भारत के युवा - संत पापा के साथ मिलकर मध्य पूर्व के लिए प्रार्थना
वाटिकन न्यूज
गुवाहाटी, बुधवार 25 अक्टूबर 2023 (फ़ीदेस) : जातीय और सांस्कृतिक विविधता, बहुलवाद, विभिन्न भाषाएँ और मूल ऐसी संपत्ति है जिसे संवाद, पारस्परिक आदान-प्रदान, व्यक्तिगत और सामुदायिक विकास, शांति, न्याय, विकास, कल्याण के विशाल क्षितिज के लिए खुलेपन को बढ़ावा देने के लिए खर्च किया जाना चाहिए। इन्हीं भावनाओं के साथ भारतीय काथलिक युवा आंदोलन (आईसीवाईएम) के युवाओं ने पूर्वोत्तर भारत के भारतीय राज्य असम के एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान गुवाहाटी शहर में अपना पांचवां राष्ट्रीय सम्मेलन आज 25 अक्टूबर को शुरू किया।
मणिपुर में संघर्ष
सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनामपारापिल ने बताया कि असम के पड़ोसी राज्य मणिपुर में संघर्ष की मजबूत गूँज देखी जा रही है, जो अंतर-जातीय हिंसा से ग्रस्त है। संघर्ष की शुरुआत के पांच महीने बाद, जो 3 मई को कुकी और मैतेई जातीय समूहों के बीच शुरू हुआ, अनुमानतः 200 लोग मारे गए हैं और 60,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं। स्थानीय आबादी न्याय संबंधी मुद्दे उठाती है, जो हिंसा फैलने का स्रोत हैं, जो पृष्ठभूमि में रहते हैं और अभी भी तनाव और झड़पें पैदा कर सकते हैं। विभिन्न राज्यों, जातीय समूहों और संस्कृतियों के भारतीय युवा, सह-अस्तित्व और सद्भाव की गवाही के साथ, उत्तर-पूर्व भारत के पीड़ित क्षेत्र में शांति का संदेश भेजना चाहते हैं।
तीन दिवसीय सम्मेलन
भारत भर के 132 धर्मप्रांतों के 450 धर्मप्रांतीय प्रतिनिधि, देश के 14 क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए, सम्मेलन में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। उनका साथ और नेतृत्व गुवाहाटी के महाधर्माध्यक्ष, जॉन मूलाचिरा और बरेली के धर्माध्यक्ष और भारतीय लैटिन धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के युवा आयोग के अध्यक्ष इग्नासियुस डिसूजा कर रहे हैं। जैसा कि भारतीय लैटिन धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के उप महासचिव फादर स्टीफन अलाथारा ने बताय कि, युवाओं ने तुरंत अपनी अनूठी परंपराओं और सांस्कृतिक विविधता पर प्रकाश डाला, स्थानीय युवाओं को शामिल करने और "अपने उत्साह से समाज को अनुप्रणित करने और पूरे देश में खुशी एवं शांति का माहौल लाने का प्रयास किया।”
वास्तव में, भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के 15 धर्मप्रांत बैठक के नायक हैं, जिसका उद्देश्य सामाजिक और राजनीतिक प्रकृति का आशा का संदेश देना भी है: क्षेत्र के राजनीतिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति में, युवा काथलिकों ने सबसे बड़ी भलाई, शांति की रक्षा के लिए एक गंभीर और स्थायी प्रतिबद्धता की मांग की है। यह संदेश न केवल भारतीय राष्ट्र को छूता है, बल्कि पूरी दुनिया को भी छूता है: सम्मेलन वास्तव में 27 अक्टूबर को समाप्त होगा और युवा लोग संत पापा एवं विश्वव्यापी कलीसिया के साथ मिलकर, मध्य पूर्व में शांति के लिए प्रार्थना में शामिल होंगे। वे सभी परिस्थितियों में, "कारीगर और शांति के निर्माता" होने के लिए प्रतिबद्ध है और इज़राइल और फिलिस्तीन के युवा लोगों के प्रति गहरी सहानुभूति रखते हैं।
संघर्षों से घिरा पूर्वोत्तर भारत
पूर्वोत्तर भारत एक बहुत ही अस्थिर क्षेत्र है, जो कई संघर्षों से घिरा हुआ है, विशेष रूप से विभिन्न जनजातियों और जातीय समूहों के बीच, लेकिन सरकार के स्थापित स्वरूपों के खिलाफ विद्रोह की आग से भी। भारतीय संघीय सरकार पर अक्सर स्थानीय आबादी को बदले में कुछ दिए बिना स्थानीय संसाधनों (खनिज, चाय, लकड़ी और तेल) का शोषण करने का आरोप लगाया जाता है। इस क्षेत्र में, सात राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा, साथ ही सिक्किम और पश्चिमी बंगाल का उत्तरपूर्वी भाग शामिल हैं, काथलिक कलीसिया कुल 15 धर्मप्रांतों में संगठित है और लगभग 1.2 मिलियन बपतिस्मा प्राप्त लोगों की काथलिक आबादी है। सेवानिवृत महाधर्माध्यक्ष थॉमस मेनामपरमपिल द्वारा बनाई गई "शांति टीम" एक ऐसी उपस्थिति है जिसने इस क्षेत्र में महत्व प्राप्त किया है और जिसे इस रूप में मान्यता प्राप्त है। 20 से अधिक वर्षों की गतिविधि में इस समूह ने जातीय, आदिवासी, धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक संघर्षों के कई मामलों में मध्यस्थता की भूमिका निभाई है।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here