बुधवारीय आम दर्शन के दौरान संत पापा फ्राँसिस अपने जन्मदिवस के केक पर जलते मोम को बुझाते हुए बुधवारीय आम दर्शन के दौरान संत पापा फ्राँसिस अपने जन्मदिवस के केक पर जलते मोम को बुझाते हुए 

संत पापा: विश्वास लोगों की अफीम नहीं, बल्कि मुलाकात और सेवा है

अपने 88वें जन्मदिन के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने अपनी आत्मकथा “आशा” के कई अंश जारी किए हैं, जो जनवरी में बुकशेल्फ़ पर आ जाएगी, जिसमें ब्यूनस आयर्स में उनके बचपन और 2021 में इराक की उनकी यात्रा की रसद संबंधी कठिनाइयों का वर्णन है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बुधवार 18 दिसंबर 2024 : ब्यूनस आयर्स की झुग्गियों में अनुभव की गई “मानवता की एकाग्रता” और 2021 में इराक में अनुभव की गई “दिल पर तीर”  संत पापा फ्राँसिस की आत्मकथा “आशा” में केंद्रीय विषय हैं, जिसे कार्लो मुसो के साथ लिखा है।

मोंडाडोरी नामक एक इतालवी प्रकाशक द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक 14 जनवरी को 100 से अधिक देशों में जारी की जाएगी।

17 दिसंबर को – संत पापा के 88वें जन्मदिन पर - दो इतालवी समाचार पत्रों “ला रिपब्लिका” और “इल कोरियेरे देल्ला सेरा” ने कुछ अंश प्रकाशित किए।

फ्लोरेस बैरियो में बचपन

ब्यूनस आयर्स में फ्लोरेस बैरियो के "जटिल, बहुजातीय, बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक सूक्ष्म जगत" को याद करते हुए जहां संत पापा फ्राँसिस ने अपना बचपन बिताया, कहते हैं, "जब कोई मुझसे कहता है कि मैं एक विलेरो पोप हूँ, तो मैं इसके योग्य होने की प्रार्थना करता हूँ।"

काथलिक, यहूदी और मुस्लिम दोस्तों के साथ अपने संबंधों की ओर इशारा करते हुए वे कहते हैं, "मतभेद सामान्य थे और हम एक-दूसरे का सम्मान करते थे।"

"समकालीन मगदलेना"

संत पापा फ्राँसिस ब्यूनस आयर्स की सड़कों पर वेश्याओं को देखने के अपने बचपन के अनुभवों के बारे में बताते हैं, इसे "अस्तित्व के सबसे अंधेरे और सबसे कठिन पक्ष" की छवि कहते हैं। एक धर्माध्यक्ष के रूप में, उन्होंने इनमें से कुछ महिलाओं के लिए पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान किया, जिन्होंने अपने जीवन में सुधार किया था। उन्हें पोरोटा नाम की एक महिला याद है, जिसने उनसे कहा था, "मैंने हर जगह वेश्या के रूप में काम किया है - यहाँ तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका में भी। मैंने पैसे कमाए, फिर एक बूढ़े आदमी से प्यार हो गया जो मेरा प्रेमी था। जब वह मर गया, तो मैंने अपना जीवन बदल दिया। अब मेरे पास पेंशन है, और मैं नर्सिंग होम में उन बुज़ुर्गों को नहलाने जाती हूँ, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। मैं ज़्यादा पवित्र मिस्सा में भाग नहीं जाती। मैंने अपने शरीर के साथ सब कुछ किया, लेकिन अब मैं उन शरीरों की देखभाल करना चाहती हूँ, जिनमें किसी और की दिलचस्पी नहीं है।"

संत पापा फ्राँसिस उन्हें "समकालीन मगदलेना" कहते हैं। पोरोटा ने मरने से ठीक पहले, बीमारों का अभिषेक और संस्कार प्राप्त करने के लिए, अस्पताल से उन्हें आखिरी बार बुलाया था।

वे लिखते हैं, "वह अच्छी तरह से मर गई - 'कर संग्रहकर्ताओं और वेश्याओं' की तरह जो 'ईश्वर के राज्य में हमसे पहले थे' (मत्ती 21:31)। मैं उससे बहुत प्यार करता था। अब भी, मैं उसकी मृत्यु के दिन उसके लिए प्रार्थना करना कभी नहीं भूलता,"

"फादर पेपे" के साथ दोस्ती

संत पापा उन कैदियों को याद करते हैं जो कपड़ों के ब्रश बनाते थे, और फादर जोस डे पाओला के साथ अपनी दोस्ती को याद करते हैं, जिन्हें "फादर पेपे" के नाम से जाना जाता है, जो विला 21 में विरजेन डे कैक्यूपे के पुरोहित थे। संत पापा, जो उस समय जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो थे, ने बुलाहटीय संकट से उबरने में फादर पेपे की मदद की थी।

उन सीमांत क्षेत्रों के बारे में बोलते हुए जहाँ "चालीस वर्षों तक अनुपस्थित थे" और नशीली दवाओं की लत "एक ऐसा अभिशाप है जो निराशा को बढ़ाता है", संत पापा ने पुष्टि की कि "इन परिधियों में, जिसे कलीसिया को तेजी से अपना केंद्र बनाना चाहिए, फादर पेपे जैसे  पुरोहितों और आम लोगों का एक समूह रहता है और हर दिन सुसमाचार का गवाह बनता है, जो एक जानलेवा अर्थव्यवस्था द्वारा त्याग दिए गए लोगों के बीच है।"

