महाधर्माध्यक्ष पालिया (दाहिने) इतालवी विदेश मंत्री अंतोनियो तजानी (बाएं) के साथ रिमिनी में आयोजित "शांति के मार्ग" गोलमेज सम्मेलन में बोलते हुए महाधर्माध्यक्ष पालिया (दाहिने) इतालवी विदेश मंत्री अंतोनियो तजानी (बाएं) के साथ रिमिनी में आयोजित "शांति के मार्ग" गोलमेज सम्मेलन में बोलते हुए  (ANSA)

महाधर्माध्यक्ष पालिया: 'शांति स्थापित करने के लिए आध्यात्मिक परिवर्तन की आवश्यकता है'

रिमिनी मीटिंग में शांति पर एक गोलमेज सम्मेलन के दौरान वाटिकन मीडिया से बात करते हुए, जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी के अध्यक्ष ने शांति निर्माता के रूप में ख्रीस्तियों की भूमिका पर विचार किया और युद्धग्रस्त दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए आध्यात्मिक परिवर्तन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

मासिमिलियानो मेनिकेत्ती और एंड्रिया डी एंजेलिस -

रिमिनी, शनिवार 24 अगस्त 2024 : युद्ध से त्रस्त दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए आध्यात्मिक रूपांतरण और भाईचारे के सुसमाचार को फिर से खोजने की आवश्यकता, रिमिनी मीटिंग के दौरान महाधर्माध्यक्ष विन्सेन्सो पालिया के साथ वाटिकन रेडियो-वाटिकन न्यूज़ द्वारा किए गए साक्षात्कार के मुख्य विषय हैं। जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी (पीएएल) के अध्यक्ष ने गुरुवार को इतालवी मंत्रिपरिषद के उपाध्यक्ष और विदेश मंत्री अंतोनियो तजानी के साथ "शांति के मार्ग" नामक एक गोलमेज पर बात की।

कई लोगों के लिए, शांति शब्द एक अमूर्त शब्द की तरह लगता है, फिर भी आपने कई बार कहा है कि हमें इसे बनाने का प्रयास कभी नहीं छोड़ना चाहिए, तथा संत पापा के दो विश्वपत्रों ‘लौदातो सी’ और ‘फ्रातेल्ली तुत्ती’ की ओर इशारा किया है...

महाधर्माध्यक्ष पालिया: हां, क्योंकि आज दुनिया में वास्तव में, जो कमी है, वह है विशन (दृष्टि) की। इटली और यूरोप में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में देश और यहां तक ​​कि व्यक्ति भी अपने आप में खोए हुए हैं, क्योंकि एक ऐसी दुनिया में जो वैश्वीकृत हो गई है और अर्थव्यवस्था का प्रभुत्व है, हर कोई अपने निजी हितों या एजेंडों को आगे बढ़ाने और उनका बचाव करने पर केंद्रित है।

इसके बजाय, संत पापा फ्राँसिस हमें एक दृष्टि प्रदान करते हैं: कि हम एक आम घर, ग्रह (लौदातो सी’) में रहते हैं, और हम लोगों का एक परिवार हैं, जो सार्वभौमिक भाईचारा है। यह विश्वास करना कि इन सभी बच्चों का एक ही पिता है, शांति के लिए महत्वपूर्ण है।

हम संत पापा फ्राँसिस द्वारा "टुकड़ों में" तृतीय विश्व युद्ध कहे जाने के विचार से कांप उठते हैं, लेकिन वास्तव में हम पहले से ही दुनिया को तोड़ रहे हैं, हम पहले से ही इसे कुचल रहे हैं और अकल्पनीय त्रासदियों का कारण बन रहे हैं: 59 युद्ध चल रहे हैं, हालांकि हम हर दिन उनमें से केवल दो के बारे में बात करते हैं, एक यूक्रेन में और दूसरा मध्य पूर्व में। मेरे विचार में महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि आध्यात्मिक परिवर्तन की आवश्यकता है, यह समझने के लिए कि हम सभी ज़िम्मेदार हैं। यह वह देवदूत भविष्यवाणी है जिसे संत पापा फ्राँसिस ने बहुत ऊंचा माना है, लेकिन कई लोग इसे छिपाते हैं।


संत पापा फ्राँसिस उदासीनता के वैश्वीकरण की बात करते हैं, जिसमें संघर्ष और युद्ध को बढ़ावा देना भी शामिल है। आपने मानवतावाद के वैश्वीकरण की अवधारणा को दोहराया, यानी एक ऐसी वास्तविकता जिसका केंद्र बिंदु मनुष्य है। यह वास्तव में कैसे किया जाता है?

