खोज

राँची के स्वर्गीय कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की शोभा यात्रा राँची के स्वर्गीय कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की शोभा यात्रा 

कार्डिनल तेलेस्फोर : “हम जो कुछ हैं ईश्वर की कृपा से हैं”

राँची के ससम्मान सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर जिनका अंतिम संस्कार 11 अक्टूबर को सम्पन्न किया जाएगा, उन्हें न सिर्फ राँची की कलीसिया श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है बल्कि पूरी विश्वव्यापी कलीसिया याद कर, उनके लिए ईश्वर को अपना आभार प्रकट कर रही है, जिन्होंने कलीसिया के विश्वास को मजबूत करने के लिए अथक परिश्रम किया है। हम उनके एक साक्षात्कार को प्रस्तुत कर रहे हैं जिसको उन्होंने 2017 में वाटिकन रेडियो को दिया था।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

राँची, मंगलवार, 10 अक्टूबर 2023 (वीएन हिन्दी) : राँची के ससम्मान सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो एशिया के प्रथम कार्डिनल थे। उन्होंने 2017 में वाटिकन रेडियो को दिये साक्षात्कार में माता मरियम के प्रति भक्ति, विश्वास प्रशिक्षण की आवश्यकता, पोप से जुड़कर उन्हें अपना सहयोग देने आदि विषयों पर प्रकाश डाला है।

 कार्डिनल टोप्पो ने माता मरियम की भक्ति पर विशेष जोर दिया है। उनके अनुसार न केवल मई महीने में या शनिवार के दिन माता मरियम की भक्ति होनी चाहिए बल्कि उनकी भक्ति हमारे जीवन के कण-कण में भरा होना चाहिए।

कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की आवाज सुनें...

सवाल : हमें माता मरियम की भक्ति कैसे करनी चाहिए, बच्चों को माँ मरियम की भक्ति कैसे सिखायी जाए?

बचपन से ही अगर हम बच्चों को माँ मरियम की भक्ति नहीं सिखाएँगे और उदाहरण नहीं देंगे, संध्या वंदना नहीं करेंगे, तो पढ़ाने से केवल नहीं होगा, धर्मशिक्षा से केवल नहीं होगा...रोज-रोज का काम है, जीवन का काम है...इसलिए मैं सोचता हूँ कि माता मरियम की भक्ति हमारे कण-कण में, हमारे जीवन में भर जाए। मई महीने में केवल नहीं, शनिवार को केवल नहीं, लेकिन हम माँ मरियम के परिवार में जीते हैं, मसीही होने के नाते।

कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो
कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो

सवाल : अलग-अलग धर्मों के होते हुए भी हम किस प्रकार अपने विश्वास को अच्छी तरह जी सकते हैं? ख्रीस्तीयों के विश्वास का मूल क्या है?

विश्वास ही जीवन है। यह सबके लिए लागू होता है। आपको विश्वास के रूप में कौन सा वरदान ईश्वर ने दिया है। भले ही हम अलग-अलग धर्मावलम्बी होंगे। हमारे विश्वास अलग-अलग होंगे। लेकिन भगवान तो एक हैं। और वही हमको बनाया है। वही वरदान हमको दिया है और दे रहे हैं, तो उनसे हमारा जो संबंध है और जो कुछ हम अपने भाई-बहनों से सीखते हैं उसी के आधार पर हम अपना जीवन बनाते हैं। उसी के आधार पर हम अपना जीवन सही रास्ते पर लेंगे, जिससे लोग प्रेरणा पायेंगे।

इसलिए हम जो येसु में विश्वास करते हैं। माँ मरियम में विश्वास करते हैं। और क्यों हम विश्वास करते हैं उसका भी कारण है क्योंकि येसु हमारे लिए मर गये और जी उठे। ऐसी घटना तो कहीं हुई नहीं है, भले दूसरे लोग उसे नहीं जानते लेकिन हमारा काम है उसे दिखाना। केवल मुँह से शब्दों को बताना नहीं लेकिन हमें उसे जीना है। हमारे जीवन से लोग प्रेरणा पायेंगे। और बहुत सारे लोग उनको स्वीकार करेंगे।

