कार्डिनल क्यूपिक : डीडीएफ घोषणापत्र आशीष पर ‘एक कदम आगे’
वाटिकन न्यूज
इस बात पर जोर देते हुए कि कलीसिया को अनियमित परिस्थितियों में लोगों के प्रति एक प्रेरितिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है - जिसमें समलैंगिक संबंध भी शामिल है - कार्डिनल ब्लेज़ क्यूपिक का कहना है कि शिकागो के महाधर्मप्रांत फिदूचा सुप्लिकान्स की घोषणा का स्वागत करते हैं "जो हमारे समुदाय में कई लोगों को ईश्वर की निकटता और करुणा महसूस करने में मदद करेगा।”
विश्वास के सिद्धांत के लिए विभाग द्वारा सोमवार को प्रकाशित, घोषणापत्र "आशीष के प्रेरितिक अर्थ पर" विभिन्न प्रकार के आशीषों के बीच अंतर करता है, और उन परिस्थितियों को इंगित करता है जिनमें पुरोहित अनियमित स्थितियों में लोगों को आशीर्वाद दे सकते हैं, जिसमें समलैंगिक यौन संबंध भी शामिल है।
महाधर्मप्रांत के वेबसाइट पर एक बयान में कार्डिनल क्यूपिक ने कहा है कि घोषणापत्र के केंद्र में, "पुरोहितों के लोगों के लिए उपलब्ध होने हेतु एक प्रेरितिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान है" जो अपनी स्थिति को वैध किये बिना, अपने जीवन में ईश्वर की मदद और उपस्थिति की आवश्यकता को पहचानते हैं।
कार्डिनल कहते हुए कि " घोषणापत्र एक कदम आगे है," यह पोप फ्राँसिस की "लोगों को प्रेरितिक रूप से साथ देने की इच्छा" और "येसु की उन सभी लोगों के लिए मौजूद रहने की इच्छा" दोनों को ध्यान में रखते हुए है जो अनुग्रह और सहायता की इच्छा रखते हैं।"
कार्डिनल क्यूपिक ने गौर किया कि घोषणापत्र विवाह के बारे में कलीसिया की पारंपरिक शिक्षा को बनाए रखता है, जो पोप फ्रांसिस के पहले के बयानों से मेल खाता है जो दर्शाता है कि किसी भी स्थिति में कलीसियाई अधिकारियों के लिए "लगातार और आधिकारिक तौर पर प्रक्रियाओं या अनुष्ठानों को स्थापित करना" उचित नहीं है।
शिकागो के महाधर्माध्यक्ष ने इस बात पर भी जोर दिया है कि विभाग का आग्रह है कि अनियमित परिस्थितियों में व्यक्तियों का आशीर्वाद कभी भी नागरिक संघ के समारोहों के दौरान या उसके संबंध में नहीं दिया जाना चाहिए, न ही किसी शादी के लिए उचित शब्दों या कार्यों के साथ; और कि यह अनियमित स्थितियों वाले व्यक्तियों और समलैंगिक संबंधों वाले लोगों, दोनों पर लागू होता है।
अतः इस प्रकार की आशीष को अन्य पृष्टभूमि में, इस समझदारी के साथ लिया जाना चाहिए कि उन परिस्थितियों में आशीष देकर, "किसी भी चीज को वैध बनाने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि किसी के जीवन को ईश्वर के लिए खोलना, बेहतर जीवन जीने के लिए उसकी मदद माँगना और पवित्र आत्मा का आह्वान करना भी है ताकि मूल्यों को आगे बढ़ाया जा सके एवं सुसमाचार को अधिक निष्ठा के साथ जिया जा सके।”
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