तंजानिया में : हर कलीसिया एक समुदाय, हर समुदाय एक परिवार
वाटिकन न्यूज
तंजानिया, बृहस्पतिवार, 21 मार्च 24 (रेई) : तंजानिया की कलीसिया जवान और रंगीन है। यह न केवल गाती है, बल्कि सुर भी मिलाती है और इसे हर कोई जानता है।
सुकामहेला गिरजाघर इसका एक सटीक उदाहरण है। इसकी एक विशेष वास्तुकला है; यदि आपसे एक गिरजाघर बनाने के लिए कहा जाए, तो यह सुकामाहेलो के गिरजाघर जैसा नहीं दिखेगा, जिसे फादर पीटर ने गांव के विश्वासियों की मदद से डिजाइन किया और बनाया है।
स्लोवाकिया में जन्मे धर्मप्रांतीय पुरोहित ने अपना जीवन सुकामहेला और उसके आसपास के लोगों के लिए समर्पित किया है, और जब रविवार की प्रार्थना सभा के लिए एकत्रित लोग हमें उत्सुकता से देखते हैं, तो यह स्पष्ट है कि फादर पीटर उनके लिए कोई अजनबी नहीं हैं।
सुकामहेला में, पवित्र मिस्सा समय पर शुरू नहीं होता। व्यस्त होने पर भी, तंजानिया के लोग निश्चिंत होते हैं। उस समय भी जब दो अजनबी, कैमरा के साथ उनके रविवारीय मिस्सा पूजा में भाग लेते हैं।
शुरू में यह मंडली काफी छोटी लगी, जो गिरजाघर के बाहर धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रही थी, पर बाद में अचानक सौ से अधिक लोग जमा हो गये।
गिरजाघर के पीछे तक के बेंच तुरंत महिलाओं और उनके बच्चों से भर गये। बच्चे जो थोड़े बड़े थे गिरजाघर में सबसे आगे बैठे। वे सभी दोस्त हैं, या बहुत जल्दी दोस्त बन जाते हैं। बायीं ओर गाना बजानेवालों का दल गाना शुरू करता है और संगीत शीघ्र गिरजाघर की गोलाकार दीवारों में गूँजने लगती है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक है, सभी बाईं ओर बैठी हैं। जब पहला पद समाप्त हुआ तो उनकी उपस्थिति स्पष्ट और असंदिग्ध थी क्योंकि वे "रोहो वा बवाना इमानज़ा" गाते हुए, अपना स्थान ले रहे थे : प्रभु की आत्मा ने मुझे भर दिया है।
और यह स्पष्ट था कि प्रभु की आत्मा धूल भरी सड़कों पर सर्वव्यापी है। यहाँ तक कि "पेड़ों के नीचे" भी जहाँ फादर पीटर ने अपना तीसरा रविवारीय मिस्सा बलिदान अर्पित किया। उस गांव ने अभी तक अपने लिए गिरजाघर नहीं बनाया है जिसे वहाँ "गाँव गिरजा" कहा जाता है।
“एक अन्य गांव में, गाँव गिरजा, या मिशन स्टेशन, सुकामाहेलो के बड़े गोल गिरजाघर के समान भरा हुआ था। वहाँ भी लोग गाते हैं, जैसा हमने तंजानिया के हर गिरजाघर में प्रवेश करते हुए पाया।
यह सच है कि तंजानिया की कलीसिया को अधिक पुरोहितों की आवश्यकता है और देशभर के गांवों में एक-एक पुरोहित की जरूरत है। यह देखना स्पष्ट है कि प्रत्येक कलीसिया एक समुदाय है और प्रत्येक समुदाय एक परिवार।
सुकामाहेलो में गिरजाघर के बाहर, मारिया और एथेल ने मेरा हाथ थाम लिया। वे हमारे वीडियोग्राफर फ्रेंको से हमारी तस्वीर लेने के लिए आग्रह कर रहे थे और जब उन्होंने स्क्रीन पर उन्हें दिखाया तब उन्होंने मेरी ओर इशारा करके प्यार से मुस्कुराया।
हमने अगले कुछ घंटे गाँव के अन्य बच्चों के साथ बिताये। उनकी सभी माताएँ घर चली गईं। पर उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई क्योंकि वे जानते हैं कि उनकी कलीसिया एक समुदाय है और प्रत्येक समुदाय एक परिवार।
यहाँ तक कि दो अजनबी और उनका कैमरा भी उनके विश्वास को धूमिल अथवा उनके सौहार्द को ख़राब नहीं कर सका।
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