राँची में हमारे हिन्दू भाई कहते हैं, अगर हम आदिवासी बच्चे-बच्चियों को देखेंगे तो जान जायेंगे कि कौन काथलिक बच्चा/ बच्ची है। क्योंकि उनके चेहरे पर ही रौनक है। मैं इसे अपनी ओर से नहीं कह रहा हूँ मुझे बताया गया है। ये सच है यदि लोग अच्छे काथलिक परिवार में बढ़ते हैं। और लोग माँ मरियम को जानते हैं येसु का नाम लेना जानते है, जोसेफ का नाम लेना जानते हैं तो वे भी उनके समान जीना चाहते हैं। उनके चेहरे पर कुछ दूसरा ही रौनक आप देखेंगे। इसलिए हमारा जो विश्वास है, संतों की संगति में हम रहते हैं। उनकी भक्ति करते हैं उसके आधार पर हमारा जीवन निश्चित रूप से दूसरों के लिए प्रेरणादायक रहता है। और रहेगा। क्योंकि विश्वास का वरदान जो ईश्वर की ओर से हम लोगों को मिला है वह मामूली नहीं है। हमलोगों को उसको अपनाना है, जीना है। उसकी घोषणा भी करना है अपने ही ढंग से। अपने विश्वास को छिपाना नहीं बल्कि दर्शाना है। ...जो कुछ हम हैं ईश्वर की कृपा से हैं।

कार्डिनल टोप्पो का पार्थिव शरीर
कार्डिनल टोप्पो का पार्थिव शरीर

सवाल: बदलती परिस्थितियों के बीच विश्वास को कैसे मजबूत रखा जा सकता है?

चुनौतियों को जीतना है क्योंकि जीवन ही तो संघर्ष है। विशेषकर, हम मसीही लोगों को अपने विश्वास में सुदृढ़ रहने का प्रयास करते रहना है। हर स्तर के लोगों को उनके अनुसार प्रशिक्षित करना है। बच्चों को बच्चों के स्तर पर, बड़ों को या माता-पिताओं को उनके स्तर पर विश्वास प्रशिक्षण में जोर देना है। विश्वास अपने से नहीं बढ़ेगा, यह ईश्वर का वरदान है, उसको बढ़ाने के लिए लोगों को प्रशिक्षित करना है। इसलिए फादर, सिस्टर लोग हैं, प्रचारक हैं, और हर पल्ली में विश्वास प्रशिक्षण किस तरह चलाते देते हैं उसपर ध्यान देना जरूरी है। अगर हमलोग मसीही होकर विश्वास प्रशिक्षण में ध्यान नहीं देंगे, तो हमारा प्रशिक्षण अधूरा ही है। मेरे ख्याल से विश्वास प्रशिक्षण को पहले नम्बर पर रखना होगा। अभी जिस तरह परिस्थिति बदल रही है...हम चाहेंगे कि हमारे मसीह लोग मसीही जीवन जी सकें। हमें वरदान के रूप में ईश्वर से विश्वास मिला है जिसमें हम बढ़ रहे हैं, उसे छोड़ा नहीं जा सकता। इसलिए उसमें और मजबूत होना है। कठिनाईयाँ होंगी, जैसे हमारे पूर्वजों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, वैसे ही हम भी, कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार हैं और तैयार रहेंगे।

सवाल : कलीसिया के विश्वास को मजबूत करने के लिए कलीसिया के किस पक्ष पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है?

कार्डिनल तेलेस्फोर टोप्पो की आवाज सुनें...

हर स्तर पर जैसे - बच्चों को परमप्रसाद द्वारा, शादी की तैयारी करना भी बिलकुल जरूरी है। और इसे सही ढंग से करना चाहिए। विश्वास की बात को सीखना केवल नहीं लेकिन जीना है। इसलिए सोचना है कि इस बदलती परिस्थिति में हम अपने बच्चों को किस तरह मजबूत बना सकते हैं। ईश्वर के साथ उनका लगाव किस तरह बना रहे, उस पर ध्यान देना है। लोगों को इतना मजबूत बनाना है कि वे जहाँ कहीं भी रहें अपने विश्वास में मजबूत बने रहें क्योंकि विश्वास ही जीवन है। इस विश्वास को वे घर में घराना विन्ती से सीख सकते हैं। यदि लगातार विन्ती होती है तो वहीँ विश्वास प्रशिक्षण होता है। उससे हम धीरे-धीरे बढ़ते हैं।

संत पापा फ्राँसिस से आशीष लेते हुए
संत पापा फ्राँसिस से आशीष लेते हुए

सवाल: पोप के साथ हमें क्यों जुड़कर रहना चाहिए और स्थानीय कलीसिया में पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं प्रचारकों की क्या जिम्मेदारी है?

