संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

देवदूत प्रार्थना में पोप : सच्ची महानता सबसे कमज़ोर लोगों की देखभाल करने में

रविवारीय देवदूत प्रार्थना में संत पापा फ्राँसिस ने प्रभु के शब्दों की व्याख्या की कि कैसे सच्ची शक्ति और महानता सबसे शक्तिशाली लोगों के प्रभुत्व में नहीं, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल में निहित है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार 22 सितम्बर 2024 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 22 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।

आज की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ (मार. 9:30-37) हमें येसु के बारे बताता है जो घोषणा करते हैं कि उनके जीवन की पराकाष्ठा में क्या होगा: “मानव पुत्र मनुष्यों के हवाले कर दिया जाएगा, वे उसे मार डालेंगे, और मार डाले जाने के बाद वे तीसरे दिन जी उठेंगे।” (पद 31)

हालाँकि, जब शिष्य प्रभु के पीछे चल रहे थे, तो उनके मन में और उनके होठों पर कुछ और ही बातें थीं। जब येसु ने उनसे पूछा कि वे किस बारे में बात कर रहे थे, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

संत पापा ने कहा, “आइये, हम इस मौन पर ध्यान दें: शिष्य इसलिए मौन हो गये क्योंकि वे इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि उनमें सबसे बड़ा कौन है।” (पद 34)

उन्होंने कहा, “प्रभु के वचन से कितना विपरीत! येसु उन्हें अपने जीवन का अर्थ बतला रहे थे, जबकि वे शक्ति की बात कर रहे थे। और इसलिए अब शर्म ने उनके मुंह बंद कर दिए थे, ठीक वैसे ही जैसे पहले घमंड ने उनके दिल बंद कर दिए थे।”

महानता सेवा में

और फिर भी येसु रास्ते में फुसफुसाए गए वार्तालापों का खुलकर जवाब देते हैं: "जो पहला होना चाहता है, वह सबसे पिछला और सबका सेवक बने।" (पद 35)

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, “क्या आप महान बनना चाहते हैं? अपने आप को छोटा बनाइये, अपने आप को सबकी सेवा में लगाइये।”

सच्ची शक्ति देखभाल में

येसु ने अपने सरल और निर्णायक वचन से हमारे जीवन जीने के तरीके को नया रूप दिया है। वे हमें सिखाते हैं कि सच्ची शक्ति सबसे शक्तिशाली के प्रभुत्व में नहीं, बल्कि सबसे कमजोर की देखभाल में निहित है।

यही कारण है कि येसु एक बच्चे को बुलाते हैं, उसे शिष्यों के बीच में रखते और गले लगाते, एवं कहते हैं: "जो कोई मेरे नाम पर इन बालकों में से किसी एक का भी स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है।" (पद. 37)। बच्चे के पास कोई शक्ति नहीं होती; उसकी ज़रूरतें होती हैं। जब हम व्यक्ति की देखभाल करते हैं, तो हम महसूस करते हैं कि व्यक्ति को हमेशा जीवन की जरूरत होती है।

हम सभी जीवित हैं क्योंकि हमारा स्वागत किया गया है, लेकिन शक्ति हमें इस सत्य को भूलने पर मजबूर कर देती है। तब हम नौकर नहीं, बल्कि शासक बन जाते हैं, और परिणामस्वरूप, छोटे, कमजोर, गरीब लोग सबसे पहले कष्ट उठाने के लिए मजबूर होते हैं।

प्रभु के वचनों को याद करना

संत पापा ने कहा, “कितने लोग सत्ता संघर्ष के लिए कष्ट सहते और मरते हैं! उनके जीवन को दुनिया नकार देती है, जैसा कि उसने येसु को नकार दिया था। जब उन्हें मनुष्यों के हवाले किया गया, तो उन्हें आलिंगन नहीं, बल्कि क्रूस मिला। हालाँकि, सुसमाचार जीवित है और आशा से भरा है: जिन्हें इनकार कर दिया गया था, वे जी उठे हैं, वे प्रभु है!

इसलिए, हम अपने आप से पूछें: क्या मैं सबसे छोटे लोगों में भी येसु का चेहरा पहचानना जानता हूँ? क्या मैं अपने पड़ोसी की उदारता से सेवा करता हूँ? और इसके विपरीत, क्या मैं उनका धन्यवाद करता हूँ जो मेरी देखभाल करते हैं?

तब माता मरियम से प्रार्थना करते हुए संत पापा ने कहा, “आइए, हम सब मिलकर माता मरियम से प्रार्थना करें कि हम भी उनकी तरह घमंड से मुक्त होकर सेवा में तत्पर रहें।”

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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22 September 2024, 13:40

दूत-संवाद की प्रार्थना एक ऐसी प्रार्थना है जिसको शरीरधारण के रहस्य की स्मृति में दिन में तीन बार की जाती है : सुबह 6.00 बजे, मध्याह्न एवं संध्या 6.00 बजे, और इस समय देवदूत प्रार्थना की घंटी बजायी जाती है। दूत-संवाद शब्द "प्रभु के दूत ने मरियम को संदेश दिया" से आता है जिसमें तीन छोटे पाठ होते हैं जो प्रभु येसु के शरीरधारण पर प्रकाश डालते हैं और साथ ही साथ तीन प्रणाम मरियम की विन्ती दुहरायी जाती है।

यह प्रार्थना संत पापा द्वारा रविवारों एवं महापर्वों के अवसरों पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में किया जाता है। देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा एक छोटा संदेश प्रस्तुत करते हैं जो उस दिन के पाठ पर आधारित होता है, जिसके बाद वे तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हैं। पास्का से लेकर पेंतेकोस्त तक देवदूत प्रार्थना के स्थान पर "स्वर्ग की रानी" प्रार्थना की जाती है जो येसु ख्रीस्त के पुनरूत्थान की यादगारी में की जाने वाली प्रार्थना है। इसके अंत में "पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो..." तीन बार की जाती है।

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