ईशनिंदा का हवाला देकर जरनवाला के गिरजाघरों एवं घरों को जलाया
वाटिकन न्यूज पत्रकार
पाकिस्तान, बृहस्पतिवार, 17 अगस्त 2023 (एशियान्यूज) : फैसलाबाद जिले में, इस्लामी चरमपंथियों द्वारा भड़काई गई भीड़ ने 21 गिरजाघरों और आसपास के घरों को जला दिया है। सैकड़ों लोग पलायन करने को मजबूर हैं। कुरान के खिलाफ अपमानजनक वाक्यांश लिखने का आरोपी ख्रीस्तीय वास्तव में एक अनपढ़ व्यक्ति है। पाकिस्तान के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष मोनसिन्योर अरसाद ने कहा : "हमारे लोग सुरक्षित नहीं हैं। कानून और न्याय की प्रधानता को फिर से स्थापित करने के लिए इस हिंसा की पारदर्शी जांच की जाए।"
चरमपंथियों द्वारा उकसाई गई भीड़ ने छह गिरजाघरों और लोगों के घरों पर हमला किया, जिससे स्थानीय ख्रीस्तीय समुदाय के लिए बहुत गंभीर स्थिति पैदा हो गई है।”
हमलों की शुरूआत कुरान की पवित्र पुस्तक को अपवित्र करने के शक से हुई है। बतलाया जा रहा है कि एक ख्रीस्तीय व्यक्ति जो अनपढ़ है, कुछ शब्द लिखे थे जिसे कुरान का अपमान समझा गया। यह स्थानीय लोगों के गुस्से और आक्रोश को भड़काने के लिए पर्याप्त था, जो तेजी से बढ़ा और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ।
स्थिति और बिगड़ गई जब भीड़ ने गिरजाघर और ख्रीस्तीयों के घरों को निशाना बनाया। 3 प्रेसबितेरियन गिरजाघर, 1 काथलिक गिरजाघर, 1 गोस्पल असेम्बली गिरजाघर और 1 साल्वेशन आर्मी गिरजाघर पर हमला किया गया है।
जब भीड़ ने धावा बोला तो जरनवाला से सैंकड़ों ख्रीस्तीयों को अपने घरों से भागना पड़ा। 31 वर्षीय ख्रीस्तीय यासीर भट्टी ने ए. एप. पी. एजेंसी को बतलाया, “उन्होंने खिड़की और दरवाजे तोड़ दिये तथा रेफ्रिजेरेटर, सोफा, कुर्सियों एवं अन्य घरेलू सामानों को गिरजाघर के सामने ढेर करके जला दिया। उन्होंने बाइबल को भी जलाया और उसका अपमान किया, वे निर्दयी थे।"
न्याय की आवाज के संयोजक पास्टर इमरान जावेद ने हमलों के प्रत्यक्षदर्शी हैं। उन्होंने एशियान्यूज को बतलाते हुए कहा कि स्थिति तनावपूर्ण है। उन्होंने जानकारी दी कि यह घटना तब और बढ़ गई जब कुरान और पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान के जवाब में त्वरित कार्रवाई की मांग करते हुए भीड़ स्थानीय मस्जिदों के बाहर जमा हो गई।
बढ़ती हिंसा के कारण व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दी हैं और प्रदर्शनकारियों ने कुछ महत्वपूर्ण चौराहों को अवरुद्ध कर दिया है। कानून प्रवर्तन अधिकारी व्यवस्था बहाल करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।
मुफ्ती मुहम्मद यूनिस रिज़वी के साथ कमांडर ने भीड़ को संबोधित किया, संयम बरतने की अपील की और प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया कि आरोपियों के खिलाफ तत्काल कदम उठाये जायेंगे। हालाँकि, इन प्रयासों के बावजूद, कुछ गुटों ने अत्यधिक कार्रवाई पर जोर देना जारी रखा है।
पाकिस्तान के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष एवं इस्लामाबाद - रावल पींडी के महाधर्माध्यक्ष जोसेफ अरसद ने जरनवाला में जो हुआ है उसकी कड़ी निंदा की है एवं पंजाब की सरकार से अपील की है कि वह हमले के अपराधियों के खिलाफ तुरन्त कारर्वाई करे।
