भारत में धर्मविधि विवाद के बिगड़ने पर पोप प्रतिनिधि वापस लौटे
वाटिकन न्यूज
भारत, बुधवार, 23 अगस्त 2023 (ऊका न्यूज) : सिरो-मालाबार कलीसिया में दशकों पुराने विवाद को निपटाने के लिए नियुक्त वाटिकन प्रतिनिधि, अपनी अनुशासनात्मक कार्रवाइयों की स्थिति बिगड़ने के बाद रोम लौट गये हैं।
23 अगस्त को सिरो-मालाबार कलीसिया के एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "एर्नाकुलम-अंगामाली महाधर्मप्रांत के परमधर्मपीठीय प्रतिनिधि, महाधर्माध्यक्ष सिरिल वासिल, मिशन का पहला दौर पूरा करने के बाद रोम लौट गए।"
बयान में कहा गया है कि स्लोवाकिया के जेसुइट "पोप और पूर्वी रीति की कलीसियाओं के लिए गठित धर्मसंघ के अध्यक्ष को, सिरो-मालाबार धर्मसभा-अनुमोदित मिस्सा-बलिदान के समान तरीके को लागू करने में कठिनाइयों के बारे में अपने आकलन से अवगत कराएंगे।"
वासिल महाधर्मप्रांत के "परमधर्मपीठीय प्रतिनिधि के रूप में" बने रहेंगे और अपने मिशन के हिस्से के रूप में फिर आएंगे। इसमें कहा गया है, "आगे की कार्रवाई को अंजाम देने के लिए महाधर्मप्रांत में उचित तंत्र स्थापित किए गए हैं।"
महाधर्मप्रांत के पुरोहित और लोकधर्मी चाहते हैं कि मिस्सा के दौरान सभी समय पुरोहित विश्वासियों की ओर मूँह करें जैसा कि 1970 से उनकी परंपरा रही है।
एर्नाकुलम-अंगामाली महाधर्मप्रांत के कुछ पुरोहित एवं विश्वासी, पूर्वी रीति की कलीसिया के निर्णय लेनेवाले सर्वोच्च निकाय, धर्माध्यक्षों की धर्मसभा द्वारा अनुमोदित मिस्सा अनुष्ठान की विधि को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं। धर्मसभा-अनुमोदित ख्रीस्तीयाग के अनुसार पवित्र मिस्सा में यूखरिस्त प्रार्थना के दौरान पुरोहितों (अनुष्ठाता) को वेदी की ओर देखना है।
एर्नाकुलम-अंगामाली महाधर्मप्रांत को छोड़, कलीसिया के सभी 34 धर्मप्रांतों ने धर्मसभा-अनुमोदित मिस्सा विधि को लागू किया है।
सिरो-मालाबार कलीसिया के प्रमुख, कार्डिनल जॉर्ज एलनचेरी का धर्मप्रांत, दुनिया भर में कलीसिया के 5 मिलियन काथलिकों के आधे मिलियन अनुयायियों का घर है।
असंतुष्ट पुरोहितों का कहना है कि महाधर्माध्यक्ष वासिल 4 अगस्त को केरल की कलीसिया पहुँचे थे जिन्होंने कहा कि कहा कि उनका काम धर्मसभा-अनुमोदित ख्रीस्तयाग को लागू करना था और किसी भी बातचीत से इनकार कर दिया।
17 अगस्त को, धर्माध्यक्ष ने महाधर्मप्रांत के सभी पुरोहितों को 20 अगस्त से धर्मसभा-अनुमोदित सामूहिक प्रार्थना करने का आदेश दिया।
उन्होंने उन सभी गिरजाघरों को भी बंद करने का आदेश दिया, जहां विरोध के कारण धर्मसभा-अनुमोदित मिस्सा-बलिदान अर्पित नहीं किया जा सका।
वासिल ने उनके आदेश का बचाव करनेवाले पुरोहितों को बहिष्कृत करने की भी धमकी दी है।
इससे महाधर्मप्रांत में संकट और बढ़ गया है, 328 महाधर्मप्रांतीय पुरोहितों में से केवल छह ने उनके आदेश का पालन किया।
