राँची कलीसिया द्वारा भूखे यात्रा कर रहे प्रवासियों की सहायता
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
राँची, शुक्रवार, 22 मई 2020 (वीआर हिन्दी) - "राँची महाधर्मप्रांत ने अपने युवाओं और संत अन्ना की पुत्रियों के सहयोग से, ट्रक में भूखे-प्यासे यात्रा कर रहे लोगों को खाना पैकेट उपलब्ध कराया। चेहरों पर खुशी के साथ, हाथ हिलाते हुए जब उन्होंने विदा ली तब हमारी आँखों में आँसू आ गये।" यह बात राँची के सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर मस्करेनहास ने 21 मई को वाटिकन रेडियो से कही।
झारखंड से लाखों मजदूर देश के विभिन्न राज्यों में काम करने गये हुए हैं। कोविड-19 से संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी जो 31 मई तक जारी रहेगी। इस तालाबंदी के कारण मजदूर बेरोजगार हो गये हैं। उनके पास न खाने के लिए कुछ है और न ही काम में वापस लौटने की उम्मीद, अतः वे अपने घरों की ओर वापस लौट रहे हैं। सरकार उन्हें यातायात की सुविधा देने का प्रयास कर रही है किन्तु मजदूरों की संख्या लाखों में है और इतने दिनों के बाद उनका धीरज खत्म हो चुका है, इसलिए बहुत सारे लोग पैदल अथवा ट्रकों और बसों में यात्रा करते हुए चिलचिलाती धूप में भूखे प्यासे लौट रहे हैं।
लोगों की स्थिति को समझते हुए झारखंड सरकार की पूरी कोशिश रही है कि सभी लोग सकुशल घर लौट सकें। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेंन ने ऐलान किया है कि "यदि आप पैदल चलते या साईकिल पर घर जाने की कोशिश कर रहे हैं या किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं तो कृपया सम्पर्क करें। राँची जिला प्रशासन आपको घर तक पहुँचाने में मदद करेगी।"
राँची कलीसिया की मदद
राँची की कलीसिया लॉकडाउन के शुरू से ही गरीबों, मजदूरों और लाचार लोगों की मदद विभिन्न तरह से करने की कोशिश कर रही है। जिला में हजारों लोगों को राशन और स्वास्थ्य किट बाटे गये हैं, भूखे लोगों को भोजन दिया गया है, जरूरतमंद लोगों को आश्रय देने के लिए 14 शेल्टर होम खोले गये हैं और बाहर से आने वाले मजदूरों को अपने घर तक सुरक्षित पहुँचाने में भी वह सरकार की मदद कर रही है।
राँची के धर्माध्यक्षों की अगुवाई में ट्रकों और बसों में भूखे-प्यासे घर लौटने वाले मजदूर भाई बहनों को राँची के रिंग रोड में खाना और पानी उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। तमिलनाडु, पुणे और कर्नाटक से अपने घर लौट रहे प्रवासियों को भोजन, पानी, जूस, बिस्कुट देकर उन्हें मदद करने की कोशिश की जा रही है।
यात्रियों की मदद
राँची के सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर ने 21 मई को जानकारी देते हुए कहा, "आज हमने हमारे प्रवासी भाई-बहनों के लिए भोजन वितरण करना शुरू किया है जो लाखों में, भूखे प्यासे जिस किसी साधन से घर लौट रहे हैं। उन्हें भोजन का पैकेट दिया जा रहा है।"
झारखंड में आदिवासियों की संख्या 26.3 प्रतिशत है। यह एक बड़ी किन्तु गरीब आबादी है, जो कृषि कार्य से अपनी जीविका चलाती है किन्तु इस कार्य के लिए केवल वर्षा पानी पर निर्भर करती है। जंगल से प्राप्त होनेवाले संसाधन जलवायु परिवर्तन के कारण नहीं मिल रहे हैं। इसका गहरा प्रभाव जीविका पर रहा है। लोग बेरोजगार हैं। इन सभी कारणों से लाखों लोग राज्य से बाहर काम की तलाश में जाते हैं।
प्रवासियों का भविष्य
विभिन्न राज्यों से प्रवासी किसी तरह अपने घर पहुँच रहे हैं किन्तु अब भी उनका भविष्य अंधकारमय है। घर वापस लौटने के बाद उन्हें परिवार चलाने के लिए उपाय सोचना पड़ेगा, अतः सरकार की जिम्मेदारी अब भी बनी हुई है कि वह उन्हें रोजगार दिलाने का उपाय करे ताकि लोग अपने ही राज्य में अपनी जीविका अर्जित कर सकें और उन्हें घर से दूर भटकना न पड़े।
झारखंड में कोरोना वायरस से कुल 323 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है जिसमें से 136 लोग स्वस्थ हो चुके हैं जबकि 3 लोगों की मौत हुई है।
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