सरकार के साथ मिलकर महामारी के संकट का सामना करती कलीसिया
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
राँची, सोमवार, 11 मई 2020 (वीएन हिन्दी)- कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न संकट ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। भारत में वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है जो चिंता का विषय है। संक्रमण रोकने के लिए 45 दिनों से भी अधिक देशव्यापी लॉकडाउन किया गया है। बहुत लोग लॉकडाउन की स्थिति से भी परेशान हैं क्योंकि बहुत सारे लोग बेरोजगार हो गये हैं। कई लोगों को भूख का सामना करना पड़ रहा है। प्रवासी मजदूरों को अपने घर लौटने के लिए हजारों मील पैदल चलना पड़ रहा है। एक ओर बीमारी का डर है वहीँ दूसरी ओर परिवारों में अपने प्रियजनों के इधर उधर फंसे होने के कारण चिंता और घबराहट है।
सरकार का प्रयास
ऐसी स्थिति में सरकारों के सामने बहुत बड़ी चुनौती है। झारखंड सरकार अपने लोगों की मदद हर संभव करने का प्रयास कर रही है। राज्य के हर पंचायत में भूखे लोगों को भोजन खिलाने की कोशिश की जा रही है। प्रवासी मजदूरों के रूप में दूसरे राज्यों में काम करने गये अपने नागरिकों को भी घर वापस लाने की कोशिश बड़े धीरज से हो रही है किन्तु कई कठिनाईयों के कारण कुछ लोग इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
प्रवासियों की समस्याएँ
महाराष्ट्र से एक सप्ताह यात्रा करने के बाद अपने घर टैंसेर लौटे, बसील तिरकी ने बतलाया कि उनके साथ कई लोग एक मकान के निर्माण का काम कर रहे थे। लॉकडाउन होने पर वे घर लौटना चाहते थे अतः जब विशेष ट्रेन चलने लगी तब रेल यात्रा हेतु रजिस्ट्रेशन का आग्रह करते हुए ठिकेदार के पास अपना कागजात जमा किया था किन्तु ठिकेदार ने यह सोचकर उनका रजिस्ट्रेशन नहीं कराया कि अगर ये लोग चले जायेंगे जो काम ठप हो जायेगा। इस बात को जानने के बाद वे पैदल ही घर के लिए निकल पड़े। उन्हें घर पहुँचने में एक सप्ताह का समय लगा। वे सुरक्षित अपना घर तो पहुँच गये हैं किन्तु वहाँ के लोग डरे हुए हैं। बसील अकेले नहीं हैं जिन्हें अपने अधिकारियों के कारण पैदल चलना पड़ा है बल्कि हजारों लोग इसी तरह की समस्या झेल रहे हैं।
मानवता, एकजुटता एवं सेवा की भावना
इन डर, भय, संदेह, परेशानी और चिंता के बीच बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो अपनी सुरक्षा का कम ख्याल करते हुए सरकार एवं लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। झारखंड की काथलिक कलीसिया इसकी एक बड़ी मिशाल है। झारखंड में जैसे ही लॉकडाउन हुआ कलीसिया के अगुवों ने सरकारी अधिकारियों से सम्पर्क कर लोगों की मदद करने में अपनी तत्परता दिखलायी। कई जरूरतमंद लोगों के बीच राशन एवं सुरक्षा सामग्रियाँ बांटी। सामुदायिक किचन के द्वारा भी भूखे लोगों को भोजन दिया। राँची की कलीसिया ने मिलकर 14 शेल्टर होम बनाया, जिससे कि प्रवासियों को आश्रय दिया जा सके। सरकार के साथ मिलकर काम करते हुए भी इन्होंने सारा खर्च अपने ऊपर लिया है।
कलीसिया की उदारता
मूरी में उर्सुलाईन धर्मबहनों एवं तमाड़ में राँची जेस्विट पुरोहितों द्वारा संचालित शेल्टर होम में लॉकडाउन शुरू होते ही प्रवासी पहुँचने लगे थे जिनकी देखभाल एक माह तक करने के बाद, सरकार द्वारा उन्हें उनके जिलों में पहुँचा दिया गया है। पिछल सप्ताह से संत अन्ना की धर्मबहनों द्वारा कांके एवं मांडर में खोले गये शेल्टर होम में प्रवासी लगातार आ रहे हैं। धर्मबहनें उन्हें भोजन और आश्रय देने के साथ साथ, उनके कष्टों को भी समझने और दूर करने का प्रयास कर रही हैं।
कांके शेल्टर होम
कांके शेल्टर होम में सेवारत सिस्टर शिवानी एक्का ने बतलाया कि वहाँ 133 प्रवासी पहुँचे हैं जिनमें 121 पुरूष, 8 महिलाएं एवं 4 बच्चे हैं। वे हैदराबाद, हरियाणा, पुरूलिया और पश्चिम बंगाल से आ रहे हैं तथा उन्हें झारखंड के विभिन्न जिलों- साहेबगंज, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, रामगढ़, सिमडेगा, गोड्डा, पलामू, लातेहार, हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, चतरा, कोडरमा, देवघर, गढ़वा, जमशेदपुर, सराईकेला, जमताड़ा, खूँटी और राँची (डोरांडा) जाना है।
सिस्टर शिवानी ने बतलाया कि राँची के सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर मस्करेनहास, संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसंघ राँची की मदर जेनेरल सिस्टर लिंडा मेरी वॉन, वीडीओ, सीईओ, कांके के पुलिस एवं अन्य सरकारी अधिकारी, जिन्हें लोगों के सुरक्षित घर वापसी की चिंता है, शेल्टर होम का बार-बार दौरा कर रहे हैं और स्वयंसेवकों को प्रोत्साहन तथा प्रवासियों को सलाह दे रहे हैं कि वे सरकार के साथ सहयोग करें।
धर्माध्यक्ष थेओदोर मस्करेनहास ने रविवार को प्रवासियों को सम्बोधित कर कहा कि वे धीरज धरें। उन्होंने बतलाया कि वे सरकार के सम्पर्क में हैं और जितना जल्दी हो सके, उन्हें सुरक्षित घर पहुँचा दिया जाएगा, जिसके लिए जिला अधिकारियों से सम्पर्क हो रहा है।
इस बीच सिस्टर ज्योति निर्मला कच्छप ने जानकारी दी कि कांके शेल्टर होम से 25 लोगों को सोमवार को बस द्वारा बोकारो, गिरिडीह, धनबाद और हिनू भेज दिया गया।
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