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2023.11.20 जमगई में ‘हाले की माता मरियम को समर्पित नया गिरजाघऱ’ 2023.11.20 जमगई में ‘हाले की माता मरियम को समर्पित नया गिरजाघऱ’  

राँची महाधर्मप्रांत के जमगई में नये तीर्थालय का उद्घाटन समारोह

19 नवम्बर 2023 को छोटानागपुर के प्रेरित ईश सेवक कॉस्टेंट लींवस के प्रथम कार्यस्थल जमगई में ‘हाले की माता मरियम के नये तीर्थालय’ के उद्घाटन पर पवित्र मिस्सा समारोह का आयोजन किया गया था। जिसकी अगुवाई राँची धर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो येसु समाजी ने की और इसे परम पिता ईश्वर और छोटानागपुर की कलीसिया के लिए समर्पित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 20 नवम्बर 2023 (वीएन न्यूज) : “2023 छोटानागपुर की कलीसिया के लिए ईश्वरीय कृपा का वर्ष है। इस वर्ष हम ईश सेवक फादर कॉस्टेंट लींवस छोटानागपूर के प्रेरित की 130वीं पुण्य तिथि मना रहे हैं। आज 19 नवम्बर 2023 को जमगाई की इस पुण्यभूमि पर जहाँ फादर लीवंस के कदम पड़े, हम जमा हुए हैं। हाल्ले की माता मरियम का तीर्थालय परम पिता ईश्वर और छोटानागपुर की कलीसिया के लिए समर्पित है। यह तीर्थालय एड टू द चर्च न नीड जर्मनी, प्रोपागांदा फीदे रोम, हमारे पुरोहितों, धर्मसंघियों और ईश्वर की प्रजा की उदारता का एक उपहार है। यह तीर्थालय राँची के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो एस.जे. द्वारा ईश्वर की प्रजा के लिए समर्पित किया जाएगा। इस समारोह में हमारी कलीसिया के चरवाहों की गरिमा मयी उपस्थिति है हमारे साथ राँची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो एस.जे., सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर मस्करेंहास एफ.एस.एक्स., पटना के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूजा, दुमका के धर्माध्यक्ष जुलियुस मरांडी, सिमडेगा के धर्माध्यक्ष विंसेन्ट बरवा, हजारीबाग के धर्माध्यक्ष आनंद जोजो, अंडामन के धर्माध्यक्ष विश्वासम सिल्वाराज, गुमला के प्रेरितिक प्रशासक लिनुस पिंगल एक्का हैं। मैं राँची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो एस.जे., सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर मस्करेंहास एफ.एस.एक्स और कलीसिया के नाम पर सभी गणमान्य अतिथियों और विश्वासियों का इस समारोह में हार्दिक स्वागत करता हूँ।” यह कहते हुए राँची प्रोविंस के प्रोविंसियल फादर अजीत कुमार खेस येसुसमाजी ने पवित्र मिस्सा बलिदान के मुख्य अनुष्ठाता महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स को आगे की धर्मविधि के लिए आमंत्रित किया।

इसके बाद गिरजाघर के निर्माणकर्ताओं के प्रतिनिधियों और सुनील शाह द्वारा गिरजाघऱ की कुँजी के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो के हाथों सौप दिया। महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो ने फीता काटकर उद्घाटन किया और धर्माध्यक्ष जुलियुस मरांडी ने स्मारक शिला का अनावरण किया। आदिवासी नृत्य करते हुए महिलाओं ने धर्माध्यक्षों और पुरोहितों को बलिवेदी तक पहुँचाया।

महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो ने फीता काटकर नये गिरजाघऱ का उद्घाटन किया
महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो ने फीता काटकर नये गिरजाघऱ का उद्घाटन किया

महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स ने पवित्र मिस्सा की शुरुआत करते हुए कहा, ईश्वर की पावन कलीसिया में आप सबको कृपा ओर शांति प्राप्त हो। हम हर्षित मन से यहाँ एकत्रित हुए हैं, ख्रीस्तयाग चढ़ाकर नये गिरजाघऱ का प्रतिष्ठान करें। विश्वास के साथ ईश्वर का बचन सुनकर हम इन पावन विधियों में भक्तिपूर्वक भाग लें जिससे हमारे समुदाय एक ही बपतिस्मा कुंड से जन्म पाकर और एक ही भोजन से पोषित होकर एक आध्यत्मिक भवन बन जायें और एक ही बेदी के चारों ओर एकत्र होकर दिव्य प्रेम के प्रभाव से विकसित होते जाएँ। इतना कहने के बाद महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स ने सामने रखे दो नये घड़ों में रखे जल पर आशीष की प्रार्थना पढ़ी। उस पवित्र जल को बलिवेदी पर, गिरजाघऱ की दिवारों पर और सभी विश्वासियों पर छिड़का गया, जो बड़ी संख्या में गिरजाघर के प्राँगण में थे।

