सीरिया में आईएसआईएस के पूर्व बंधक महाधर्माध्यक्ष मौराड ने नए शहीदों को याद किया
वाटिकन न्यूज
सीरिया, बृहस्पतिवार, 10 अगस्त (रेई): तथाकथित इस्लामिक स्टेट के जिहादियों द्वारा 2015 में सीरिया में अपहरण के शिकार और पांच महीने तक बंधक बनाकर रखे गये, होम्स के सीरियाई काथलिक महाधर्माध्यक्ष जैक्स मौराड, भागने से पहले शहादत के करीब आ गए थे।
बंधक बनानेवालों ने उन्हें धमकी दी थी, "धर्म परिवर्तन करो नहीं तो हम तुम्हारा सिर काट देंगे।" यह वाक्य, उन्हें उनकी पुरोहिताई की प्रतिज्ञा के सामने एक अंतिम चेतावनी के रूप में बोला गया था। वे उस समय केवल एक पुरोहित थे। वे याद करते हुए कहते हैं, "मैं बिल्कुल ऐसी स्थिति में था : कि या तो मैं कलीसिया और दुनिया की मुक्ति के लिए क्रूस को ख्रीस्त के साथ मृत्यु तक लेकर जाऊँ, या मैं हार मान जाऊँ, लेकिन यदि मैं ऐसा करता तो अपनी बुलाहट भी छोड़ देता।"
स्पष्ट चुनाव
उन्हें समझ में आ गया कि वे क्रूस ढोना जारी रखेंगे, "लेकिन केवल क्रूस को ढोने के लिए नहीं, बल्कि अपने बंधकों को याद करते हुए। इस अनुभव से मुझे जो उपहार मिला, वह ये था कि मैं उन जिहादियों को प्रार्थना के मनोभाव से देखने लगा और उनके लिए प्रार्थना करने लगा कि ईश्वर उनके दिलों को प्रबुद्ध करें, उन्हें परिवर्तित करें। मेरे लिए नहीं, बल्कि उनके उद्धार के लिए और हमारी दुनिया की शांति के लिए। ईश्वर में इस नए सिरे से विश्वास ने मुझे सभी भय से मुक्त कर दिया। जब आप मृत्यु के सामने होते हैं, एक प्रकार का डर हमारी आत्मा में घुस जाता है। जब भी मैंने डर महसूस किया, मैंने रोजरी विन्ती की; तब डर खत्म हो गया और वह साहस में बदल गया।''
कृपा का समय
"आज, मैं इस अनुभव को एक कृपा मानता हूँ, एक अनुग्रह जो आठवें दिन, सूर्यास्त से ठीक पहले शुरू हुआ।" महाधर्माध्यक्ष मौराड बताते हैं कि बंधक के रूप में अपने पहले सप्ताह के अंत में, रक्का के गवर्नर ने उनसे मुलाकात की। पर उन्हें यह नहीं पता था कि उनके सामनेवाला व्यक्ति सीरिया में तथाकथित इस्लामिक स्टेट का नेता था।
"जब मैंने उनसे पूछा, 'हम बंदी क्यों हैं, और हमने बंदी बनाये जाने के समान क्या गलती की है?" तब इस्लामवादी नेता ने उत्तर दिया, "इस समय को पीछे हटने का समय समझें।"
महाधर्माध्क्ष कहते हैं, "उनके इस जवाब ने मेरे पूरे जीवन को पलट दिया।" वे स्वीकार करते हैं कि उन्होंने सबसे रक्तपिपासु समूहों में से एक के मुखिया चरमपंथी नेता से, इस तरह के जवाब की कभी उम्मीद नहीं की थी।
महाधर्माध्यक्ष मौराड ने कहा, "हालाँकि ख्रीस्त के एक शिष्य के लिए कोई दुश्मन नहीं होते, और अगर हैं भी, तो हमें उनसे प्यार करना चाहिए। पर आप उस दुश्मन से कैसे प्यार कर सकते हैं जो आपको मारना चाहता है और जिसे आप मारना चाहते हैं? यह ख्रीस्त के प्रेम का रहस्य है जो तब स्पष्ट रूप से प्रकट हुआ, जब क्रूस पर से उन्होंने कहा, 'हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।'"
महाधर्माध्यक्ष मौराड अपनी हिरासत के पांचवें महीने में एक युवा मुस्लिम व्यक्ति की सहायता से भाग निकले, जिसने लगभग 15 अन्य लोगों के साथ दर्जनों बंधकों को भागने में मदद दी। उन्होंने कहा, "ईश्वर मुझे इस दुनिया में बचाना चाहते थे ताकि मैं महत्वपूर्ण सुसमाचार सिद्धांत का साक्ष्य देने के लिए उनकी सेवा करता रहूँ: यदि आप शांति चाहते हैं, तो अपना दिल खोलकर शुरुआत करें।"
