सिस्टर जोआनाः मैंने मूलवासी बच्चों में ईश्वर का चेहरा देखा
सिस्टर जोआना अपारसिदा ऑर्टिज़
माटो ग्रोसो डो सुल, मंगलवार 18 जुलाई 2023 (वाटिकन न्यूज) : जो दर्द लोगों का है वो हमारा दर्द है। ब्राज़ील के मध्य-पश्चिमी क्षेत्र, माटो ग्रोसो डो सुल में देश की दूसरी सबसे बड़ी मूलवासी आबादी रहती है। इस भूमि की बेटी, अपारसिदा की माता मरियम की फ्रांसिस्कन सिस्टर जोआना अपारसिदा ऑर्टिज़ है। वे कहती हैं, “2010 में मैने महसूस किया कि मुझे मेरे इन लोगों के साथ खड़े होने की जरुरत है, "जहां एक बैल की कीमत एक मूलवासी बच्चे से अधिक है, जहां सोयाबीन की कीमत देवदार के पेड़ से भी अधिक है।”
सपनों में मिली यह प्रेरणा
एकबार मैंने सपना देखा कि मूलवासी लोग हमारे घर आए और हमसे मदद मांगी, मुझे यह जाने बिना कि मेरे साथ क्या हो रहा था, भयानक पीड़ा महसूस हुई। अगली रात वही सपना जारी रहा और उसमें मेरी मां दिखाई दी, (जिनमें निश्चित रूप से मूलवासी खून था) मुझे एक लिफाफा दिया और मुझे इसे मूलवासी शिविर में ले जाने के लिए कहा। अगली रात भी सपना जारी रहा, मैंने सड़क के किनारे एक गाँव में एक बुजुर्ग सज्जन को लिफाफा दिया। बूढ़े मूलवासी ने मुझसे कहा: "हमें पैसा नहीं चाहिए, हम आपकी उपस्थिति चाहते हैं।"
मैं उस सपने से स्तब्ध होकर उठी और सपना ने मेरा सुख चैन छीन लिया। मैं सोच में पड़ गई क्योंकि हमारे धर्मसमाज का गांव में कोई घर नहीं है तो मैं इस तरह के मिशन को कैसे पूरा कर पाऊंगी? तभी, सीआरबी (ब्राज़ील धर्मसंघीय सम्मेलन) की मदद से मेरी मुलाकात सीआईएमआई (इंडिजिनस मिशनरी काउंसिल) से हुई, जो ब्राज़ील की काथलिक कलीसिया का एक संगठन है, इस प्रकार मैंने माटो ग्रोसो डो सुल कृषि प्रधान राज्य के गांवों का दौरा शुरू किया।
माटो ग्रोसो डो सुल के मुलवासियों की दुखद वास्तविकता
हे ईश्वर, मैंने कितने दर्द और पीड़ा देखी है! मैं एक गाँव से दूसरे गाँव, एक शिविर से दूसरे शिविर, सड़कों के किनारे और खेतों में लोगों से मुलाकात की। मैंने देखा कि कई लोगों की झोपड़ियों में आग लग गई और बच्चे भूखों मर गए। और उस समय मैंने सीआईएमआई मिशनरियों को गंभीर कुपोषण की स्थिति में एक बच्चे की देखभाल करते हुए भी देखा, जिसकी सहायता के बावजूद अगले दिन उसकी मृत्यु हो गई।
"मुझे उस आह्वान के बारे में कोई संदेह नहीं था जो ईश्वर ने मुझे उस समय अपने लोगों के साथ रहने और वहां एक सहायक और भविष्यसूचक उपस्थिति के लिए उस संस्था के मिशनरियों में शामिल होने के लिए कहा था।"
मैंने हमारे धर्मसंघ के करिश्मा की पहचान की जिसने मुझे उस वास्तविकता की ओर धकेल दिया, जैसा कि हमारी संस्थापिका मदर क्लारा मारिया डी अज़ेवेदो सूजा कहा करती थीं, "आइए अपारसिदा के नाम का सम्मान करें, आइए, उन चौराहों से बाहर निकलें जहां पहले से ही बहुत सारे लोग गुजरते हैं, आइए, तहखाने में जाएं, जहां वे हमें धक्का-मुक्की न कर सकें।"
ईश्वर और मूलवासियों के साथ 11 वर्षों की यात्रा
2012 में, मैंने सीआईएमआई का बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा किया और उस संस्था के एक मिशनरी के रूप में, मैं मूलवासियों के चेहरे में ईश्वर का चेहरा देखने में सक्षम हो पायी। एक धर्मसमाज के रूप में, मैं अपनी उपस्थिति द्वारा मिशनरी कार्य में शामिल होने में सक्षम हुई। 2015 में, संगठन को सामुदायिक अधिकारों की रक्षा के लिए सीपीआई (संसदीय जांच आयोग) के अधीन किया गया था। मैं उस प्रक्रिया में शामिल थी और आंशिक रूप से वह अनुभव करने में सक्षम थी जिसे मसीह ने महासभा में झूठे आरोपों का अनुभव किया था, क्योंकि वे अपने लोगों को बचाना चाहते थे। हमें सताया गया, गाली दिया गया और बदनाम किया गया लेकिन हमें पराजित नहीं कर पाये, क्योंकि हमारा मानना है कि प्रभु हमारे साथ चलते हैं और हमने वह लड़ाई जीत ली।
मैं ग्यारह वर्षों से मुलवासियों के साथ इस रास्ते पर चल रही हूँ। मुझे लगता है कि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है. लेकिन आज सबसे बड़ी खुशी यह है कि मूलवासी नायकत्व को अपने ही स्थानों और अधिकारों पर विजय प्राप्त करते हुए देख रही हूँ। "हमारे बिना ब्राज़ील फिर कभी नहीं!", यह एक वाक्यांश है जिसे सोनिया गुजाजारा ने तब कहा था जब उन्होंने वर्ष की शुरुआत में ब्राज़ील के मूलवासी लोगों के मंत्री के रूप में पदभार संभाला था। एक धर्मसंघ के रूप में, हम समर्थन और उपस्थिति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती हैं ताकि मूलवासी लोगों की भूमि का सीमांकन हो सके और उनके अधिकारों का सम्मान किया जा सके।
आज मैं अपनी रगों में मूलवासी खून वाले व्यक्ति के रूप में इस मिशन को अपने जीवन में ईश्वर का एक मजबूत आह्वान मानती हूँ। मैं अपने लोगों के पास लौट आयी जिन्हें मैंने छोड़ दिया था और अब मैं एक अलग व्यक्ति बन गयी हूँ। भले ही मेरे लोगों के पास अभी तक अपनी भूमि का सीमांकन और उनके अधिकारों की गारंटी नहीं है, फिर भी उन्होंने अपना वर्चस्व जीत लिया है।
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