इसने वासिल को एक दर्जन वरिष्ठ पुरोहितों को बुलाने और उन्हें यह वचन देने का आदेश देने के लिए मजबूर किया कि वे केवल धर्मसभा-अनुमोदित ख्रीस्तयाग में ही भाग लेंगे, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया।
22 अगस्त को, महाधर्मप्रांत के प्रेरितिक प्रशासक, महाधर्माध्यक्ष एंड्रूस थजाथ ने, धर्मसभा द्वारा अनुमोदित मिस्सा की पेशकश नहीं करने के लिए धर्मप्रांत के सेमिनरी में चार कनिष्ठ पुरोहितों को हटा दिया।
उन्हें कोई नई नियुक्ति नहीं दी गई है बल्कि सेवानिवृत्त पुरोहितों के लिए समर्पित केंद्र में जाने के लिए कहा गया।
यह कदम उलटा पड़ गया जब काथलिकों ने धर्मसभा द्वारा अनुमोदित ख्रीस्तयाग का समर्थन करनेवाले सेमिनरी रेक्टर को बंद करके पुरोहितों का समर्थन किया।
21 अगस्त को, सिनॉड के धर्माध्यक्षों ने केरल राज्य के एर्नाकुलम स्थित माउंट संत थॉमस में 54 धर्माध्यक्षों के साथ धर्मसभा शुरू की।
धर्मप्रांतीय पुरोहित समिति के सचिव फादर कुरियाकोस मुंडादान और एक अन्य वरिष्ठ पुरोहित 22 अगस्त को माउंट संत थॉमस आए।
उन्होंने कलीसिया के मुख्यालय के अंदर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने की योजना की घोषणा की, जिसके लिए वासिल और थज़थ पर, उन पुरोहितों को निशाना बनाने का आरोप लगाया गया जिन्होंने उनका समर्थन नहीं किया। बाद में पुलिस ने पुरोहितों को हिरासत में लेकर रिहा कर दिया।
इस बीच, महाधर्मप्रांत के पूर्व प्रेरितिक प्रशासक, त्रिचूर के सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष जैकब थूमकुझी ने अपने साथी धर्माध्यक्षों से अपील की कि वे "महाधर्मप्रांत को विचाराधीन रूब्रिक (धर्मविधि) को स्वीकार करने या न स्वीकार करने का विकल्प सौपें।"
महाध्यमाध्यक्ष थूम्कुझी, जो 1999 में आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई मिस्सा धर्मविधि पर हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक हैं कहा, "धर्मसभा के अनुरोध पर परमधर्मपीठ द्वारा अपवाद दिया जाना चाहिए।"
महाधर्माध्यक्ष 26 अगस्त को समाप्त होनेवाली धर्मसभा की बैठक में भाग नहीं ले रहे हैं।
”महाधर्मप्रांत का पारदर्शिता आंदोलन, जो पुरोहितों, धर्मसमाजियों और विश्वासियों का एक निकाय है उसके प्रवक्ता रिजू कंजूकरन,जो विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं, कहा, “हम अपने रुख से पीछे नहीं हटेंगे। शायद, यह सिरो-मालाबार धर्मसभा के लिए अपनी गलती को सुधारने का आखिरी मौका है।”
कंजूजकरन ने 23 अगस्त को ऊका न्यूज से कहा, "हम अपने रुख पर कोई समझौता नहीं करेंगे और अगर वे हमारी मांग को मानने में विफल रहते हैं, तो हम सिरो-मालाबार कलीसिया से अलग हो जाएंगे और पोप के अधीन एक स्वतंत्र रीति या धर्मप्रांत के रूप में कार्य करेंगे।"
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