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2022.06.10 धन्य सिस्टर मारिया पास्कालिना जॉन और नौ धर्मबहनें 2022.06.10 धन्य सिस्टर मारिया पास्कालिना जॉन और नौ धर्मबहनें  #SistersProject

पोलैंड: युद्धकालीन हिंसा के शहीद, दस धर्मबहनों का धन्य घोषणा समारोह

संत प्रकरण के लिए धर्मसंघ के प्रीफेक्ट, कार्डिनल मार्सेलो सेमेरारो ने व्रोकला में पवित्र मिस्सा के दौरान 10 पोलिश धर्मबहनों को घन्य घोषित करते हुए सम्मानित किया, जिन्होंने बुजुर्गों, बीमारों और बच्चों की देखभाल की और 1945 में सोवियत सैनिकों द्वारा विश्वास के प्रति घृणा के कारण मार डाली गई थी। संत पापा ने रविवार को देवदूत प्रार्थना के बाद अपनी गवाही को श्रद्धांजलि दी।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

व्रोकला, सोमवार 13 जून 2022 (वाटिकन न्यूज) : संत एलिज़ाबेथ की 10 धर्मबहनें बुज़ुर्गों, बीमारों और बच्चों की देखभाल और अपनी पवित्रता की शपथ एवं अपने बुलाहट के प्रति वफादार रहीं। 1945 में लाल सेना के सैनिकों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी।

उनका धन्य घोषणा समारोह 11 जून को पोलैंड के व्रोकला शहर के महागिरजाघर में हुआ। संत प्रकरण के लिए धर्मसंघ के प्रीफेक्ट कार्डिनल मार्सेलो सेमेरारो ने व्रोकला में पवित्र मिस्सा के दौरान 10 धर्मबहनों को घन्य घोषित किया। उन्होंने उनकी शहादत की तुलना यूक्रेन की वर्तमान स्थिति से की।

कार्डिनल सेमेरारो ने अपने प्रवचन में कहा, "इन धर्मबहनों का पूरा जीवन बीमारों, छोटे बच्चों, गरीबों और सबसे जरूरतमंदों की सेवा में स्वयं का एक सच्चा उपहार था। उनका निस्वार्थ प्रेम इस हद तक अडिग था कि 1944-45 के अंत में उन्होंने निर्णय लिया कि वे आने वाली लाल सेना की क्रूरता और पूर्वी प्रशिया के निवासियों के खिलाफ सैनिकों द्वारा किए गए अत्याचारों की खबरों के बावजूद अपना स्थान नहीं छोड़ेंगी।"

दस धर्मबहनों का धन्य घोषणा समारोह
दस धर्मबहनों का धन्य घोषणा समारोह

रविवार को देवदूत प्रार्थना के समापन पर संत पापा फ्राँसिस ने दस धर्मबहनों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

संत पापा ने कहा, "कल पोलैंड के ब्रेस्लाविया में सिस्टर पास्कालिना जॉन और नौ शहीद धर्मबहनों की धन्य घोषणा हुई जो संत एलिजाबेथ की धर्मबहनों के धर्मसमाज की सदस्य थीं, वे द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में ख्रीस्तीय विश्वास के प्रति घृणा के कारण मार डाली गये थीं। ये 10 धर्मबहनें खतरे को जानते हुए भी उन बुजुर्गों एवं बीमार लोगों के साथ रहीं जिनकी वे देखभाल करती थीं। ख्रीस्त के प्रति निष्ठा का उनका उदाहरण हम सभी को मदद दे, खासकर, विश्व के विभिन्न हिस्सों में अत्याचार से पीड़ित ख्रीस्तियों को, ताकि वे साहस के साथ सुसमचार का प्रचार कर सकें। नए धन्यों को आइये, हम तालियों से सम्मानित करें!"