महाधर्माध्यक्ष पालिया: बहुत से लोग युद्ध छेड़ते हैं लेकिन हम सब शांति स्थापित कर सकते हैं, इसलिए कोई यह नहीं कह सकता कि मुझे यूक्रेन में युद्ध की परवाह नहीं है या मैं इसके बारे में कुछ नहीं कर सकता। आप जो हो रहा है उससे दुखी हो सकते हैं या नाराज़ हो सकते हैं, लेकिन आप प्रार्थना भी कर सकते हैं, उन लोगों के साथ सहयोग कर सकते हैं जो शांति या एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऐसी कई चीज़ें हैं जो हम कर सकते हैं। दुर्भाग्य से, आज जो प्रचलित है, उसे मेरे एक प्रिय मित्र, जसेप्पे डी रीटा ने नया धर्म कहा है, यानी "अहंकार पूजा", स्वयं की पूजा, जिसकी वेदी पर सब कुछ, यहाँ तक कि सबसे प्रिय मानवीय स्नेह भी बलिदान कर दिया जाता है। हमें इस विनाशकारी व्यक्तिवाद से भाईचारे वाले "हम" की ओर बढ़ना चाहिए। यह वह महान क्रांति है जिसके बारे में संत पापा फ्राँसिस बात कर रहे हैं और मैं उम्मीद करता हूँ कि सभी कलीसिया, न कि केवल काथलिक कलीसिया, इस पर एकजुट होंगे।

संत पापा पॉल षष्टम के साथ ऐतिहासिक आलिंगन के लिए याद किए जाने वाले प्राधिधर्माध्यक्ष एथनागोरस ने एक सुंदर वाक्य कहा है: "बहन कलीसिया, भाई लोग", अगर कलीसिया विभाजित हो गई, तो लोग कैसे होंगे? यह बड़ा सवाल है।

इसमें एक विरोधाभास भी है: इतना अधिक व्यक्तिवाद लेकिन बुराई के सामने शक्तिहीन। हम प्रेरणा कहाँ से प्राप्त कर सकते हैं ताकि हम असहाय महसूस न करें?

महाधर्माध्यक्ष पालिया: सुसमाचार से, जो हमें स्पष्ट रूप से बताता है कि सब कुछ संभव है। हमें ईश्वर के वचन को ऐतिहासिक और अमूर्त ऊर्जा के स्रोत के रूप में फिर से खोजना चाहिए। हम ख्रीस्तियों पर वास्तविकता को बदलने की जिम्मेदारी है: यही येसु ने किया, उन्होंने शिष्यों को ऐसा करने की शक्ति दी और हमें इसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। बड़ी सादगी के साथ, आइए हम हर दिन फिर से सुसमाचार पढ़ना शुरू करें, वास्तव में इसका स्वागत करें और वह आंतरिक तनाव परिवर्तन की ऐतिहासिक वास्तविकता बन जाएगा।

रिमिनी में कई अलग-अलग वास्तविकताएँ हैं, जिनमें गैर-कैथोलिक भी शामिल हैं जो ज्ञान के पुल बनाने और मिलने के लिए आते हैं: क्या यही कुंजी है?

महाधर्माध्यक्ष पालिया: बिल्कुल! संत पापा पॉल षष्टम को यह अंतर्ज्ञान तब हुआ था जब उन्होंने अपना पहला विश्वपत्र 'एक्लेसियम सुअम' (उसकी कलीसिया) लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि एक ख्रीस्तीय अपने स्वभाव से सार्वभौमिक है, कलीसिया में, ख्रीस्तियों के साथ अपने रिश्ते में, अन्य धर्मों के साथ और यहाँ तक कि उन लोगों के साथ भी जो विश्वास नहीं करते हैं। यही कारण है कि संत पापा फ्राँसिस इस बात पर जोर देते हैं कि हमारी पहचान की रक्षा के लिए खुलेपन की आवश्यकता है, हमारी पहचान सार्वभौमिक भाई होना है: असीसी के संत फ्रांसिस, संत चार्ल्स डी फौकॉल्ड इसके कुछ उदाहरण हैं। मैं चाहता हूँ कि सभी ख्रीस्तीय इस तनाव का अनुभव करें जो ईश्वर का है।

शांति स्थापित करने के लिए क्या आवश्यक है?

महाधर्माध्यक्ष पालिया: प्यार करना और एक दूसरे से प्यार करना

अपने परिवार में, अपने घर में शांति का निर्माण करना कितना महत्वपूर्ण है: शांति के कारीगर बनने के लिए हमें घर पर ही ऐसा होना चाहिए...

महाधर्माध्यक्ष पालिया: बिल्कुल, क्योंकि युद्ध घर से शुरू होते हैं, फिर वे नाटकीय हो जाते हैं। इस अर्थ में, शांति का अर्थ है प्यार करना और प्यार पाना: आइए, एक-दूसरे का ख्याल रखें और हम युद्धों को भी हरा देंगे।

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24 August 2024, 15:21