दक्षिण सूडान: कदम दर कदम, शांति का ताना-बाना बुनती हैं धर्मबहनें
सिस्टर पावला मोगी, एस.एम.सी.
मंगलवार, 12 मार्च 2024 (वाटिकन न्यूज, रेई) : युवा दक्षिण सूडान के गहरे घाव : दक्षिण सूडान एक बहुत ही युवा राष्ट्र है, जो दशकों के गृह युद्ध के बाद 9 जुलाई, 2011 को वजूद में आया। जब जनवरी 2005 में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, तो युद्ध में लगभग 5 मिलियन लोग विस्थापित हो गए थे और 2.5 मिलियन लोग मारे गए थे, साथ ही प्रतिद्वंद्वी जातीय समूहों के बीच गहरा अविश्वास बना हुआ था।
जनवरी 2011 में, बढ़ती चुनौतियों के बावजूद दक्षिण की स्वतंत्रता के लिए ऐतिहासिक जनमत संग्रह हुआ। लेकिन जब 9 जुलाई को खुशी के नारों के बीच दक्षिण सूडान गणराज्य का जन्म हुआ, तो अविश्वास और भय के घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हुए थे।
नये राष्ट्र में सेवारत धर्मबहनें इस घाव से अवगत थीं और शांति पहल को बढ़ावा देने में सहायक रहीं।
आशा की किरणें
सन् 2010 से, वाउ के काथलिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण संस्थान (सीएचटीआई) ने अंतरसांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा दिया है और पुरुष एवं महिला छात्रों को गहरी जड़ें जमा चुके पूर्वाग्रहों से उबरने में मदद की है।
इसकी स्थापना दक्षिण सूडान के साथ एकजुटता द्वारा की गई थी, जो धार्मिक महिलाओं और पुरुषों का एक संयुक्त कार्य है, और इसने शिक्षकों और नर्सों के लिए आवासीय प्रशिक्षण विकसित किया है और खाद्य सुरक्षा, प्रेरितिक प्रशिक्षण और आघात उपचार पर विशेष ध्यान दिया है। संस्थान का पहला स्नातक समारोह 2013 में हुआ था,और 2022 तक सीएचटीआई ने 181 प्रशिक्षित नर्सों और 87 प्रसव में सहायता देनेवाली दाइयों को प्रशिक्षित किया था।
पोलैंड से मरिया की फ्रांसिस्कन मिशनरी सिस्टर ब्रिजिट मनिउरका ने फरवरी 2022 से सीएचटीआई में काम किया है। सिस्टर ब्रिजिट ने कहा।,“हमारे छात्र विभिन्न जनजातियों, राज्यों, धर्मों से आते हैं और विभिन्न भाषाएं बोलते हैं। सीएचटीआई लगातार सभी संस्कृतियों के प्रति सम्मान और मतभेदों के प्रति सहिष्णुता पर जोर देता है। विभिन्न गतिविधियों और अभ्यासों के माध्यम से हम मित्रता के बंधन बनाते हैं और शांति एवं एकता को बढ़ावा देते हैं। नर्सिंग और दाई के काम के अलावा, हमारे छात्र रिश्ते बनाने और साथ मिलकर काम करने की कला सीखते हैं।'
उन्होंने कहा, "छात्रों को उनके विकास यात्रा में साथ देने के लिए कई घंटों की बातचीत की आवश्यकता होती है, लेकिन 3 साल बाद उनके परिवर्तन को देखकर कितनी खुशी मिलती है! और हमारी खुशी तब और भी बढ़ जाती है जब हम उनके घरेलू समुदाय और जिस संस्थान में वे काम करते हैं, वहां से उनके बारे में प्रशंसा के शब्द सुनते हैं।"
जब दर्द देखभाल बन जाता है
याम्बियो में, एक अन्य पहल आघातग्रस्त महिलाओं पर विशेष ध्यान देती है।
सीनियर फिलोमेना फ्रांसिस, जिन्हें सिस्टर बखिता के नाम से जाना जाता है, पश्चिमी इक्वेटोरिया के एक छोटे से शहर नज़ारा से हैं। मिस्र पहुंचने और मिशनरी फ्रांसिस्कन सिस्टर्स ऑफ द इमाकुलेट कॉन्सेप्शन (एमएफआईसी) में शामिल होने से पहले वह सबसे पहले खार्तूम में रहती थीं, जहां लगभग 5 मिलियन दक्षिण सूडानी शरण की मांग रहे थे।
1995 में, पापुआ न्यू गिनी के लिए रवाना होने से पहले, वह दक्षिण सूडान में अपने परिवार से मिलने में कामयाब रहीं। तब तक, इस क्षेत्र पर सूडान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (एसपीएलए) ने कब्जा कर लिया था और उसका परिवार और बहनें अच्छी स्थिति में थे। लेकिन 1999 तक, सैनिकों द्वारा यौन हिंसा और दुर्व्यवहार ने उनके जीवन को दयनीय बना दिया था।
सिस्टर फिलोमेना के परिवार द्वारा झेले गए सदमे ने उन्हें परामर्श और आघात उपचार कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रेरित किया। इसे 2006 में सिस्टर फिलोमेना और दो अन्य महिलाओं द्वारा शुरू की गई अदीसा (महिला) सहायता समूह संगठन (एएसजीओ) के साथ साकार किया गया।
2013 में, टैम्बुरा याम्बियो के काथलिक धर्मप्रांत में एमएफआईसी की धर्मबहनों ने एक समुदाय खोला और सिस्टर फिलोमेना ने उपचार कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए स्थानीय महिलाओं और पुरुषों को प्रशिक्षण देना शुरू किया।
उनका कहना है कि वे दक्षिण सूडान के इतिहास से प्रेरित थीं। 1964 में, सभी मिशनरी खार्तूम सरकार द्वारा नागरिकों पर की गई हिंसा के प्रत्यक्षदर्शी बन गए थे और उन्हें बिना किसी नोटिस के निष्कासित कर दिया गया था। ऐसी स्थिति के बावजूद, क्षेत्र में सूडानी धर्माध्यक्षों, कुछ स्थानीय पुरोहितों और कई प्रचारकों की बदौलत काथलिक कलीसिया ने अपने वजूद को बनाये रखा।
फिर, 2016 में, हिंसा का एक नया प्रकोप याम्बियो और उसके आसपास के इलाकों में फैल गया, जिससे लोगों और यहां तक कि सिस्टरर फिलोमेना के परिवार को और अधिक पीड़ा हुई।
सिस्टर फिलोमेना ने कहा, “एक बच्ची के रूप में मेरे अपने आघात ने मुझे यह कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रेरित किया। जिस दर्द और नुकसान से मैं और मेरा परिवार लगातार गुजर रहे हैं, वह मुझे इस कार्यक्रम में सेवा करने के लिए प्रोत्साहित करता है और मेरा मानना है कि दक्षिण सूडान में आघात उपचार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण से स्थायी शांति आएगी और कई महिलाओं, लड़कियों और युवा पुरुषों के जीवन को बचाया जा सकेगा, जिनके साथ उनके जातीय समूह को दंडित करने के लिए बलात्कार किया गया था।"
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