गुमला के नये धर्माध्यक्ष का धर्माध्यक्षीय अभिषेक एवं पदग्रहण समारोह सम्पन्न
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
गुमला, शुक्रवार, 12 जनवरी 2024 (वीएन) : राँची के महाधर्माध्यक्ष अति माननीय आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो येसु समाजी ने मुख्य अनुष्ठाता के रूप में, सिमडेगा के धर्माध्यक्ष भिंसेन्ट बरवा एवं हजारीबाग धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष आनन्द जोजो के साथ, भारत एवं नेपाल के लिए वाटिकन के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष लेओपोल्दो जिरेल्ली की उपस्थिति में नवनियुक्त धर्माध्यक्ष लिनुस पिंगल एक्का के धर्माध्यक्षीय पावन अभिषेक की धर्मविधि सम्पन्न की।
समारोह के मुख्य अनुष्ठाता माननीय आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने पवित्र मिस्सा शुरू करते हुए कहा, “आज कलीसिया के लिए, खासकर, छोटानागपुर की कलीसिया के लिए और विशेष रूप से गुमला धर्मप्रांत के सभी भाई-बहनों के लिए बड़ी खुशी की बात है कि ईश्वर की दया से हमारे लिए एक नया बिशप मिल रहा है। हम इसके लिए परमेश्वर को धन्यवाद दें और प्रार्थना करें कि जिस भाई को ईश्वर धर्माध्यक्ष निक्युत कर रहे हैं वे निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्य कामों को सम्पन्न कर सकें।”
धर्माध्यक्षीय पावन अभिषेक की धर्मविधि
शब्द समारोह के उपरांत धर्माध्यक्षीय पावन अभिषेक की धर्मविधि शुरू हुई। सर्वप्रथम पवित्र आत्मा का आह्वान किया गया। उसके बाद दो पुरोहितों द्वारा नवनियुक्त धर्माध्यक्ष लिनुस पिंगल एक्का को वेदी के समझ प्रस्तुत किया गया, जहाँ मुख्य अनुष्ठाता महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो ने उनकी जाँच की। स्थानीय कलीसिया के निवेदन एवं काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष पोप फ्राँसिस के नियुक्त पत्र को प्रस्तुत करने के बाद अभिषेक की धर्मविधि को आगे बढ़ायी गई।
महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स ने अपने उपदेश में उपस्थित विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा कि वे नवनियुक्त धर्माध्यक्ष लिनुस पिंगल के धर्माध्यक्षीय अभिषेक की धर्मविधि में भाग लेने एवं उसका साक्ष्य देने के लिए भारी संख्या में उपस्थित हैं जो उनकी आशा को दर्शाता है कि नये धर्माध्यक्ष एक भले चरवाहे की भांति उनकी देखभाल करेंगे।
उन्होंने कहा, “जूँकि प्रभु येसु के सुसमाचार के प्रचार का काम संसार के अंत तक जारी रहना था अपने सहायक चुने और उनके माथे पर हाथ रखकर, पवित्र आत्मा का वरदान दिया।” अपने सहायकों (धर्माध्यक्षों) के माध्यम से येसु हमारे बीच बने रहते हैं और मुक्ति प्रदान करते रहते हैं। जैसा कि उन्होंने कहा है मैं संसार के अंत तक सदा तुम्हारे साथ हूँ। धर्माध्यक्ष की प्रेरितिक सेवा के माध्यम से प्रभु येसु ख्रीस्त ही ईश्वर का वचन सुनाते हैं और विश्वास करनेवालों के लिए उनका गूढ़तक रहस्य प्रकट करते हैं।
माननीय फादर लिनुस पिंगल को सम्बोधित कर महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स ने कहा, “आप प्रभु के द्वारा चुने गये हैं इसपर आप अच्छी तरह गौर कीजिए। लोगों के बीच में से आप इसलिए चुने गये हैं कि ईश्वर संबंधी बातों में उनका प्रतिनिधित्व करें। धर्माध्यक्ष शब्द किसी प्रतिष्ठा का नहीं वरन् कर्तव्य का सूचक है। वास्तव में, धर्माध्यक्ष अध्यक्ष नहीं वरन सेवा करनेवाले होते हैं।”
विश्वासियों के चरवाहे घोषित