जेसुइट की शहादत: फ्रैंस वान डेर लुग्ट
उनके अपहरण से एक साल पहले, होम्स में ही, डच जेसुइट फ्रैंस वान डेर लुग्ट की उनके कॉन्वेंट के बगीचे में हत्या कर दी गई थी। 2015 में, जैक्स मौराड को अच्छी तरह पता है कि उन्हें अपने जिहादी बंधकों के साथ किस चीज़ का सामना करना पड़ा है।
महाधर्माध्यक्ष कहते हैं, "फादर फ्रैंस मेरे लिए और सभी सीरियाई लोगों के लिए हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त के प्रति निष्ठा के आदर्श उदाहरण हैं। उन्होंने अपना जीवन सीरिया और सीरियाई लोगों के प्यार के लिए समर्पित कर दिया था। उनका उदाहरण शरीरधारी ख्रीस्त का है, जो सभी के लिए पिता के प्रेम का संदेश लाये, सच्ची मुक्ति प्रेम और आत्म त्याग के बिना नहीं लायी जा सकती।"
फादर पाओलो देल'ओलियो का अपहरण
एक और जेसुइट फादर पाओलो देल'ओलियो के लापता होने की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर, रोम में एक ख्रीस्तयाग अर्पित किया गया, जिनका 2013 के बाद से कोई पता नहीं चल रहा है।
महाधर्माध्यक्ष जैक्स इस यादगारी समारोह में उपस्थित थे। महाधर्माध्यक्ष और फादर देल'ओलियो ने करीब 30 वर्षों तक एक साथ जीवन बिताया। अपनी आस्तीन ऊपर चढ़ाकर, दोनों व्यक्तियों ने मिलकर मार मूसा मठ का पुनर्निर्माण किया। वे एक-दूसरे को 1986 से जानते थे: "मैं फादर पॉल को वैसे ही जानता था जैसे मैं खुद को जानता हूँ, और मैं उनसे वैसे ही प्यार करता हूँ जैसे मैं खुद से करता हूँ। मेरे लिए वे एक जीवित शहीद हैं। वे वास्तव में एक जीवित शहीद हैं, चाहे वे मर चुके होंगे या अभी भी जीवित होंगे।"
महाधर्माध्यक्ष आगे बतलाते हैं कि “एक शहीद वह है जो हमेशा कलीसिया की याद में, कलीसिया के हृदय में और ईश्वर की प्रजा के लिए जीता है। उनसे मिलने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे। यदि आप प्राप्त या भेजे गए संदेशों और पत्रों को एक साथ रखेंगे, तो आप उनका एक विश्वकोश बना सकते हैं। वे हमेशा सभी के लिए मौजूद थे, छोटे से लेकर बड़े, अज्ञानी और बुद्धिमान, आस्तिक और सभी दूसरे लोगों के लिए।"
प्रार्थना स्वतंत्रता को जीने में मददगार
“मैं गवाही दे सकता हूँ कि प्रार्थना ही एकमात्र ऐसी चीज है जिसने मेरे कारावास को, मेरे रोजमर्रा के जीवन को अर्थ प्रदान किया है।"
महाधर्माध्यक्ष मौराड के लिए, कैदी होना सबसे बुरी चीज है जो ईश्वर की छवि में गढ़े इंसान पर थोपी जा सकती है। “हम स्वतंत्र बनाए गए हैं, सोचने के लिए स्वतंत्र, बोलने के लिए स्वतंत्र, अपनी गतिविधियों में स्वतंत्र हैं। ईश्वर ने हमें यह उपहार दिया है और किसी व्यक्ति को बंदी बनाना एक ऐसा कार्य है जो ईश्वर की रचना में उनकी इच्छा के विरुद्ध है।''
और इस ढांचे के भीतर, वे जोर देते हैं, "एकमात्र अभ्यास जो किसी व्यक्ति को इस आवश्यक स्वतंत्रता को जीने में मदद करता है वह है प्रार्थना, क्योंकि यही वह माध्यम है जो हमें ईश्वर के साथ रहने और उनके साथ रहने के लिए खुद से बाहर निकलने की अनुमति देता है, जिससे हम प्यार करते हैं।"
होम्स के महाधर्माध्यक्ष ने विरोधाभासी रूप से, अंत में कहा कि कारावास की उनकी अवधि "उनके आध्यात्मिक जीवन में, ईश्वर और कुँवारी मरियम के साथ उनके रिश्ते में सबसे उपयोगी समय था।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here