शांति मार्च में भाग लेते विश्वासी शांति मार्च में भाग लेते विश्वासी   (AFP or licensors)

हिंदू भीड़ द्वारा भारतीय ट्रेन में काथलिकों पर हमला

चलती ट्रेन में हिंदू राष्ट्रवादियों ने शिक्षकों की टीम पर हमलाकर उनपर धर्मांतरण की गतिविधि में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

एक काथलिक पुरोहित ने पश्चिमी भारत में अपने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के लिए पुलिस सुरक्षा से मांग की, उसके कुछ दिनों बाद अब चलती ट्रेन में हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा उसके कर्मचारियों पर हमला किया गया। आरोप लगाया गया कि वे धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल मिशनरी हैं।

पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र के धुले जिले में कार्यरत एक काथलिक एनजीओ के सात शिक्षकों पर एक एक्सप्रेस ट्रेन से यात्रा करते समय लगभग 15 हिंदू युवकों की भीड़ ने हमला किया।

16 जनवरी की रात जब सांगली रेलवे स्टेशन पर हमला हुआ, तब टीम शिक्षा के दौरे पर गई थी।

शिक्षकों पर हमला

शिरपुर विश्व मंडल सेवाश्रम नाम के एनजीओ के लिए काम करनेवाली 14 महिलाओं सहित 42 शिक्षकों की टीम के पर्यवेक्षक गुणीलाल पवारा ने पत्रकारों को बतलाया, "मुझे बर्थ से नीचे खींच लिया गया और मेरे सिर पर स्टील की वस्तु से तब तक वार किया गया जब तक कि घाव से खून नहीं निकलने लगा।"

पवार ने कहा कि भीड़ ने टीम पर आदिवासियों के धर्मांतरण की कोशिश करने का आरोप लगाया और एनजीओ के निदेशक फादर कोन्सतांसियो रोड्रिग्स के बारे में पूछते रहे।

फादर रोड्रिग्स ने 20 जनवरी को उका न्यूज को बताया कि उन्हें अपनी टीम के साथ जाना था लेकिन अंतिम समय में वे शामिल नहीं हो सके।

सुनियोजित हमला

फादर ने कहा, "यह एक सुनियोजित हमला था क्योंकि उनके पास हमारी टीम के सदस्यों की सटीक बर्थ संख्या थी, लेकिन जाहिर तौर पर उनका इरादा मुझे निशाना बनाने का था।"

टीम यात्रा जारी रखने में सफल रही और दक्षिण में पड़ोसी राज्य कर्नाटक के बेलगावी रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतर गई।

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के 10 अधिकारियों की एक टीम, जिन्हें ट्रेन के कोच के अंदर हमले के बारे में सतर्क किया गया था, उन्हें रेलवे स्टेशन से बाहर निकाला।

पवारा ने कहा, "जब हम वहां उतरे, तो कम से कम 40 युवा इकट्ठे हुए और रेलवे अधिकारियों की मौजूदगी में हमें धमकी दी।"

आरपीएफ अधिकारियों ने उन्हें स्थानीय पुलिस को सौंप दिया, जो उन्हें पास के एक काथलिक संस्थान में ले गई जहां उन्होंने रात बिताई।

मारपीट 

फादर रोड्रिग्स ने कहा, “युवाओं ने एक पुरुष शिक्षक को यह बयान देने के लिए मजबूर करने की कोशिश की कि उन्हें धर्म-परिवर्तन के लिए ले जाया जा रहा है। जब उसने मना किया तो उन्होंने उसके साथ भी मारपीट की।”

बेलगावी में स्थानीय पुलिस ने टीम को ट्रेन लेने के बजाय राज्य परिवहन की बस से धुले लौटने की सलाह दी। जेसुइट पुरोहित ने कहा कि दो पुलिस अधिकारी उनके साथ कर्नाटक-महाराष्ट्र राज्यों की सीमा तक गए।

कुछ अज्ञात लोगों द्वारा गतिविधियों पर नजर

उन्होंने कहा, "टीम के लौटने के बाद भी, हमने देखा कि कुछ अज्ञात लोग हमारी गतिविधियों पर नजर रख रहे थे और इसलिए हमने अपने संस्थान में पुलिस सुरक्षा की मांग की।"

आगे की परेशानी को भांपते हुए, फादर रोड्रिग्स ने 18 जनवरी को दुले में पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर पुलिस सुरक्षा की मांग की।

इस बीच, पुरोहित और उनकी टीम संघीय रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को भेजी जानेवाली शिकायत तैयार कर रही है।

पुरोहित ने कहा, "हम आगे हमले के डर से निर्धारित प्रक्रिया के तहत आरपीएफ या राजकीय रेलवे पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं करा सके।"

दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई चाहते हैं

फादर रॉड्रिक्स ने कहा कि वे दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई चाहते हैं जिन्होंने "धर्मांतरण का हौआ" खड़ा करके उनके कर्मचारियों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया।

काथलिक एनजीओ धुले जिले के 40 गांवों में आदिवासी जनजातियों के बच्चों को प्रारंभिक अंग्रेजी, गणित और विज्ञान सीखने में मदद करने के लिए मुफ्त ट्यूशन प्रदान करता है।

फादर ने कहा, “हमारा एनजीओ उन स्कूली छात्रों की मदद कर रहा है जो पांच दशकों से अधिक समय से शैक्षिक और आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उन्होंने कभी किसी का धर्मांतरण नहीं किया जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है। वास्तव में, हमारे सभी शिक्षक आदिवासी समुदायों से हैं।”

पवार ने कहा कि वे पिछले दो दशकों से एनजीओ के लिए काम कर रहे हैं और "किसी ने कभी मुझे या किसी और को धर्म-परिवर्तन के लिए नहीं कहा।"

भारत में ख्रीस्तियों को हिंदू समर्थक समूहों से बढ़ती शत्रुता का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके संस्थानों जैसे, स्कूलों और अस्पतालों को धर्मांतरण का बहाने बताया जा रहा है।

भारत में 1.3 अरब से अधिक आबादी में से 2.3 प्रतिशत ख्रीस्तीय हैं, जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत हिंदू हैं।

ख्रीस्तीय गिरजाघरों को तोड़े जाने के लिए विदेशों से अनुदान

भारत में ख्रीस्तीय गिरजाघरों को तोड़े जाने के लिए विदेशों से अनुदान राशि जमा की गई है। अमरीका के फिस्को टी एक्स इसका एक उदाहरण है। हिन्दू राष्ट्रवादी आंदोलन खासकर आर एस एस पर 2019 से नजर रखनेवाले पीटर फ्रेडरिक द्वारा जारी एक वीडियो में फ्रिस्को, टी एक्स में गैर-लाभकारी संस्था द्वारा भारत में गिरजाघरों के विध्वंस के लिए अनुदान राशि जमा की गई है, जिसके विरोध में करीब 200 से अधिक भारतीय-अमेरिकियों ने 6 दिसम्बर 2022 को फ्रिस्को सिटी काउंसिल की बैठक में भाग लिया। और ख्रीस्तीय, हिंदू, मुस्लिम एवं सिख समुदायों के एक दर्जन वक्ताओं का समर्थन किया, जिन्होंने इस तरह के अनुदान राशि जमा किये जाने पर अपनी नाराजगी जतायी।

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21 January 2023, 15:40