महाधर्माध्यक्ष ने मणिपुर में विस्थापितों के लिए समर्थन व शांति का आह्वान किया
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
इंफाल, बुधवार 17 मई 2023 (एशियान्यूज) - पूर्वी राज्य मणिपुर में 3 मई से गंभीर हिंसा में कम से कम 60 लोग मारे गए हैं। यहाँ की स्थिति "भय, अनिश्चितता और निराशा की एक सामान्य भावना" है, इंफाल के महाधर्माध्यक्ष दोमिनिक लुमोन लिखते हैं।
एक बयान में, महाधर्माध्यक्ष लुमोन ने अपने महाधर्मप्रांत की ओर से म्यांमार की सीमा पर छोटे से राज्य मणिपुर जो लगभग 3.4 मिलियन लोगों का घर है, ज्यादातर हिंदू बहुसंख्यक मेइतेई और मुख्य रूप से ख्रीस्तीय अल्पसंख्यक किकू के बीच संघर्ष के बाद तबाही से विस्थापित हुए हजारों लोगों की मदद करने के लिए राहत की मांग की।
झड़पों के बाद सेना ने राज्य की राजधानी इंफाल और राज्य के सभी 16 जिलों में कर्फ्यू लगाकर अनिश्चितकालीन शांति बहाल कर दी है, लेकिन घाव गहरे हैं।
महाधर्माध्यक्ष लुमोन ने कहा, "दो समुदाय युद्ध कर रहे हैं" लेकिन स्थिति ने "मणिपुर के सभी लोगों को प्रभावित किया है, चाहे वह किसी भी समुदाय का हो। [. . .] कई लोगों की जान चली गई है, तलहटी में गांवों/बस्तियों को तोड़ दिया गया है, लूट लिया गया है और आग लगा दी गई है। हजारों लोग अपने घरों से भाग गए हैं और कुछ आश्रय शिविरों में पहुँच गए हैं। लगभग 45,000 लोग घाटी और पहाड़ियों में राहत शिविरों में हैं। इंफाल पश्चिम में लगभग 13,800, इंफाल पूर्व में लगभग 11,800, बिष्णुपुर में लगभग 4,500, चुराचांदपुर में 5,500, कांगपोकपी जिले में लगभग 7,000 लोग शिविरों में हैं
"यह जानकारी दैनिक समाचार पत्रों और हमारी अपनी खुफिया जानकारी पर आधारित है, लेकिन संख्या अधिक हो सकती है। स्पॉट वेरिफिकेशन संभव नहीं है क्योंकि स्थिति तनावपूर्ण है। एक आर्थिक नाकाबंदी भी सामने आ रही है।" इसे देखते हुए, महाधर्मप्रांत ने एक अपील शुरू की है जिसमें विश्वासियों से बुनियादी ज़रूरतों की चीज़ें या धनराशि सहायता कोष में भेजकर योगदान करने के लिए कहा गया है।
इंफाल महाधर्मप्रांत के विकर जनरल फादर वर्गीस वेलिकाकाम ने भारत के सभी धर्माध्यक्षों को भेजी एक विस्तृत रिपोर्ट में लिखा, "स्थिति अस्थिर है। राज्य के सभी समुदायों के बीच अघोषित अविश्वास है।"
“निजी घरों और संपत्ति को व्यापक नुकसान दोनों तरफ से किया गया है। दिनदहाड़े तोड़फोड़ और संपत्तियों की लूट हुई है। “निजी संपत्तियों के साथ, घाटी क्षेत्र के कई हिस्सों में कई गिरजाघर हमले का निशाना बने हैं। नष्ट (ज्यादातर जले हुए) गिरजाघरों की अपुष्ट संख्या 40 से अधिक है। काथलिक पल्लियों और संस्थाओं को कम से कम आठ स्थानों पर भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि “कई लोगों की जान चली गई है। समाचार पत्र जो दे रहे हैं वे पुष्ट मामले हैं लेकिन आधिकारिक रूप से प्रकाशित होने की तुलना में कई और लोग मारे गए हैं। [. . ।] कई लोगों, विशेष रूप से छात्र समुदाय को, इम्फाल से बाहर जाने के लिए मजबूर किया गया है।”
“केंद्रीय सशस्त्र बल कानून और व्यवस्था बनाए रखने में राज्य सरकार की सहायता कर रहे हैं। यह कहना कठिन है कि क्या राज्य बलों की संख्या अधिक थी या एसओएस से अभिभूत थे या यदि वे सहभागी थे। सुरक्षा कर्मियों की उन जगहों पर अनुपस्थिति जहां उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, ऐसे सवाल खड़े करते हैं जो परेशान करने वाले हैं।'
विकर जनरल का प्रश्न हैः "ऐसा क्यों था कि हमले के एक स्थान पर भी राज्य बल चीजों को लंबे समय तक चलने से रोकने में सक्षम नहीं था। ऐसा क्यों है कि हमलों के प्रयास के बाद भी संवेदनशील स्थानों को बिना सुरक्षा के छोड़ दिया गया?”
वास्तव में, हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते हैं कि "लोगों के कुछ वर्गों ने जानबूझकर गिरजाघरों पर हमला किया है", जबकि लगातार "गिरजाघरों और छात्रावासों पर हमले परेशान करने वाले हैं।"
"कई जगहों पर मैतेई ख्रीस्तियों से जुड़े कई गिरजाघर भी जलाए गए"। कुछ हमलों का "संघर्ष से कोई लेना-देना नहीं था, जो मैतेई रीति-रिवाजों, संस्कृतियों, परंपरा और स्वदेशी धर्म के संरक्षण के बहाने कुछ कट्टर समूहों की मजबूत और सक्रिय भागीदारी को इंगित करता है।" इससे पता चलता है कि हिंसा "पूर्व नियोजित और सुनियोजित थी।"
स्थानीय सरकार की स्पष्ट जिम्मेदारियों को देखते हुए, फादर वेलिकाकाम कहते हैं, "घाव को ठीक होने में समय लगेगा।"
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