उद्यमशील काथलिक धर्मबहन फिल्म निर्माण के माध्यम से युवाओं के नजदीक
प्रशांति मंडापती
भारत, बुधवार, 6 सितंबर 2023 (रेई) : पश्चिमी भारतीय शहर मुम्बई में रहनेवाली एक काथलिक धर्मबहन जोसेफिना अल्बुकर्क ने आज के युवाओं के लिए एक सिनेमा प्रयास के साथ फिल्म उद्योग में उतरने की पहल की है।
उनकी उत्कृष्ट कृति को केवल दो दिनों में मोबाइल फोन पर निर्मित एक संक्षिप्त, लेकिन प्रभावशाली सात मिनट की फिक्शन फिल्म में प्रस्तुत किया गया है।
सिस्टर जोसफिना जीसस एंड मेरी धर्मसंघ की धर्मबहन हैं। वे एक शिक्षिका हैं और वर्तमान में मुम्बाई में बाइकुला स्थित संत अग्नेस उच्च विद्यालय की प्राधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षिका होने के साथ साथ उन्हें फिल्म बनाने का जुनून भी है। उनमें लेखन क्षमता का अभाव था, लेकिन वे सिनेमैटोग्राफी में सफल रहीं।
कोविड-19 लॉकडाउन ने उन्हें फिल्म निर्माण और संपादन के लिए आवश्यक कुछ कौशल सीखने का अवसर प्रदान किया।
अपनी यात्रा के दौरान वे आरे जंगल में रहनेवाले आदिवासी लोगों की जीवनशैली से प्रभावित हुईं। उनके अनुभव ने उन्हें "अंडर द बरगद ट्री : ए पाथ टू सेल्फ-डिस्कवरी" शीर्षक की डॉक्यूमेंट्री शूट करने के लिए प्रेरित किया। फिल्म एक इंजीनियर के जीवन का वर्णन करती है, जिसने मुंबई के आरे जंगल में रहने के लिए वित्तीय सुख-सुविधाओं को छोड़ दिया और लोगों को अपने अधिकारों के लिए खड़े होकर अपनी सच्ची पहचान खोजने के लिए शिक्षित किया।
सिस्टर जोसेफिना को उनके छायांकन कौशल के लिए प्रशंसा मिली, जब उन्होंने आरे जंगल में एक आदिवासी के अस्तित्व को दर्शानेवाली एक वृत्तचित्र का निर्माण किया।
वाटिकन न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में सिस्टर जोसफिना ने कहा, "मेरे धार्मिक समुदाय में युवा प्रेरिताई के प्रभारी के रूप में, मैंने देखा कि हमारे युवा अपना अधिकांश समय सोशल मीडिया पर व्यतीत करते हैं। मुझे लगा कि मैं केवल मीडिया और डिजिटल अध्ययन के साथ खुद को मजबूत करके ही उन तक पहुँच सकती हूँ। यही वह क्षण था जब मैंने फैसला किया कि मुझे एक पेशेवर फिल्म निर्माण कोर्स में दाखिला लेने की आवश्यकता है।”
वर्तमान में, एक स्कूल की प्राधानाध्यापिका के रूप में सेवारत होने के साथ-साथ, उन्होंने मुम्बई के बांडरा स्थित संत पौल के संचार केंद्र में पेशेवर फिल्म निर्माण कॉर्स में दाखिला लिया है। पेशेवर फिल्म निर्माण में कोर्स के हिस्से के रूप में उन्होंने बच्चों के जीवन पर फिल्म बनाने की प्रेरणा महसूस की।
सिस्टर जोसेफिना ने मुंबई के अंधेरी स्थित मरोल में सेंट जॉन द इवेंजेलिस्ट स्कूल में सीमित बजट पर "डी फॉर डंबो" का दस्तावेजीकरण किया। यह चौथी कक्षा के छात्र सैम की कहानी है, जिसका उपहास किया जाता है क्योंकि वह अपने सहपाठियों की तरह तेजी से गणित की तालिकाओं को दोबारा गिनने में असमर्थ है। हालाँकि, जब कोई अन्य प्रशिक्षक उन्हें कोई रचनात्मक कार्य सौंपता है, तो वह लड़का - जिसे कक्षा में डंबो कहा जाता है - अपने सहपाठियों से बेहतर प्रदर्शन करता है।
फिल्म ने बांडरा में संत पॉल संस्थान से सर्वोत्तम पुरस्कार प्राप्त किया। सिस्टर जोसेफिना को यह पुरस्कार मशहूर बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह से मिला। यह फिल्म वर्तमान में ऑनलाइन एएलपी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के रास्ते पर है।
सिस्टर जोसिफना के अनुसार, फिल्म का निर्माण सीमित संसाधन से किया गया और इसका विषय "किसी न किसी स्तर पर हर व्यक्ति से मेल खाता है। यह मेरे लिए बड़े आश्चर्य की बात थी जब नसीरुद्दीन शाह ने मेरे नाम पर प्रकाश डाला और कहा कि उन्होंने दीक्षांत समारोह के दौरान नायक के साथ पहचान की।"
उन्होंने पुरस्कार के बारे कहा कि यह उनकी "आस्था की मान्यता और पुष्टि है” कि उन्हें विश्वास है कि फिल्म निर्माण और शिक्षा के लिए अपने जुनून के माध्यम से, वे बड़े दर्शकों तक पहुंच सकती हैं।
सिस्टर जोसेफिना के अनुसार, “येसु ने उस समय के लोगों के साथ बातचीत के लिए दृष्टान्त का उपयोग किया था। आज के संदर्भ में, मेरा मानना है कि फिल्में ईश्वर के वचन को दुनिया तक फैलाने के सबसे प्रभावी साधनों में से एक हैं।”
एक चीनी कहावत के अनुसार, "हजारों मील की यात्रा एक कदम से शुरू होती है।" और यह कहावत सिस्टर जोसेफिना की कहानी में साकार हो गई है क्योंकि वे फिल्म की दुनिया में अपना पहला कदम रख रही हैं।
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