हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति मिशन, प्रार्थना का आह्वान
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
गुवाहाटी के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनामपरमबिल ने भारत के उत्तरपूर्वी राज्य मणिपुर में 3 मई 2023 को हिंसा भड़क उठने के बाद से अब तक दो यात्राएँ की हैं। उनकी यात्रा का एकमात्र उद्देश्य है लोगों के बीच शांति बहाल करना।
‘शांति के प्रेरितिक’ के रूप में कार्य कर रहे सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष ने एएनएस न्यूज एजेंसी से कहा, “मैं जो कर रहा हूँ उसका वर्णन करना आसान नहीं है। मैं पहले ही दो बार मणिपुर का दौरा कर चुका हूँ, प्रत्येक में तीन दिन बिताया। मैं चुराचांदपुर और कांगपोकपी के कुकी इलाकों में गया हूँ और राहत शिविरों में लोगों से मिला हूँ। मैं मितेई इलाकों में भी गया हूँ और उनके नेताओं से मिला हूँ।''
सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनामपरमबिल का शांति मिशन
अपने शांति मिशन संचालन शैली के बारे में बताते हुए 87 वर्षीय धर्माध्यक्ष ने कहा, “मैंने शांति के लिए दोनों पक्षों के नेताओं से संपर्क किया है। मुख्य रूप से मैंने समाज के वरिष्ठ व्यक्तियों, सेवानिवृत्त अधिकारियों, मंत्रियों और उनके समुदाय पर नैतिक अधिकार रखनेवाले बुद्धिजीवियों से मिलने पर ध्यान केंद्रित किया है। मैं दोनों पक्षों के धार्मिक नेताओं से मिला।”
उनके मिशन के फलीभूत होने का एक ठोस संकेत 5 जून को शांति का आह्वान करनेवाले धार्मिक नेताओं की बैठक थी। 5 जून को, महाधर्माध्यक्ष थॉमस ने विभिन्न धर्मों और आस्थाओं की परंपराओं के 18 धार्मिक नेताओं के साथ शांति और हिंसा को समाप्त करने के लिए अंतरधार्मिक अपील पर हस्ताक्षर किया।
तीसरी एकल यात्रा की तैयारी करते हुए, शांति के वयोवृद्ध अग्रदूत ने कहा, "यह प्रयास जारी रखना होगा।" धर्माध्यक्ष ने खेद प्रकट करते हुए कहा, "इस समय, भावनाएँ चरम पर हैं क्योंकि युवा लोग लगातार हिंसा फैला रहे हैं।"
हिंसा की कड़ी आलोचना करते हुए महाधर्माध्यक्ष थॉमस ने कहा, “सशस्त्र युवा खुद निर्णय लेते हैं। वरिष्ठों के लिए भी युवाओं को समझाना कठिन होता है। जानमाल का नुकसान अनुमान से अधिक हुआ है।”
महाधर्माध्यक्ष ने आह भरते हुए कहा, "कोई आसान समाधान नहीं... राज्य और केंद्रीय स्तर पर राजनीतिक नेतृत्व की रणनीतियों के बारे में गंभीर सवाल बने हुए हैं।"
दो समुदायों के बीच संघर्ष
मुख्य रूप से हिंदू मितेई समुदाय और आदिवासी ख्रीस्तीयों के बीच जातीय संघर्ष ने लगभग 100 लोगों की जान ले ली है और सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 142 गांवों, 400 से अधिक गिरजाघरों और 83 कलीसियाई संस्थानों को जला दिया है। मणिपुर के 13 जिलों में सामुदायिक हॉल सहित 272 राहत शिविरों में विभिन्न समुदायों के 40,000 से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं।
महाधर्माध्यक्ष थॉमस पिछले 40 वर्षों से पूर्वोत्तर भारत के जातीय संघर्ष क्षेत्र में शांति मिशन को जारी रख रहे हैं। सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनके विश्लेषण ने कई बहस और ठोस शांति पहल को जन्म दिया है जिसके लिए उन्हें 2011 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।
मणिपुर में शांति के लिए प्रार्थना का आह्वान
इस बीच, जब मणिपुर में मितेई और कुकी समुदायों के बीच 51 दिनों से जारी हिंसक संघर्ष रूकने का नाम ही नहीं ले रही है, भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) ने मणिपुर में शांति के लिए प्रार्थना का आह्वान किया है।
20 जून को जारी एक विज्ञप्ति में सीबीसीआई ने भारत के सभी काथलिक महाधर्माध्यक्षों, धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, उपयाजकों, धर्मसमाजियों और लोकधर्मियों से आग्राह किया है कि सभी ख्रीस्तीय 2 जुलाई को शांति और मणिपुर में पीड़ित लोगों के लिए प्रार्थना दिवस के रूप में व्यतीत करें।
पत्र में कहा गया है कि “रविवार 2 जुलाई 2023 को मणिपुर में शांति और पीड़ित लोगों के लिए प्रार्थना रविवार के रूप में मनाया जाए। इस पहल को हमारे पल्लियों, संस्थानों, धर्मसमाजी समुदायों के द्वारा पूरे देश में अर्थपूर्ण तरीके से मनायें।”
शांति स्थापना हेतु पोप का प्रोत्साहन
संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों को अच्छाई के बीज बोने का प्रोत्साहन दिया है। अच्छाई के बीज हैं प्रेम, करूणा, दया, क्षमा, उदारता, शाँति, मेलमिलाप आदि।
उन्होंने 22 जून को एक ट्वीट में लिखा, “अच्छाई बोना हमारे लिए अच्छा है। यह हमारे जीवन में कृतज्ञता की सांस लाता है और हमें और अधिक, ईश्वर जैसा बनाता है।”
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