखते हैं। वे हममें एकता को बनाये रखते और प्रेरिताई हेतु भेजते हैं, वे भिन्नताओं के लिए हमें खोलते और पुनः एकता की ओर ले आते हैं। वे हमारी शक्ति हैं, सुसमाचार घोषणा की सांसें, उत्साह का उद्गम, पवित्र आत्मा हमारे लिए आइए। 

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06 December 2023, 13:22

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