धर्मप्रांत द्वारा जारी एक बयान में महाधर्माध्यक्ष ने लिखा है : “इन घटनाओं ने पाकिस्तान में रहनेवाले अल्पसंख्यकों के लिए असुरक्षा के रास्ते खोल दिये हैं। हमारे पूजा स्थल और हमारे लोग सुरक्षित नहीं हैं। इस दुखद घटना की पारदर्शी जांच होनी चाहिए ताकि कानून और न्याय की सर्वोच्चता फिर से स्थापित हो और धर्मों के प्रति सद्भाव और सम्मान के साथ एक बेहतर समाज का निर्माण हो सके।''
अंतरिम प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर - पाकिस्तान को चुनाव की ओर ले जाने के प्रभारी - ने हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई का आग्रह करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की।
फैसलाबाद धर्मप्रांत के न्याय एवं शांति आयोग के निदेशक फादर खालीद रशिद असी ने आगे की क्षति और अशांति से बचने के लिए पुलिस के तत्काल हस्तक्षेप और ख्रीस्तीयों के घरों आवासों एवं गिरजाघरों की सुरक्षा की मांग की।
उन्होंने एशियान्यूज से कहा, “जरनवाला की घटना दिखलाती है कि बढ़ते तनाव से निपटने की अति आवश्यकता है। मैं उदास हूँ, हमने हाल ही में अपनी चिंता व्यक्त की थी और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने की मांग की थी, स्वतंत्रता दिवस के एक दिन बाद ही हम एक क्रूर घटना को देख रहे हैं।”
"यही वास्तविक कारण है जिसके चलते हमारे देश के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं और यह कई राजनीतिक और वित्तीय समस्याओं का सामना कर रहा है।"
न्याय के लिए आवाज के अध्यक्ष जोसेफ जॉनसन ने गिरजाघरों एवं ख्रीस्तीयों के घरों पर हिंसक हमलों की कड़ी निंदा की है एवं किसी असाधारण न्यायिक कारर्वाई से पहले पूरी जाँच के महत्व को रेखांकित किया है।
धार्मिक असहिष्णुता और पूर्वाग्रह के प्रति बढ़ती प्रवृत्ति के कारण पाकिस्तान में अल्पसंख्यक धार्मिक समूहों के खिलाफ निराधार आरोप और उत्पीड़न बढ़ रहे हैं।
यहां तक कि अल्पसंख्यक संघ पाकिस्तान के अध्यक्ष ने भी गिरजाघरों और ख्रीस्तीय घरों पर हमलों की कड़ी निंदा की है। पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून, जो पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ईशनिंदा के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान रखता है, ख्रीस्तीयों के खिलाफ लक्षित उत्पीड़न का कारण बनता है, जिसका उपयोग अक्सर व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए किया जाता है।
फैसलाबाद के एक अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता नसीम एंथोनी कहते हैं कि जरनवाला की ख्रीस्तीय बस्ती पर भीड़ का हमला धार्मिक घृणा का एक अलग उदाहरण नहीं है।
उन्होंने कहा, "पूरे इतिहास में, भीड़ हिंसा के कई मामलों ने पाकिस्तान में ख्रीस्तीय बस्तियों को निशाना बनाया है: शांति नगर खानेवाल, बादामी बाग लाहौर, कोरियन गांव गोजरा फैसलाबाद, वारिसपुरा फैसलाबाद, युहाननाबाद लाहौर और सियालकोट। ये लोगों की पीट-पीट कर हत्या के अलावा ईशनिंदा के आरोपों के आधार पर माफिया के हमले हैं। एसएनपी प्रथाएँ जो पाकिस्तान में दुखद रूप से आम हो गई हैं, देश में सहिष्णुता, सद्भाव और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के लिए इन समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है।
एसएनपी प्रथाएँ जो पाकिस्तान में दुखद रूप से आम हो गई हैं, देश में सहिष्णुता, सद्भाव और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के लिए इन समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है।”
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