धर्म लोगों की अफीम नहीं है; विश्वास एक मुलाकात है

संत पापा इस बात पर जोर देते हैं कि इन कठोर वास्तविकताओं से यह सच्चाई उभर कर सामने आती है कि धर्म, जैसा कि कुछ लोग दावा करते हैं, “लोगों की अफीम नहीं है, व्यक्तियों को अलग-थलग करने वाली एक सुकून देने वाली कहानी नहीं है।”

इसके विपरीत, वे कहते हैं, “धर्म आस्था और प्रेरितिक एवं नागरिक प्रतिबद्धता के बदौलत है” और विलेरो लोग “भारी कठिनाइयों के बावजूद अकल्पनीय तरीकों से आगे बढ़े हैं।” आस्था की तरह ही, “हर सेवा एक मुलाकात है और हम विशेष रूप से गरीबों से बहुत कुछ सीख सकते हैं।”

इराक की यात्रा और मोसुल के "दिल पर तीर"

शहर के बाहरी इलाकों के नाटक से लेकर इराक की तबाही तक, संत पापा फ्राँसिस की नज़र एक घायल मानवता पर टिकी हुई है।

5-8 मार्च, 2021 को इराक की अपनी ऐतिहासिक प्रेरितिक यात्रा पर विचार करते हुए, संत पापा फ्राँसिस मोसुल द्वारा दर्शाए गए "दिल पर तीर" का वर्णन करते हैं।

वे कहते हैं, "दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक, इतिहास और परंपराओं से भरा हुआ, जिसने विभिन्न सभ्यताओं को आते-जाते देखा है और एक देश में विविध संस्कृतियों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रतीक था - अरब, कुर्द, अर्मेनियाई, तुर्क, ईसाई, सीरियाई - इस्लामिक स्टेट द्वारा तीन साल के कब्जे के बाद मेरी आँखों में मलबे का एक मैदान दिखाई दिया, जिसने इसे अपना गढ़ चुना था।"

एक हेलीकॉप्टर से देखने पर, यह क्षेत्र "घृणा के एक्स-रे जैसा दिखता था, जो हमारे समय की सबसे प्रभावी भावनाओं में से एक है।"

युद्ध के ज़हरीले फल

संत पापा ने यात्रा के कठिन संदर्भ को याद किया, जो कोविड-19 महामारी और सुरक्षा चिंताओं के कारण और भी जटिल हो गया था। उन्होंने अब्राहम की भूमि, "यहूदियों, ख्रीस्तियों और मुसलमानों के साझा पूर्वज" का जिक्र करते हुए लिखा, "मुझे लगभग सभी ने वहां जाने की सलाह नहीं दी थी... लेकिन मुझे लगा कि मुझे वहां जाना ही होगा।"

उन्होंने मोसुल की अपनी यात्रा के दौरान योजनाबद्ध दो हत्या के प्रयासों के बारे में ब्रिटिश खुफिया विभाग की चेतावनी का उल्लेख किया: एक विस्फोटकों से लदी एक महिला द्वारा, दूसरा एक ट्रक से जुड़ा हुआ। दोनों हमलावरों को इराकी पुलिस ने पकड़ लिया और मार गिराया। संत पापा फ्राँसिस ने जोर देकर कहा, "इसने मुझे बहुत प्रभावित किया।" "यह युद्ध का जहरीला फल भी था।"

संघर्ष पर तर्क को प्राथमिकता देने की अपील

हालाँकि, इस सारी नफरत के बीच, संत पापा को 6 मार्च को नजफ़ में ग्रैंड अयातुल्ला अली अल-सिस्तानी के साथ अपनी मुलाकात में उम्मीद की किरण दिखी, एक ऐसी मुलाकात जिसे "परमधर्मपीठ ने दशकों से तैयार किया था।"

संत पापा बताते हैं, अल-सिस्तानी के घर में भाईचारे की भावना से आयोजित यह "पूर्व में एक ऐसा इशारा था, जो घोषणाओं या दस्तावेजों से भी ज़्यादा स्पष्ट था, क्योंकि यह दोस्ती और एक ही परिवार से संबंधित होने का प्रतीक था। इसने मेरी आत्मा को अच्छा और मुझे सम्मानित महसूस कराया।"

वे अयातुल्ला की महान शक्तियों से संयुक्त अपील को याद करते हैं, "युद्ध की भाषा को त्यागें, तर्क और ज्ञान को प्राथमिकता दें।" संत पापा ने उनकी बैठक के एक वाक्यांश के लिए प्रशंसा व्यक्त की: "मनुष्य या तो धर्म में भाई हैं या सृष्टि में समान हैं।"

"आशा" के अतिरिक्त, संत पापा फ्राँसिस के जीवन को “लाइफ: माई स्टोरी इन हिस्ट्री” पर आधारित एक फिल्म में भी दिखाया जाएगा, जो फाबियो मार्चेस रागोना के साथ लिखी गई एक आत्मकथा है और मार्च में हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित की गई है।

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

18 December 2024, 16:03