संत योहन बपतिस्ता के शहादत स्थल की खोज
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
यर्दन, शनिवार, 5 फरवरी 2022 (रेई) ˸ हेरोद (अंतिपस) ने योहन को गिरफ्तार कर लिया था और अपने भाई की पत्नी हेरोदियस के लिए उन्हें कैद कर बंदीगृह में डाल दिया था; क्योंकि योहन ने उनसे कहा था कि "उसे अपने पास रखना उचित नहीं है।" और यद्यपि वह उन्हें मार डालना चाहता था तथापि जनता से डरता था क्योंकि वह उन्हें नबी मानती थी। किन्तु जब हेरोद का जन्म दिन आया, हेरोदियस की बेटी ने अतिथियों के सामने नृत्य किया। नृत्य से खुश होकर हेरोद ने प्रतिज्ञा की कि वह उसकी किसी भी मांग को पूरी कर सकता है। अपनी माँ की सलाह से लड़की ने कहा, "मुझे थाली में योहन बपतिस्ता का सिर दीजिए।" राजा यह सुनकर उदास हो गया परन्तु अपनी प्रतिज्ञा के कारण एवं अतिथियों के सामने इसे टाल नहीं सका। इस तरह बंदीगृह में योहन बपतिस्ता का कत्ल कर दिया गया और उनके सिर को थाली में लाकर लड़की को दिया गया और लड़की ने उसे अपनी माँ को दिया।
संत पापा बेनेडिक्ट 16वें की इच्छा का प्रत्युत्तर
हेरोद अंतिपस का बदनाम जन्मदिवस उत्सव, जिसके अंत में संत योहन बपतिस्ता की हत्या हुई, मृत सागर के पूर्व में मकेरस शाही शहर के राजभवन में मनाया गया, जो अब जॉर्डन के अंतर्गत आता है।
71/72 ईस्वी में प्रथम यहूदी विद्रोह के अंत में रोमनों द्वारा नष्ट किए जाने के बाद एक हजार से अधिक वर्षों के लिए खोये हुए हेरोद के राजमहल के इस स्थल की पहचान निश्चित रूप से 1968 में की गई थी, जब जर्मन विशेषज्ञ ने रोमन सेनाओं द्वारा खड़ी की गई घेराबंदी की दीवार के अवशेषों की खोज की थी।
जॉर्डन के प्राचीन समय के शाही विभाग में एक अनुबंध के तहत, एक दशक से भी अधिक समय से हंगरी के वास्तुकार और पुरातत्वविद् डॉ. गोज़ो वोरोस, मकेरस में उत्खनन और संरक्षण हेतु प्रयासरत रहे। वाटिकन न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "संत पापा बेनेडिक्ट 16वें की प्रेरितिक यात्रा के दौरान, जॉर्डन में सुसमाचार के सबसे महत्वपूर्ण स्थल मकेरस पर व्यक्त इच्छा का प्रत्युत्तर देने के लिए 2009 में उन्होंने मेरे साथ सम्पर्क किया था। वे चाहते थे कि इसपर गंभीरता से खुदाई की जाए तथा स्मारक प्रस्तुति [और] खंडहरों के संरक्षण के अवसरों की खोज की जाए।”
मकेरस का ऐतिहासिक मूल्य
डॉ. वोरोस, मकेरस पर अपने विशिष्ठ कार्य के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी से गोल्ड मेडल प्राप्त करने रोम आये थे। उनके कार्य को तीन संस्करणों में प्रकाशित किया गया है।
उन्होंने योहन बपतिस्ता की हत्या के ऐतिहासिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, "सुसमाचार का यही परिच्छेद जिसके समान ही घटना का जिक्र, एक ही समय में एक गैर-ख्रीस्तीय लेखक यहूदी इतिहासकार जोसेपुस के लेख में अंकित है; योहन की हत्या की पुष्टि करीब 250 सालों बाद ख्रीस्तीय लेखक पम्फिलिया के यूसेबियुस ने की थी।"