प्रेरिताई के प्रथम स्थान से प्रेरणा लोने की आवश्यकता

वचन समारोह के बाद हजारीबाग के धर्माध्यक्ष ने अपना प्रवचन इब्रानियों के नाम पत्र 1,1-2 पढ़ते हुए शुरु की, प्रचीन काल में ईश्वर बारंबार और विविध रुपों में हमारे पुरखों से नबियों द्वारा। बोला था। अब अंत में ....उत्तरदायी नियुक्त किया। उन्होंने कहा, "धर्मग्रंथ का यह वचन आज हमारे कलीसियाई जीवन में विशेष रुप से आदिवासी कलीसियाई जीवन में बिल्कुल सही उतरता है। हमारे आदिवासी पुरखे गुलामी जीवन जी रहे थे। एक ओर अशिक्षा तो दूसरी ओर गरीबी और अन्य प्रकार के गुलामी उन्हें पूरी तरह कमजोर बना दिया था। ऐसी परिस्थिति में ईश्वर ने अपनी दया दिखाई और उनके पास आये। सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने ईश्वर को स्वीकार किया और सिंगबोंगा, धर्मेस, पोनोमोसोर आदि नामों से पुकारने लगे। उनके संचालन में चलने का प्रयत्न किया और इस तरह हमारे पुरखों के जीवन में परिवर्तन आने लगा। धर्माध्यक्ष ने 8 नवम्बर की उस बड़ी घटना का भी जिक्र किया जब काथलिक कलीसिया खुँटपानी में हमारे 28 पूर्वजों के प्रथम बपतिस्मा ग्रहण करने की 150 वर्षगाठ बड़े धूमधाम से मनाया गया। हमारे विश्वास के जीवन इतिहास में एक और महत्वपूर्ण घटना 18 मार्च 1885 को फादर कॉस्टेंट लींवस का डोरंडा में आगमन हुआ और एक दिन बाद 19 मार्च को उन्होंने इसी जमगाई गांव में पवित्र आत्मा की प्रेरणा एवं शक्ति से अपनी प्रेरिताई कार्य शुरु किया और इसके बाद वे कर्रा, तोरपा, बसिया, बेड़ो और दिघिया होते हुए बेंदोरा बारवे चले गये। इसी स्थान पर आदिवासियों के बीच शुरु किया गया फादर लीबंस का मिशन आदिवासी कलीसिया बृहद रुप से मजबूताई के साथ आगे बढ़ रही है। इसलिए आज हमलोगों के लिए अपने पूर्वजों के गौरवशाली जीवन इतिहास को याद करते हुए ईश्वर को धन्यवाद देने का का दिन है। ईश सेवक कॉस्टेंट लींवस के प्रेरिताई के प्रथम स्थान से हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता कि हम भी उनके समान वचन की सेवा में समर्पित हो सकें।"

वेदी और गिरजाघर का अभिषेक पवित्र क्रिस्मा तेल से वेदी को अभियंजित करते हुए धर्माध्यक्षगण
वेदी और गिरजाघर का अभिषेक पवित्र क्रिस्मा तेल से वेदी को अभियंजित करते हुए धर्माध्यक्षगण

वेदी और गिरजाघर का अभिषेक

पवित्र मिस्सा के दौरान मुख्य अनुष्ठाता ने वेदी पर संत मदर तेरेसा के अवशेष को रखा। फिर वेदी और गिरजाघर के दिवारों को पवित्र क्रिस्मा तेल से अभियंजित करके वेदी और गिरजाघर का अभिषेक किया गया जिससे गिरजाघर ख्रीस्त और कलीसिया के रहस्य को दृश्य चिन्ह द्वारा प्रकट कर सके। नई आग द्वारा पवित्र वेदी और गिरजाघरों की दीवारों पर धूप अर्पण किया गया। इस वेदी और गिरजाघर से हमारी प्रार्थनाएँ इसी धूप की तरह प्रभु की ओर उठती रहे और ख्रीस्त की सुगंध चारों ओर फैले। 

पवितर मिस्सा समारोह
पवितर मिस्सा समारोह

धर्माध्यक्ष विंसेन्ट बरवा ने गिरजाघर के पवित्र संदूक की आशीष की प्रार्थना पढ़ी। पवित्र संदूक में पवित्र परमप्रसाद को रखा और पवित्र संस्कार की आराधना धर्मविधि की अगुवाई की। समारोही अंतिम प्रार्थना के बाद फादर नीलम तिड़ू की अगुवाई में ईश सेवक फादर लीबंस के धन्य घोषणा की प्रार्थना की गई।

हाले की माता मरियम

जमगाई का यह नया गिरजाघऱ हाले की माता मरियम को समर्पित है। हाल्ले बेल्जियम का एक छोटा शहर है। हाल्ले की माता मरियम की भक्ति तब शुरु हुई जब 1267 में हंगरी की संत एलिजाबेद ने अपनी बेटी सोफिया को माता मरियम की एक प्रतिमा भेंट की। बाद में इसे हाले के संत मार्टिन गिरजाघर में रखा गया, जहाँ आज भी बहुत सम्मान दिया जाता है। कहा जाता है कि हाल्ले शहर को माता मरियम की मध्यस्ता से 1485 और 1580 के युद्ध से बचाया गया। तोप के धुओं से माता मरियम काली हो गई।  

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20 November 2023, 17:01