मिशनरी और प्रवासी: सिरो-मालाबार कलीसिया की एक झलक
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार, 13 जनवरी 2024 : लगभग पाँच मिलियन विश्वासियों के साथ, सिरो-मालाबार कलीसिया रोम के साथ पूर्ण रूप से जुड़ी दूसरी सबसे बड़ी पूर्वी कलीसिया है। अपनी उत्पत्ति प्रेरित संत थॉमस से लगाते हुए, कलीसिया ने अपना नाम पूर्वी सिरिएक धर्मविधि (अडाई और मारी की दिव्य धर्मविधि) के उपयोग और अपनी धार्मिक भाषा के रूप में सीरियाई बोली के उपयोग से लिया है और इसकी स्थापना "मालाबार" में हुई, जो अब भारतीय राज्य केरल है।”
इस सप्ताह की शुरुआत में, सिरो-मालाबार धर्माध्यक्षों की धर्मसभा ने एक नए मेजर महाधर्माध्यक्ष, राफेल थाट्टिल को चुना, जो संत पापा फ्राँसिस की पुष्टि के साथ सिरो-मालाबार कलीसिया के "पिता और प्रमुख" बन गए।
यूरोप में सिरो-मालाबार के विश्वासियों के समन्वयक जनरल फादर क्लेमेंट पदाथिपराम्बिल जो वाटिकन रेडियो के कार्यालय में आए थे, ने बताया, "प्रमुख वह है जो लोगों का नेतृत्व करता है... पिता वह है जो अपनों की परवाह करता है, साझा करता है और प्रार्थना करता है। सिरो-मालाबार कलीसिया एक ‘सुई यूरिस’ (स्वायत) कलीसिया है। यह एक स्वायत्त कलीसिया है जिसका अपना इतिहास, अपनी पूजन-पद्धति, अपनी आध्यात्मिकता, परंपरा, धर्मशास्त्र है और निःसंदेह, सभी पूर्वी कलीसियाओं के साथ मिलकर, हमारे पास विहित अनुशासन है।"
एक प्रवासी कलीसिया
फादर क्लेमेंट आगे कहते हैं कि सिरो-मालाबार कलीसिया एक मिशनरी कलीसिया है "और यह एक प्रवासी कलीसिया भी है, क्योंकि सिरो-मालाबार काथलिकों में से एक तिहाई केरल के बाहर हैं।" संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और महाद्वीपीय यूरोप में समुदायों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने नोट किया कि केरल राज्य की तुलना में केरल के बाहर अधिक धर्मप्रांत हैं। पूरे यूरोप में हमारे 150 से अधिक समुदाय हैं।
उन्होंने इटली, आयरलैंड और जर्मनी जैसे स्थानों के साथ-साथ लातविया, जॉर्जिया और आर्मेनिया सहित पूर्वी यूरोपीय देशों में प्रवासियों के "विशाल" प्रवाह पर ध्यान दिया।
फादर क्लेमेंट कहते हैं, "प्रवासी कलीसिया की देखभाल करना सिरो-मालाबार कलीसिया के लिए एक बड़ा, कठिन काम है।"
एक मिशनरी कलीसिया
हालाँकि, वह आगे कहते हैं, यह एक मिशनरी कलीसिया भी है। "केरल के बाहर, विशेषकर उत्तर भारत में मिशनरी कलीसिया के बारे में मैंने जो कहा, हमारे पास देश के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाले बहुत से प्रवासी लोग हैं।" लैटिन कलीसिया की तरह, सिरो-मालाबार कलीसिया में "बहुत सारे" मिशनरी हैं जो "दुनिया के विभिन्न हिस्सों में गए हैं, लैटिन धर्मसमाजों, लैटिन धार्मिक संस्थानों में धर्मसंघी भाइयों और धर्मबहनों के रूप में काम कर रहे हैं।
फादर क्लेमेंट कहते हैं, "मुझे सिरो-मालाबार काथलिक कलीसिया पर बहुत गर्व है, जिसकी स्थापना 52 ईस्वी में हुई थी जब संत थॉमस ने हमें सुसमाचार सुनाया था।"
संत थॉमस कोडुंगल्लूर में उतरे। ख्रीस्तीय धर्म का उद्गम स्थल त्रिचूर के महानगरीय प्रांत में है और मुझे बहुत खुशी है कि नवनिर्वाचित मेजर महाधर्माध्यक्ष मार राफेल थाट्टिल भी त्रिचूर से है। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो संत पापा फ्राँसिस के मार्ग, धर्मसभा के तरीके, सहभागिता, भागीदारी और मिशन के अनुसार चलते हैं।
फादर क्लेमेंट कहते हैं, मार राफेल छाट्टिल सुनने वाला व्यक्ति हैं, धैर्यपूर्वक सुनने वाले व्यक्ति हैं। धैर्यपूर्वक सुनना संचार का उत्तम इत्र है और महाधर्माध्यक्ष मार राफेल को लोगों से मिलना, पुरोहितों से मिलना, धर्मसंघियों से मिलना, बीमारों से मिलना, गरीबों से मिलना अच्छा लगता है। वह एक अच्छे वक्ता हैं, वह एक अच्छे उपदेशक हैं। वास्तव में, जब मैं अपने सेमिनरी के दूसरे वर्ष में था, तब उन्होंने मुझे आध्यात्मिक साधना दी थी। वह मुझे अब भी याद है।
इसलिए मुझे बहुत खुशी है कि महाधर्माध्यक्ष थाट्टिल सिरो-मालाबार काथलिक कलीसिया के प्रमुख और पिता हैं।
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