नये साल की पूर्व संध्या, मिस्सा के बाद निकारागुआ में पुरोहित की गिरफ्तारी
वाटिकन न्यूज
निकारागुआ, मंगलवार, 2 जनवरी 2024 (रेई) : दुःखों की माता मरियम के पल्ली पुरोहित फादर गुस्तावो सैंडिनो को 31 दिसंबर को निकारागुआ के जिनोतेगा धर्मप्रांत में सांता मारिया दी पास्तास्मा में मिस्सा बलिदान अर्पित करने के बाद गिरफ्तार किया गया। स्थानीय सूत्रों और निर्वासित वकील मार्था पेट्रीसिया मोलिना ने स्थानीय मीडिया आउटलेट 100% नोटिसियास को घटना की पुष्टि दी।
मनागुआ में अमेरिका की माता मरियम के पल्ली पुरोहित फादर फेर्नांदो तेल्लेज बाएज को 30 दिसम्बर की पहली बेला को गिरफ्तार किया गया था और दूसरी बेला दिव्य चरवाहे की माता पल्ली के पुरोहित फादर जादेर हर्नांडेज को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार करने की लहर जारी
हाल के दिनों में कुल 14 पुरोहितों, दो सेमिनरी छात्रों और सिउना के धर्माध्यक्ष इसीदोरो को गिरफ्तार किया गया है।
उन्हें माटागल्पा के धर्माध्यक्ष रोलैंडो जोस अल्वारेज़ लागोस और एस्तेली धर्मप्रांत के अपोस्टोलिक प्रशासक के लिए प्रार्थना करने के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें उचित प्रक्रिया के बिना 26 साल जेल की सजा सुनाई गई है।
कार्डिनल ब्रेनेस का सामीप्य
नए साल की पूर्व संध्या पर महागिरजाघर में मिस्सा के दौरान, मानागुआ के कार्डिनल महाधर्माध्यक्ष, लियोपोल्डो जोस ब्रेन्स सोलोरज़ानो ने "उन परिवारों और समुदायों के प्रति अपनी निकटता व्यक्त की, जो इस समय अपने पुरोहितों के बिना हैं," उन्होंने सभी से "दृढ़तापूर्वक" प्रार्थना में एकजुट रहने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “कलीसियाई एकता हमारी शक्ति है और मरियम, हमारी माता जो क्रूस के नीचे खड़ी थीं, उनके साथ प्रभु हमें सांत्वना दे एवं अपनी करूणा प्रदर्शित करे।”
इस बीच, एक संवाददाता सम्मेलन में, मार्था पत्रिसिया मोलिना ने कहा कि उन्हें कल खबर मिली थी कि कुछ गिरजाघरों में निर्धारित सामूहिक प्रार्थनाएँ नहीं हुईं और विश्वासियों को घर जाने के लिए कहा गया। इस समय यह ज्ञात नहीं है कि इन पल्लियों में पुरोहितों को गिरफ्तार किया गया है अथवा नहीं।
संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाएँ
अब तक, न तो सरकार और न ही पुलिस ने इन पुरोहितों की हिरासत की पुष्टि की है और न ही इससे इनकार किया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के प्रतिनिधियों ने कहा कि निकारागुआ "राजनीतिक और आदिवासी नेताओं, काथलिक कलीसिया के सदस्यों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों" पर अत्याचार करके, मनमाने ढंग से हिरासत में रखने के बार-बार मामलों के द्वारा, कानूनी शासन और "मौलिक स्वतंत्रता" से "तेजी से" दूर जा रहा है।”
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