"बालक येसु के माता-पिता हमसे छिपे हुए थे"। यहूदियों (बच्चे, माता मरिया, संत जोसेफ) और पड़ोस के निवासियों के साथ 1944 का क्रिसमस गायन। बाईं ओर, मदर एलिसबेत "बालक येसु के माता-पिता हमसे छिपे हुए थे"। यहूदियों (बच्चे, माता मरिया, संत जोसेफ) और पड़ोस के निवासियों के साथ 1944 का क्रिसमस गायन। बाईं ओर, मदर एलिसबेत  #SistersProject

रोम का कॉन्वेंट जहां हर युद्ध के "उत्पीड़ितों" को शरण मिलती है

कल रोम के यहूदी जो नाजी-फासीवादी उत्पीड़न से भाग रहे थे, उन्हें राजधानी के बाहरी इलाके में एक कॉन्वेंट में शरण मिली, जिसकी मेजबानी फ्रांसिस्कन सिस्टर्स ऑफ मर्सी ने की थी। आज भी उस घर के दरवाजे किसी भी युद्ध से भाग रहे लोगों के स्वागत और आलिंगन के लिए खुले हैं। (क्लारा ग्राजियानी द्वारा)

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

रोम, शुक्रवार 23 जून 2023 (वाटिकन न्यूज) : "क्या आप भी यहाँ रहती हैं"? "हाँ बिल्कुल, यह घर सब हमारा है"। "आपका अपना"? "हाँ, लेकिन यह उन लोगों के लिए है जिन्हें इसकी आवश्यकता है।" "तो आप अच्छे लोग हैं।" आश्चर्य की बात यह है कि मुस्लिम रीति-रिवाजों में घूंघट वाली सुंदर युवा सोमाली महिला, उस महिला को करीब से देखती है, जिसने उसकी तरह घूंघट पहना हुआ है, जिसके साथ उसने बात की थी।

आशा एक ग्रीक द्वीप के एक शरणार्थी शिविर से रोम पहुंची। ग्रीक द्वीप जहां उसने एक प्लास्टिक के तंबू के नीचे बच्ची को जन्म दिया। इस तंबु ने उसे न तो ठंड से बचाया, न ही जानवरों और लोगों से। सोमालिया में अपने पति द्वारा भगाए जाने के बाद, आशा, जो अभी 20 साल से अधिक की है, समुद्री मार्ग पर निकल पड़ी, पहले लीबिया के नरक से होते हुए और लेसवोस द्वीप के प्रवासी शिविर पहुँची, जहां अपनी हताशा में, उसने सोचा कि वह अपनी बेकार दौड़ को अंत कर दी है।

कॉन्वेंट में जन्मे एक छोटे प्रवासी  बच्चे के  साथ सिस्टर पियर पाओला
कॉन्वेंट में जन्मे एक छोटे प्रवासी बच्चे के साथ सिस्टर पियर पाओला

प्रवासी शिविर निराशा भरे दिन थे, प्लास्टिक के तंबू के नीचे अराजकता, आतंक और शोर से भरे, अपनी बेटी को जकड़े हुए जिसे उसने एक शेरनी की तरह संरक्षित किया था। आशा के पास कई युवा सोमाली महिलाओं की तरह मजबूत बाहें हैं, लेकिन उसे इसका पता नहीं था। वह घूंघट वाली महिला से पूछती है: "तुम्हारे बच्चे कहाँ हैं"? "मेरे बच्चे नहीं हैं", वह जवाब देती है। "और तुम्हारा आदमी कहाँ है"? "मेरे पास पति नहीं है।" "कोई आदमी नहीं? नहीं?" आशा की आँखें खुली की खुली रह गयीं। "नहीं। कोई आदमी नहीं। मैं ईश्वर के लिए समर्पित हूँ।”

आशा, जो संत इजीदियो समुदाय के तंबू में रहती थी, अंततः रोम पहुंची और फ्रांसिस्कन सिस्टर्स ऑफ मर्सी के कॉन्वेंट में पहुंची। 6 साल के नूर और 3 साल की फातिमा के साथ, उसे दूसरी मंजिल पर ले जाया गया, जहां वह अपना सामान एक कमरे में रखती है। यह कमरा कई साल पहले, 1943 में, अन्य माताओं और उन बच्चों के लिए सुलभ बनाया गया था, जो नाजी-फासीवादी उत्पीड़न का शिकार बन रहे थे। अपनी जान जोखिम में डालकर धर्मबहनों ने उन्हें बचाया था।

वर्तमान सुपीरियर, सिस्टर क्लारा मारिया, उस प्रवेश द्वार के सामने जहां से यहूदी गुजरते थे; बाईं ओर, लेलो डेल' अरिच्चा,  एक बच्चे के रूप अपनी मां और छोटे भाई के साथ कॉन्वेंट में छिपे हुए थे।
वर्तमान सुपीरियर, सिस्टर क्लारा मारिया, उस प्रवेश द्वार के सामने जहां से यहूदी गुजरते थे; बाईं ओर, लेलो डेल' अरिच्चा, एक बच्चे के रूप अपनी मां और छोटे भाई के साथ कॉन्वेंट में छिपे हुए थे।