रोम में पोप फ्राँसिस के बारे जो समाचार छापे जाते हैं उनके संदेश को प्रसारित करने का प्रयास किया जाता है, हमारे स्थानीय कलीसिया में नहीं मिल पाता है। राँची में हम उनके संदेश को बहुत कम पाते हैं। इसलिए इसको ध्यान देने के लिए...हम फादरों, सिस्टरों, प्रचारकों का काम है कि कम से कम मूल चीजों को ...विशेष अवसरों पर उनके संदेशों को...उनकी खबरों, उनके संदेश की मूल बातों को लोगों तक पहुँचाना चाहिए। बड़ों को और बच्चों को, पल्ली में काथलिक सभा, महिला संघ आदि के बीच इसको फैलाना उचित और आवश्यक है। क्योंकि उसके बिना हमलोग संत पापा से भी कटे रहेंगे। अपने गाँव, पारिश, गिरजा में थोड़ा सुनेंगे उतना ही काफी नहीं है। आज जैसी दुनिया बदल रही है बहुत सारी परिस्थिति बदल चुकी है वैसी परिस्थिति में हम कैसे दृढ़ रह सकेंगे। यदि हम विश्वास को नहीं बना सकेंगे, किसी भी परिस्थिति में अगर हम उसका सामना नहीं कर सकेंगे अपने विश्वास को जीते हुए तो हमारा विश्वास प्रशिक्षण कमजोर हो गया है। हम नहीं टिक सकेंगे और लोगों को भी नहीं टिका सकेंगे। इसलिए विश्वास प्रशिक्षण को ध्यान देना एकदम जरूरी है। संत पापा की बात को हम रोज रोज नहीं सुन सकेंगे लेकिन जब कभी हम उनका संदेश पाते हैं तो उसे लोगों को बताना चाहिए। मैं सोचता हूँ कि हमलोग इसको बहुत अच्छा से नहीं कर पाये हैं। हमलोग अपना-अपना देख रहे हैं। राँची में धर्मबहनों का करीब 68 धर्मसमाज है और 15 पुरूषों का धर्मसंघ है (2017 के अनुसार)। लेकिन हमलोग क्या कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि हमलोग अपनी-अपनी ही ढफली बजाते रह जा रहे हैं। इसलिए विश्वास प्रशिक्षण जरूरी है। माता-पिता अनपढ़ होते हुए भी विश्वास को सुने, समझे और अपनाये, और अनपढ़ होते हुए भी हम लोगों को यहाँ तक पहुँचा दिया। तो उनसे हम लोगों को सीखना है। जो विश्वास है उसमें पक्के होकर हम उसे दूसरों को बांटते हैं। न केवल किताब पढ़कर लेकिन विश्वास जो हमारे दिल को छूता है और हम उसके अनुसार जीने का प्रयास करते हैं और जीने का प्रयास करने के लिए प्रेरणा देते हैं। जब लोगों के साथ उठते-बैठते हैं, तो उस तरह से हम विश्वास को बांटते हैं। ये करना जरूरी है। संत पापा जो बतला रहे हैं उनकी बातों से प्रेरणा लेनी चाहिए और हम जिस किसी तरीके से सहयोग कर सकते हैं विश्वास प्रशिक्षण में उन्हें हाथ बटाना है। और हाथ बटाना जरूरी है।

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू से मुलाकात करते कार्डिनल टोप्पो और अन्य बिशपगण
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू से मुलाकात करते कार्डिनल टोप्पो और अन्य बिशपगण

       

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

10 October 2023, 10:15