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इटली के संत पावलो संघ के सदस्य संग संत पापा इटली के संत पावलो संघ के सदस्य संग संत पापा   (Vatican Media)

संत पापाः खुशी सबसे बड़ी दवाई

संत पापा फ्रांसिस ने इटली के संत पावलो राष्ट्रीय संघ (एएनएसपीआई) की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर इसके सदस्यों से वाटिकन में भेंट की।

वाटिकन सिटी

संगठन की 60वीं सालगिरह के अवसर पर बुधवार को संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन में संगठन के प्रतिनिधियों से भेंट करते हुए उनकी उत्पत्ति और संस्थापक, मान्यवर बतिस्ता बेलोली के विचारों की याद की जो बाद में संत पापा पौल षष्ठम नियुक्त किये गये।

प्रेरित संत पौलुस के नाम सन् 1963 में स्थापित किया गया संगठन मान्यवर बेलोली के उद्देश्य की चर्चा करता है जो द्वितीय वाटिकन महासभा की शिक्षाओं को रेखांकित करता है, जिसमें लोकधर्मियों के योगदान पर जोर दिया गया है, यह उनकी समग्र शिक्षण और प्रशिक्षण को आकार देता है। 

समग्र शिक्षण

संत पापा फ्रांसिस ने संगठन से आग्रह किया कि हिंसा, उत्पीड़न और नफरत से बिखरी दुनिया में, वे शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में ढीलाई न बरतें। उन्होंने इस संदर्भ में परिवारों के समर्थन के महत्व पर प्रकाश डाला और भाईचारे की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, “आपके मनोरंजक, सांस्कृतिक और कलात्मक प्रस्ताव हमेशा बच्चों और युवाओं की समग्र शिक्षा के उद्देश्य से होते हैं। हमें भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक सभी आयामों में पूरे व्यक्ति की देखभाल करने की जरुरत है।”

संत जॉन बॉस्को का उदाहरण देते हुए संत पापा ने “अच्छा ख्रीस्तीय और ईमानदार नागरिक” बनाने की आवश्यकता की पेशकश की, उन्होंने इस बात को चिन्ह्त किया कि समाज का सकारात्मक या नकारात्मक भविष्य शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

सहयोग का नेटवर्क

अफ़्रीकी कहावत के बारे में संत पापा ने कहा,“एक बच्चे को शिक्षित करने के लिए पूरे गाँव की ज़रूरत होती है”। उन्होंने कहा कि हमें विभाजनों पर काबू पाने और भाईचारे वाली मानवता के लिए रिश्तों के ताने-बाने को फिर से सुनिश्चित करने की जरुरत है जो अच्छी मानवता के निर्माण हेतु हमारे लिए जरूरी है।

सहयोग की भावना के लिए, संत पापा ने परिवारों का समर्थन करने में संगठन के वक्तृत्व कला नेटवर्क और क्लबों की भूमिकाओं की प्रशंसा की। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों की भलाई में योगदान के लिए ग्रीष्मकालीन कार्यक्रमों और स्कूल की पहल जैसी गतिविधियों को सराहा।

“आपकी वास्तविकताएँ परिवारों के साथ, प्रातों, कलीसियाई समुदाय और समाज के साथ सेतु की भांति हैं। दरवाजे खुले रखें, लेकिन उससे भी अधिक अपनी बाहें औऱ हृदय, जो अपने में आसान नहीं है, लेकिन हम जानते हैं कि दूसरा हमेशा महत्वूपर्ण है जहाँ हम अच्छी चीजों को संजोकर रखते हैं।

खुशी हर मर्ज की दवा

संगठन को, साझा करने और आनंद का स्थल होने हेतु संत पापा ने अपने आभार व्यक्त किया। उन्होंने खुशी को सबसे बड़ी दवा कहा। संत फिलिप नेरी को उद्धृत करते हुए, उन्होंने टिप्पणी की, “हम खुश और आनंदित रहें,”। उन्होंने उपस्थित लोगों को याद दिलाया कि ख्रीस्तीय दुःखी नहीं हो सकते, क्योंकि सुसमाचार खुशी, आशा, प्रकाश और मुक्ति का संदेश देता है। 

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07 December 2023, 16:02