क्या कलीसिया युद्ध रोक सकती है? शांति पर पुस्तक
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 11 अगस्त 2023 (रेई, वाटिकन न्यूज़): शांति स्थापना में कलीसिया की क्या भूमिका हो सकती है? इस प्रश्न के जवाब में पचास से अधिक लोगों के साथ साक्षात्कार के उपरान्त इताली पत्रकार पियेरो दामासो ने इतिहास और तत्काल भविष्य में शांति के महत्व को रेखांकित कर एक पुस्तक लिखी है, जिसका प्रकाशन रोम के सन्त पौल प्रकाशन केन्द्र द्वारा किया गया है।
न्याय, एकजुटता, पृथ्वी की देखभाल, समावेशन और भाईचारा, यही है कलीसिया का शांति संदेश, जिसे सन्त पापा फ्रांसिस और उनके पूर्ववर्तियों द्वारा आगे बढ़ाया गया है। काथलिक कलीसिया की इसी असाधारण प्रतिबद्धता पर पत्रकार पियेरो दामोसो ने प्रश्न किया है: क्या कलीसिया युद्ध रोक सकती है? सन्त पापा जॉन 23 वें के "पाचेम इन तेर्रिस" अर्थात् धरती पर शांति के 60 साल बाद पत्रकार दामासो ने, विशेष रूप से, यूक्रेन में जारी युद्ध के मद्देनज़र अपनी पुस्तक में पुनः शांति पर सवाल उठाया है।
वाटिकन न्यूज़ से बात चीत में पत्रकार दामासो ने कहा, "आज कलीसिया दुनिया की एकमात्र शक्ति है जो वास्तव में यूक्रेन में संघर्ष को रोकने में सक्षम है।" उन्होंने कहा, "इस युद्ध के गतिरोध का सामना करते हुए, कलीसिया राजनयिक संबंधों को बुनने में कामयाब रही है जो इसे वास्तविक संदर्भ बिंदु बना सकता है, क्योंकि यह नहीं भुलाया जा सकता कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध वास्तव में ख्रीस्तीयों के बीच एक युद्ध है"।
सम्वाद और एकतावर्द्धक प्रयास
पत्रकार दामासो कहते हैं कि धर्मों के बीच वार्ता और ख्रीस्तीयों के बीच एकता का रास्ता सन्त पापा जॉन 23 वें ने द्वितीय वाटिकन महासभा के साथ ही प्रशस्त कर दिया था, जिसे बाद में सन्त पापा पौल षष्टम, सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा आगे बढ़ाया गया और अब सन्त पापा फ्राँसिस द्वारा आगे ले जाया जा रहा है।
इस प्रकार, दामासो ने कहा, ख्रीस्तीयों के बीच एकता के प्रयास "शांति निर्माण कूटनीति" बन जाते हैं और संवाद इसकी धुरी है। "संवाद एक मौलिक आधार है, जो आपसी मान्यता से शुरू होता है।" उन्होंने कहा, "अगर हम मानवता को बचाना चाहते हैं, तो हमें मन परिवर्तन करने में सक्षम होना चाहिए, एक बहुत ही सरल प्रश्न का सामना करना चाहिये, और वह यह कि दूसरा हमारा भाई है या नहीं? यही वह तात्कालिकता है जिसके लिए सन्त पापा फ्रांसिस अपने विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूती में हमसे आग्रह करते हैं। इसमें वे इस तथ्य की भी चेतावनी देते हैं कि "हम युद्ध की भयावहता को भूल रहे हैं"।
प्रार्थना का महत्व
पत्रकार दामासो ने कहा कि जैसा कि सन्त पापा फ्राँसिस आग्रह करते रहे हैं, हमें प्रार्थना की नितान्त आवश्यकता है। प्रार्थना की केन्द्रीय भूमिका है। "मैं दोहराना चाहता हूँ कि यह ईसाइयों के बीच एक युद्ध है। सभी ईसाइयों के लिए प्रार्थना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रार्थना में जीवन को बदलने की शक्ति होती है।
उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन दोनों देशों में माँ मरियम की भक्ति की महान परंपरा है। अगर हम विश्वास के साथ शांति की रानी मरियम को पुकारते हैं, तो मेरा मानना है कि हम और अधिक दृढ़ संकल्प के साथ शांति के रास्तों की तलाश कर पायेंगे।"
पाचेम इन तेर्रिस की प्रासंगिकता
इस नवीन पुस्तक का पहला अध्याय 60 साल पहले प्रकाशित सन्त पापा जॉन 23 वें के विश्व पत्र को समर्पित है, जो न केवल ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के लिये बल्कि विश्व के समस्त शुभचिन्तकों के प्रति संबोधित विषयों की असाधारण प्रकृति के कारण "उत्तर के सितारे" के रूप में परिभाषित किया गया है।
उन्होंने कहा, "यह अद्भुत विश्वपत्र हमें यह समझाता है कि हम सीमाओं के बिना दुनिया में नहीं रह सकते हैं, और अभिन्न निरस्त्रीकरण का यह परिप्रेक्ष्य ठोस रहा है, इसने दशकों से प्रगति की है। हालांकि, आज ऐसा प्रतीत होता है कि हम युद्ध की भयानक वास्तविकता के सामने हार मान रहे हैं।"
दामासो कहते हैं कि सन्त पापा फ्राँसिस हमें पाचेम इन तेर्रिस की शिक्षा की याद दिला रहे हैं। इसी सन्दर्भ में आठ साल पहले, 2015 में संयुक्त राष्ट्र संघीय महासभा में बोलते हुए, उन्होंने मानवता को कुछ सीमाओं का सम्मान करने में असमर्थता के खिलाफ चेतावनी दी थी। उन्होंने उस अवसर पर कानून की अवधारणा के एक अंतर्निहित विचार के रूप में शक्ति की सीमा" पर बात की थी, जिस पर ध्यान केन्द्रित करने की नितान्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "शांति स्थापित करने के लिए, हमें एक दूसरे के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है।"
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