डॉ. वोरोस ने कहा, "अपने ऐतिहासिक मूल्य के महत्व की विशिष्ठता के अलावा, मकेरस की दो खास विशेषताएँ हैं, पहला, यह एक पुरातात्त्विक स्थल है जो समय के साथ आवरण के रूप में बना रहा... यह अविश्वसनीय हैं। यह एक चमत्कार है कि हमारे लिए सुसमाचार का दृश्य मौजूद है जो एक पुरातात्विक समय के आवरण के रूप में बच गया है।"
सुसमाचार की घटना का एक वास्तविक दृश्य
यह स्थान भी खास है जो इतिहासकारों को – साथ ही दर्शकों को- सुसमाचार की घटना का एक सचमुच सही दृश्य प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। डॉ. वोरोस का एक दल है जो हेरोद के राजभवन के पुनःनिर्माण, हेरोदियस की बेटी के हेरोद अंतिपस एवं अतिथियों के सामने नृत्य तथा हेरोद द्वारा योहन बपतिस्ता के सिर भेंट करने की प्रतिज्ञा के स्थान को प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि यह बाईबिल की सच्चाई की प्रकाशना है और मकेरस में एक पुरातात्विक मिशन का केंद्रविन्दु। भूगोल, दृष्य और देखने योग्य ऐतिहासिक स्मारक के बिना इतिहास का कोई अस्तित्व नहीं होता। पुरातात्विक शोध, पवित्र भूमि में सुसमाचार के ढांचे एवं सच्ची पृष्टभूमि पर संभव हुआ है।
उन्होंने कहा कि संत पापा फ्राँसिस के शब्दों कि "पवित्र भूमि पांचवाँ सुसमाचार है" की याद करते हुए, हमें प्रथम चार सुसमाचारों को समझने में मदद मिलती है। और पवित्र भूमि के ये दृश्य ऐतिहासिक पृष्टभूमि पर न केवल हमें, बल्कि हमारे बच्चों एवं आनेवाली पीढ़ी को धार्मिक किताबें प्रदान कर पायेंगे, जिनमें ऐतिहासिक सच्चाई को दर्शाया गया है।"
संत योहन बपतिस्ता की हत्या के अर्थ
उन्होंने योहन बपतिस्ता की हत्या के अर्थ पर जोर दिया, जिसकी तुलना स्वयं येसु ने अपने दुःखभोग एवं मृत्यु से की थी। अतः जब हम योहन बपतिस्ता के कैद किये जाने एवं मार डाले जाने पर चर्चा करते हैं, यह एक तरह से कलवारी की घटना के पूर्व की घटना है।" योहन येसु ख्रीस्त के दुखभोग में भी उनके अग्रदूत थे और यह कोई ईशशास्त्रीय कल्पना नहीं है। खुद येसु ने मकेरस की ओर इंगित किया जब उन्होंने योहन बपतिस्ता की पीड़ा का जिक्र करते हुए कहा कि मानव पुत्र को इसी तरह दुःख भोगना पड़ेगा। इस तरह यह सुसमाचार का एक बहुत महत्वपूर्ण पाठ है जो अब हमारे हाथ में ऐतिहासिक वास्तविकता के साथ है। "जी हाँ मैं कह सकता हूँ कि यह सर्वशक्तिमान ईश्वर की ओर से 21वीं सदी के लिए एक उपहार है।"
इस बात पर गौर करते हुए कि हम योहन बपतिस्ता की शहादत की (28 या 29 ए डी) 2000वीं जयन्ती जल्द ही मनायेंगे, डॉ. वोरोस की उम्मीद है कि मकेरस के पुरातात्विक स्थल को, अत्यन्त स्पष्ट एवं आधिकारिक रूप में प्रस्तुत किया जा सकेगा। जो फिर एक बार पवित्र भूमि के नक्शे में होगा जब रोम से संत पापा पवित्र पुरातात्विक स्थल का दर्शन करेंगे।"
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