उपदेश के बाद, कई सवालों के साथ कलीसिया के सामने नवनियुक्त धर्माध्यक्ष की जाँच की गई। जाँच प्रक्रिया के बाद नव अभिषिक्त जमीन पर लेटे रहे जबकि पूरी कलीसिया ने उनपर स्तुति विन्ती के माध्यम से सब संतों की मध्यस्थता की याचना की। तत्पश्चात् सभी धर्माध्यक्षों ने बारी-बारी से उनके माते पर हाथ रखकर मौन रूप से पवित्र आत्मा का आह्वान किया। एक विशेष प्रार्थना का पाठ करने के बाद नवनियुक्त धर्माध्यक्ष के माथे पर पवित्र तेल का मलन करते हुए महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो येसु समाजी ने उनका धर्माध्यक्षीय अभिषेक सम्पन्न किया। उन्होंने सुसमाचार की पुस्तक, अंगुठी, चेन, टोपी और डंडा प्रदान कर उन्हें विश्वासियों का चरवाहा घोषित किया। फिर उन्हें मुख्य सिंहासन पर बिठाकर धर्मप्रांत के प्रशासन की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस तरह धर्माध्यक्षीय अभिषेक की धर्मविधि समाप्त हुई। विश्वासियों की मंडली ने ताली बजाकर नव अभिषिक्त धर्माध्यक्ष लिनुस पिंगल एक्का को बधाई दी। इसके बाद मिस्सा बलिदान को सामान्य रूप से आगे बढ़ाया गया।
धर्माध्यक्षीय अभिषेक की धर्मविधि में कोलकाता के महाधर्माध्यक्ष थॉमस डीसूजा, कटक - भूनेश्वर के महाधर्माध्यक्ष जॉन बरवा एस डीवी, राँची के नवनियुक्त महाधर्माध्यक्ष भिंसेंट आइंद, खूंटी के धर्माध्यक्ष विनय कंडुलना, जमशेदपुर के धर्माध्यक्ष तेलेस्फोर बिलुंग, पोर्टब्लेयर के धर्माध्यक्ष विश्वासम सेलवाराज, जशपुर के धर्माध्यक्ष इम्मानुएल केरकेट्टा, रायगढ़ के धर्माध्यक्ष बिशप पौल टोप्पो, रायगंज के धर्माध्यक्ष फुलजेंस अलुइसियुस तिग्गा, बक्सर के धर्माध्यक्ष जेम्स, राऊरकेला के धर्माध्यक्ष किशोर कुजूर, डाल्टेनगंज के धर्माध्यक्ष थेओदोर मास्करेनहास, अम्बिकापुर के धर्माध्यक्ष अंतोनिस बड़ा, दुमका के धर्माध्यक्ष जुलयुस मरांडी और जम्मू कश्मीर के धर्माध्यक्ष आईवन प्रेरा ने उपस्थित होकर नवअभिषिक्त धर्माध्यक्ष के लिए प्रार्थना की।
विभिन्न धर्मसमाजों के परमाधिकारी, प्रोविंशियल्स, सुपीरियर्स, पुरोहितगण, धर्मबहनें, ख्रीस्तीय विश्वासी तथा विभिन्न कलीसियाओं के पास्टर और कई क्षेत्रों के जन प्रतिनिधियों ने भारी संख्या में अभिषेक समारोह में भाग लिया और उन्हें शुभकामनाएँ दीं।
15 जून 2021 को गुमला धर्मप्रांत के पूर्व धर्माध्यक्ष पौल अलोइस लकड़ा के निधन के बाद से ही गुमला धर्मप्रांत रिक्त था। धर्मप्रांत 28 मई, 1993 को रांची के महाधर्मप्रांत से अलग होकर नया धर्मप्रांत बना है। इस धर्मप्रांत में काथलिक आबादी 1,93,000 है, 38 पल्लियाँ है। धर्मप्रांत में 138 धर्मप्रांतीय पुरोहित, 92 धर्मसंघी पुरोहित, 371 धर्मबहनें और 346 संस्थाएँ हैं।
धर्माध्यक्ष लिनुस पिंगल एक्का की जीवनी
धर्माध्यक्ष लिनुस पिंगल एक्का का जन्म 23 सितंबर 1961 को गुमला धर्माप्रांत के चैनपुर में हुआ था। उन्होंने जबलपुर के संत अलोसियुस कॉलेज में मास्टर ऑफ आर्ट्स की पढ़ाई की और रोम में परमधर्मपीठीय उर्बान विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में लाइसेंस प्राप्त किया है। 22 जनवरी 1994 को गुमला धर्मप्रांत के लिए उनका पुरोहिताभिषेक हुआ था।
वे 1994 से 1995 तक दलमादी पल्ली के सहायक पल्ली पुरोहित और पल्ली पुरोहित रहे। 1995 से 1997 तक और 1999 से 2000 तक करोंदाबेड़ा माइनर सेमिनरी के रेक्टर रहे। 1997 से 1999 तक वे इटली के उदीने महाधर्मप्रांत में प्रेरितिक सेवा करते हुए, परमधर्मपीठीय उर्बान विश्वविद्यालय में कैनन लॉ में डॉक्टरेट की उपाधि लेकर भारत लौटे। वे 2000 से 2002 तक रांची में संत अल्बर्ट क्षेत्रीय कॉलेज में अतिथि प्रोफेसर और 2002 से 2011 तक संत अल्बर्ट रीजनल कॉलेज रांची में दर्शनशास्त्र विभाग के आवासीय प्रोफेसर और प्रीफेक्ट के रुप में अपनी सेवा दी। फिर 2011 से 2017 तक उदीने महाधर्मप्रांत के एम्पेज़ो पल्ली में सहायक पल्ली पुरोहित बने। वे 2017 से 2020 तक गुमला धर्मप्रांत के कुलाधिपति एवं वैवाहिक मामलों के प्रभारी और 2019 से 2020 तक विकर न्यायधीश एवं कलीसिया संबंधी न्यायाधिकरण के न्यायाधीश का कार्यभार संभाला। वे 2021 से गुमला धर्मप्रांत के प्रेरितिक प्रशासक के रुप में अपनी सेवा दे रहे थे।
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