चापोतेरा के शहीद: मोजाम्बिक में दो शांतिप्रिय ईश सेवक
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 7 सितम्बर 2023 (रेई) : मोजाम्बिक के तेते धर्मप्रांत की विभिन्न पल्लियों से सैंकड़ों काथलिक जोबे के तीर्थस्थल पर 12 अगस्त को एकत्रित हुए और फादर जोवाओ दी देयूस कामतेदेजा तथा फादर सिल्वियो अल्वेस मोरेइरा को “चापोतेरा के शहीदों” के रूप में सम्मानित किया।
इस समारोह के साथ दोनों पुरोहितों की धन्य घोषणा एवं संत घोषणा का धर्मप्रांतीय चरण समाप्त हुआ।
धर्माध्यक्ष के शब्द
अपने उपदेश में तेते के धर्माध्यक्ष डियामनतिनो क्वापो अंतुनेस ने दो ईश सेवकों की सराहना की और कहा कि वे असाधारण चरवाहे थे जिन्होंने अपने लोगों के दुःखों को साझा किया, अथक रूप से शांति एवं मेल-मिलाप की खोज की एवं अपने मानवीय एवं आध्यात्मिक गुणों को ईश्वर एवं मानव की सेवा में अर्पित किया।
धर्माध्यक्ष के शब्द उन विश्वासियों के बीच बड़े जोर से गूंजे जो उन्हें याद करने आए थे।
धन्य घोषणा प्रक्रिया
धन्य घोषणा हेतु प्रक्रिया की शुरूआत 20 नवम्बर 2021 को हुई थी और इसमें तेते के धर्माध्यक्ष द्वारा नियुक्त एक आयोग के नेतृत्व में एक व्यापक जांच शामिल रही।
जनवरी 2022 से जून 2023 तक, आयोग ने समकालीन गवाहों का सावधानीपूर्वक साक्षात्कार किया, जो फादर जोवाओ डी देयूस कामतेदेजा और फादर सिल्वियो अल्वेस मोरेरा को उनके जीवनकाल के दौरान जानते थे।
इन गवाहों ने ईश्वर के इन दो सेवकों के जीवन, शहादत और प्रतिष्ठा के बारे में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। एकत्रित साक्ष्यों को, अभिलेखीय दस्तावेजों के साथ, 1,500 पृष्ठों के एक व्यापक दस्तावेज में संकलित किया गया।
धन्य घोषित करने की प्रक्रिया के अगले चरण में डोजियर या दस्तावेज को सील करना और इसे सीलबंद रूप में मोजाम्बिक में प्रेरितिक राजदूतावास के प्रतिनिधि, धर्माध्यक्ष पॉल एंटोनी को भेजना शामिल था। धर्माध्यक्ष एंटोनी बाद में आगे की जांच के लिए दस्तावेज को वाटिकन में संत घोषणा प्रकरण विभाग को भेजेंगे।
शहीदों की कहानी
इन दो जेसुइट पुरोहितों की मार्मिक कहानी 30 अक्टूबर 1985 की है जब मोजाम्बिक के चापोतेरा में उनके मिशन हाउस के पास उनकी दुखद मौत हुई।
मोजाम्बिक के मूल निवासी फादर जोवाओ दी देयूस गोंसाल्वेस कामतेदेजा का जन्म 8 मार्च, 1930 को तेते प्रांत के अंगोनिया में हुआ था। उन्होंने 1948 में जेसुइट सेमिनरी में प्रवेश किया, 1953 में पुर्तगाल के ब्रागा में अपनी धर्मसमाजी व्रतधारण किया और 15 अगस्त 1964 को उनका पुरोहिताभिषेक हुआ। अपने लोगों के लिए सुसमाचार प्रचार के प्रति उनके समर्पण के कारण वे मसालदजी, फोंते बोआ और सातेमवा सहित कई मिशन स्थानों में गये, जहाँ उन्होंने स्थानीय समुदायों की संस्कृति, भाषा और आध्यात्मिकता को पूरे दिल से अपनाया। 1983 में वे चापोतेरा चले गए जहाँ उन्होंने लिफ़िडज़ी और चाबवालो मिशन की देखभाल करना जारी रखा।
फादर सिल्वियो अल्वेस मोरेरा, जिनका जन्म 16 अप्रैल 1941 को पुर्तगाल के रियो मेओ-विला दा फेइरा में हुआ था। उन्होंने 1952 में जेसुइट सेमिनरी में प्रवेश किया और 1959 में धर्मसंघी व्रत लिया। 1968 से 1972 तक लिस्बन के काथलिक विश्वविद्यालय में ईशशास्त्र के अध्ययन के बाद, 30 जुलाई 1972 को पुर्तगाल के कोविल्हा, में उनका पुरोहिताभिषेक हुआ। फादर मोरेरा ने तेते धर्मप्रांत में अपनी मिशनरी यात्रा शुरू की, शुरुआत में ज़ोबे सेमिनरी में और बाद में मातुंदो पल्ली में काम किया। 1981 में वे मापुतो चले गए और मुख्य रूप से माटोला में एम्पारो पल्ली में सेवा दी। वे सितंबर 1984 में सेतेमवा, फोंते बोआ मिशन और अंत में चापोतेरा में लिफिडज़ी मिशन में जिम्मेदारी लेकर तेते धर्मप्रांत लौटे।
फादर सिल्वियो को उनकी साहसी और उद्यमशील भावना, मिशनरी जीवन के प्रति उनके जुनून और कठिनाइयों एवं जोखिमों के बीच भी खुशी खोजने की उनकी क्षमता के लिए जाना जाता है। दुःख की बात ये है कि 30 अक्टूबर 1985 को फादर सिल्वियो और फादर जोवाओ, लंबे और खूनी गृहयुद्ध के शिकार हो गए, जिसने मोजाम्बिक और उसके काथलिक समुदायों को पीड़ित किया।
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