कलकत्ता के महाधर्माध्यक्ष डीसूजा ने पोप के ‘जयंती वर्ष द्वार’ का उद्घाटन किया
वाटिकन न्यूज
क्रिसमस चरनी के अनावरण और बालक येसु को पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद, महाधर्माध्यक्ष डिसूजा एवं मुख्यमंत्री बनर्जी ने महागिरजाघर के ‘जयंती वर्ष द्वार’ का उद्घाटन किया।
देवदूत संदेश की विषयवस्तु पर आधारित 12 फीट ऊंचे और 8 फीट चौड़े द्वार को, पोप फ्राँसिस की हालिया घोषणा को ध्यान में रखते हुए स्थापित किया गया है कि कलीसिया 2025 में 'आशा के तीर्थयात्रियों' की विषयवस्तु के साथ जयंती वर्ष मनाएगी।
पोप फ्राँसिस ने काथलिकों को जयन्ती वर्ष के लिए तैयारी हेतु वाटिकन द्वितीय महासभा के चार संविधानों के अध्ययन में समय निकालने की सलाह दी है।
देवदूत संदेश – कुँवारी मरियम के येसु को अपने गर्भ में धारण करने - की विषयवस्तु को कांस्य परिष्कृत रूप में तैयार करने का विचार चर्च आर्ट के एक युवा छात्र पार्थाब्रता गांगुली द्वारा संकल्पित और क्रियान्वित है। कोलकाता स्थित रचनात्मक चर्च आर्ट एक कंपनी है जो विहित कानूनों के साथ पवित्र एवं गूढ़ कला कार्य में विशिष्ठता हासिल करने का अवसर देती है।
जयन्ती वर्ष पवित्र द्वार
पवित्रतम रोजरी महागिरजाघर के विकर फादर फ्रैंकलिन मेनेजेस ने कहा, “संघर्षों और हिंसा से प्रभावित इस समय में, जयंती वर्ष पवित्र द्वार का महत्व और भी अधिक गहरा हो जाता है। यह उथल-पुथल के बीच आशा, मेल-मिलाप, दया और शांति के प्रतीक के रूप में खड़ा है। ”
पवित्र द्वार युद्ध एवं घृणा के सामने मेल-मिलाप एवं क्षमाशीलता का प्रतीक है। यह घावों को चंगा करने एवं संघर्षग्रस्त दलों के बीच समझदारी को बढ़ावा देने के महत्व की याद दिलाता है। पवित्र द्वार दिव्य करुणा एवं दयालुता का प्रवेश द्वार है। यह आसपास के उथल-पुथल के बावजूद प्रत्येक व्यक्ति एवं समुदाय को सांत्वना क्षमाशीलता एवं कृपा पाने का निमंत्रण देता है। यह द्वार एकता एवं एकजुटता के लिए भी आमंत्रित करता एवं विश्वासियों को नवीनीकरण का अवसर देता है, साथ ही घृणा एवं भेदभाव को पीछे छोड़कर, प्रेम, समझदारी एवं मेलमिलाप की और एक परिवर्तनकारी यात्रा में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन देता है।
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