आशा को यह पता नहीं है, लेकिन वर्षों से, धर्मबहनें रोम शहर की उत्तरी परिधि, वाया पोज्जो मोइआनो 8 पर बुराई से भागने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक बचाव नाव बनती हैं। वहाँ एक दरवाज़ा है जो, जरुरतमंदों के लिए, खोल दिया जाता है, कोई प्रश्न नहीं पूछा जाता। एक कहानी जो द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के कगार पर शुरू हुई, जब नाजियों ने ऑशविट्ज़ की ओर जाने वाली ट्रेनों में भरने के लिए रोमन यहूदियों का घर-घर जाकर शिकार किया। अंतिम गंतव्य विनाश था।

हालाँकि, 1943 में नाजी-कब्जे वाले रोम में, संत पापा की "इच्छाओं" में से एक के बारे में समाचार प्रसारित किया गया था: यहूदी लोगों को छुपाना, जिन्हें इतालवी फासीवादियों की मिलीभगत से नाजियों द्वारा शिकार किया गया था, जिन्होंने रोमन यहूदियों को खोजने के लिए एक सूची तैयार की थी वाया पोज्जो मोइयानो 8 का कॉन्वेंट पहले ही उनके लिए खोला जा चुका था, जब उस समय की मदर सुपीरियर, मदर एलिसबेत ने संत पापा की इच्छा के बारे में अपनी डायरी में लिखा था कि पीड़ितों को शरण दी जाए। सभी रोमन मठों ने प्रतिक्रिया नहीं दी। हालाँकि, वाया पोज्जो मोइयानो में, संत पापा की इच्छा का पालन पहले से ही किया जा रहा था।

सबसे पहले पहुंचने वाले एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक थे। फिर परिवार आये। सभी को दूसरी मंजिल पर, शिकारियों की नजरों से छिपाकर बनाए गए सात कमरों में छिपाया गया था, जहां धर्मबहनों ने उत्पीड़ितों की निगरानी करने का जिम्मा लक्जमबर्ग की माता मरिया को सौंपा था, साहस और निर्भीकता के साथ उन्होंने उन्हें उन्हीं कमरों में छिपा दिया, जिन पर 3 अक्टूबर तक एसएस ने कब्जा कर लिया था और एक फील्ड अस्पताल में बदल दिया था। जब काले दस्ते तलाशी लेने के लिए आते थे, तो धर्मबहनें बड़े साहस और निधड़क सफेद झूठ और इधर उधर की बातों में सुलझाकर उनकी तलाशी को विफल कर देती थीं।

1970 के क्रिसमस में बच्चे पोज्जो मोइयानो में येसु के जन्म की झांकी प्रस्तुत करते हैं। लेखिका बाईं ओर से तीसरी देवदूत है।
1970 के क्रिसमस में बच्चे पोज्जो मोइयानो में येसु के जन्म की झांकी प्रस्तुत करते हैं। लेखिका बाईं ओर से तीसरी देवदूत है।

परिस्थिति बदलती गई। बाद में, धर्मबहनों ने संत फ्रांसिस प्री-स्कूल और प्राथमिक विद्यालय की शुरुआत की। बच्चों की पीढ़ियाँ, जिनमें मैं भी शामिल हूँ, उन काली रेखाओं पर पंक्तिबद्ध होकर,  उन कक्षाओं में पढ़े और बड़े हुए, जिन्हें सशस्त्र एसएस ने 3 अक्टूबर 1943 को पंक्तिबद्ध किया था। उन शांतिकाल के बच्चों में से किसी को भी उन काली रेखाओं के बारे में नहीं पता था जब तक कि 2019 में ‘ओसरवातोरे रोमानो’ ने इसका खुलासा किया। उन धर्मबहनों की छिपी हुई कहानी जिसने उन्हें येसु और फ्रांसिस की प्रेमपूर्ण कोमलता और कभी आशा न खोने की शिक्षा दी।

जिन कमरों में यहूदी बच्चों को रखा गया था, वहां एक छोटी सोमाली मेहमान आयी है।
जिन कमरों में यहूदी बच्चों को रखा गया था, वहां एक छोटी सोमाली मेहमान आयी है।

लेकिन युद्ध क्षितिज पर था। भ्रष्टाचार, हथियारों की तस्करी, मध्य पूर्व अफ्रीका में गहरी अस्थिरता, अधिनायकवादी शासन के उत्पीड़न ने नए उत्पीड़ित लोगों को जन्म दिया। इस प्रकार वाया पोज्जो मोइयानो 8 का दरवाजा स्वाभाविक रूप से उत्पीड़ितों के लिए फिर से खुल गया, जो अब 1943 की तरह रोमन नहीं थे, बल्कि रोमानियाई, रूसी, यूक्रेनियन, सोमाली, कांगोलेसी, सीरियाई, अफगानी, रोमा थे।

वर्तमान में उन सात कमरों में 12 मेहमान हैं जिनका उपयोग पहले एसएस और बाद में यहूदी शरणार्थियों द्वारा किया गया था। मर्सी की फ्रांसिस्कन सिस्टर्स ने दूसरी मंजिल को अपने अधिकार में ले लिया। वहाँ दुनिया के कोने-कोने से लोग आते-जाते रहते हैं। बच्चे दिखाई देते हैं, कुछ वहीं पैदा होते हैं। माँएँ दर्द से दबी हुई, भय में पैदा हुए बच्चों के साथ आती हैं। कॉन्वेंट एक बार फिर एक अस्पताल बन जाता है जहां टूटे हुए इंसानों की देखभाल की जाती है। एक जहाज जो गुप्त रूप से, हर युद्ध के "उत्पीड़ितों" का वाया पोज्जो मोइयानो 8 में स्वागत करने के लिए हमेशा तैयार है।

 

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23 June 2023, 16:00