बेंगलुरु में पहली बार मरियम के 111 दिव्यदर्शनों का जीवित प्रदर्शन
अग्नेल मरिया और अन्ना रोस वल्लायिल -बेंगलुरू
"दिव्य मरियम - 111 कृपा की छाया" के प्रदर्शन का उद्घाटन, संत थॉमस फोरेन चर्च और बेंगलुरु के धर्मप्रांतीय तीर्थयात्रा केंद्र, धर्माराम में 17 मार्च को हुआ था।
बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष पीटर मचाडो, और मांड्या के बिशप सेबेस्तियन अदायंथ्रथ्म ने प्रथम जीवित प्रदर्शन का उद्घाटन किया, जिसमें दुनियाभर से धन्य कुँवारी मरियम की प्रतिमाओं को प्रदर्शित किया गया।
इस प्रदर्शन को प्रतिष्ठित बेस्ट ऑफ इंडिया रिकॉर्ड्स से मरियम के विभिन्न रूपों की अब तक की सबसे बड़ी सजीव प्रदर्शन के रूप में मान्यता मिली है।
यह कार्यक्रम संत थॉमस फोरेन चर्च के पल्ली हॉल में आयोजित किया गया था, जिसमें 111 महिलाओं को मरियम के विभिन्न दिव्यदर्शन के अनुरूप "रूपांतरित" किया गया था, जिसने दर्शकों को दो घंटों तक मंत्रमुग्ध कर दिया।
पल्ली की रूबी जयंती वर्ष के दौरान, चर्च ने अपनी युवा समिति की सहायता से कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया।
पल्ली पुरोहित एंटो कंजिराथिंकल, सीएमआई के अनुसार, इन समारोहों का उद्देश्य पल्लीवासियों के बीच सामुदायिक भावना को पुनर्जीवित करना है, खासकर, जब से कोविड-19 महामारी ने सामाजिक दूरी के उपायों के कारण विश्वासियों और चर्च के बीच अलगाव पैदा कर दिया है।
एक सावधानीपूर्वक चयन प्रक्रिया के बाद, 111 महिलाओं - गृहिणियों, कामकाजी पेशेवरों, कॉलेज के छात्रों और बच्चों को कुँवारी मरियम को चित्रित करने के लिए चुना गया था।
कार्यक्रम के आयोजकों में से एक, एनलिन असीसी अक्कारा ने कार्यक्रम के निर्बाध निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए पल्लीवासियों द्वारा की गई सावधानीपूर्वक योजना और सालभर की तैयारी पर प्रकाश डाला।
300 व्यक्तियों की एक समर्पित टीम ने इस परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अथक प्रयास किया, यह सुनिश्चित करते हुए जिसमें मेकअप से लेकर वेशभूषा और सहायक उपकरण तक हर पहलू को सावधानीपूर्वक तैयार किया गया और उन्हें श्रद्धा के साथ प्रस्तुत किया गया।
केरल के बाहर पहले सिरो-मालाबार कलीसिया के रूप में, संत थॉमस फोरेन चर्च, जो प्रवासियों के लिए बनाया गया है, जिसने लगातार समुदाय के साथ अपने बंधन को मजबूत करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने की मांग की है।
दिव्य मरियम कार्यक्रम ने इस प्रतिबद्धता के माध्यम से विश्वास एवं भक्ति के उत्सव में पैरिशवासियों को एकजुट किया।
चर्च के युवाओं की सक्रिय भागीदारी ने संगति को बढ़ावा दिया और युवाओं के लिए पोप फ्राँसिस के दृष्टिकोण के अनुरूप, कलीसिया की सेवा करने के लिए एक साथ आने का एक साझा अनुभव प्रदान किया।
बेस्ट ऑफ इंडिया रिकॉर्ड्स के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए, दिव्य मरियम कार्यक्रम ने न केवल इतिहास रचा, बल्कि उन 5,000 लोगों के लिए एक दृश्य धर्मशिक्षा के रूप में भी काम किया, जिन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण को देखा।
कलीसिया के सदस्यों ने कुँवारी मरियम के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने के लिए कला का प्रयोग करते हुए नवाचार और रचनात्मकता को अपनाते हुए परंपरा को बरकरार रखा।
जैसा कि आयोजकों ने कहा, संत थॉमस फोरेन पल्ली के लिए यह विशेष अवसर धन्य कुँवारी मरियम के प्रति विश्वास, एकता और श्रद्धा के एक चमकदार उदाहरण के रूप में याद किया जाएगा।
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