कार्डिनल सेमेरारो ने जोर देकर कहा कि  संत एलिजाबेथ धर्मसंघ की 10 धर्मबहनों की शहादत उस हिंसा, क्रूरता और घृणा को याद कराती है जो अब यूक्रेन में हो रही है।

उन्होंने कहा कि निस्वार्थ प्रेम और दूसरों के लिए चिंता के संकेत शांति का निर्माण करते हैं और युद्ध की स्थिति में होने वाली हिंसा की प्रतिक्रिया हैं।

चल रहे युद्ध के सामने, कार्डिनल ने नए धन्यों की मध्यस्ता से प्रार्थना करने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने  कहा, "हम ईश्वर से उनकी मध्यस्थता से प्रार्थना करते हैं कि दुनिया में फिर कभी नारीत्व के सम्मान, पुरुष और महिला की गरिमा में समानता और मातृत्व की सुरक्षा की कमी नहीं हो। (...) आज हम यूक्रेन के लोगों, प्रवासियों और शांति के लिए विशेष रुप से उन्हें समर्पित करते हैं।"

धर्माध्यक्ष सेमेरारो ने संत पापा फ्राँसिस के शब्दों को याद किया जिसमें संत पापा ने "युद्ध से भाग रहे यूक्रेनी लोगों के लिए अपनी सीमाओं, अपने दिलों और अपने घरों के दरवाजे खोलकर" यूक्रेन का समर्थन करने वाले पहले व्यक्ति होने के लिए पोलैंडवासियों को धन्यवाद दिया।

महागिरजाघऱ से बाहर दस धर्मबहनों काेधन्य घोषणा समारोह में भाग लेते हुए विश्वासीगण
महागिरजाघऱ से बाहर दस धर्मबहनों काेधन्य घोषणा समारोह में भाग लेते हुए विश्वासीगण

सिस्टर मारिया पास्कालिना जोन का जन्म 7 अप्रैल 1916 को न्यासा में हुआ था। धर्मबहन बनने के बाद, वे क्लुज़बोर्क, ग्लुबज़िसे, न्यासा और चेक गणराज्य में रहीं।

11 मई 1945 को, अपनी पवित्रता और विश्वास की रक्षा करते हुए धर्मबहन पास्कालिना पर, एक सोवियत सैनिक ने बेरहमी से हमला किया और उसे गोली मार दी। 9 अन्य धर्मबहनों की तरह, हालांकि वे अलग-अलग जगहों पर रहती थीं और अलग-अलग काम करती थीं, वे अंत तक अपनी बुलाहट के प्रति वफादार रहीं, अपने आरोपों के बचाव में अपनी जान दे दी।

संत एलिज़ाबेथ धर्मबहनें इस बात पर जोर देती हैं कि दस धर्मबहनों का धन्य समारोह उन सभी धर्मबहनों की दुखद मौत की याद का प्रतीक है, जो 1945 में सोवियत सेना के हाथों मारी गई थी। उनका अनुमान है कि उनके धर्मसंघ के 100 से अधिक धर्मबहनों की इसी तरह की परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी।

संत एलिजाबेथ की धर्मबहनों के धर्मसंघ की स्थापना 1810 में न्यासा में हुई थी। धर्मसमाज का मुख्य लक्ष्य जरूरतमंद लोगों की निःस्वार्थ सेवा है, विशेष रूप से पीड़ित और बीमार लोगों की सेवा।

संत एलिजाबेथ की धर्मबहनों का धर्मसंघ वर्तमान में यूरोप, एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के 19 देशों में सक्रिय है। लगभग 1,000 बहनें अस्पतालों, किंडरगार्टन, स्कूलों और पल्लियों में काम करती हैं। धर्मबहनें सामुदायिक केंद्र, नर्सिंग होम, अनाथालय, शैक्षणिक संस्थान और बोर्डिंग स्कूल चलाती हैं।

कलीसिया में,  संत एलिजाबेथ के धर्मसंघ की शहीदों सिस्टर पास्कालिना जोन और अन्य धर्मबहनों का स्मरणोत्सव प्रतिवर्ष 11 मई को मनाया जाएगा।

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13 June 2022, 16:35