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2024.04.04 युगांडा के मुकोनो जिले में किसोगा सिलाई कार्यशाला और स्कूल 2024.04.04 युगांडा के मुकोनो जिले में किसोगा सिलाई कार्यशाला और स्कूल  #SistersProject

इक्वाटोरियल अफ्रीका की महिलाओं के लिए मांटेल्लेट धर्मबहनों का मिशन

सिस्टर नोरेटा ज़ेचिनॉन, मरियम की सेविकायें, मांटेल्लेट धर्मबहनों के मिशन को याद करती हैं, जो एक सदी से भी अधिक समय से अफ्रीका में सेवा कर रही हैं: "मैं हमेशा इस तथ्य से प्रभावित हुई हूँ कि महिलाएं अफ्रीका में घरेलू अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, यही बात संत पापा भी कहते हैं।”

मारिया मिल्विया मोर्सिनाओ

किसोगा युगांडा, मंगलवार 16 अप्रैल 2024 (वाटिकन न्यूज) : गत वर्ष मरियम की सेविकायें, मांटेल्लेट धर्मबहनों की सेवा के 100 वर्ष पूरे हुए, जिसे अब ईस्वातिनी कहा जाता है और पहले इसे स्वाज़ीलैंड के नाम से जाना जाता था। युगांडा में उन्होंने केवल 2000 में अपना समुदाय खोला।

मरियम की सेविकायें, मांटेल्लेट धर्मबहनों की सुपीरियर जनरल, सिस्टर नोरेटा ज़ेचिनॉन ने धर्मसमाज के योगदान के बारे में बताया और महिलाओं की स्थिति के दृष्टिकोण से युगांडा में सामाजिक स्थिति को रेखांकित किया।

सिस्टर नोरेटा ने कहा, “मैं हमेशा इस तथ्य से प्रभावित हुई हूँ कि महिलाएं अफ्रीका में घरेलू अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जैसा कि संत पापा भी कहते हैं।” युगांडा में औसतन हर महिला के सात बच्चे हैं। युगांडा में तीन समुदाय है। मुकोनो जिले में सबसे बड़ा किसोगा है। हमने मरिया के सेवक फ्रायर्स के साथ सहयोग करना शुरू किया, जब उन्होंने हमें प्रेरितिक गतिविधियों में मदद करने के लिए आमंत्रित किया जिसे उन्होंने कुछ साल पहले ही शुरू कर दी थी। कुछ धर्मबहनें धर्मप्रचारक के रूप में, कुछ पल्ली के प्रेरितिक अनुप्राणदाता के रूप में और कुछ शिक्षिकाओं के रूप में मदद करने के लिए हमारे साथ शामिल हुईं।

किसंोगा में संत एलेना स्कूल के बच्चे
किसंोगा में संत एलेना स्कूल के बच्चे

क्षेत्र में मरियम की सेविकाओं की उपस्थिति

युगांडा में, अधिकांश अफ्रीकी देशों की तरह, स्वास्थ्य प्रणाली की सबसे गंभीर समस्या है।

मदर सुपीरियर जनरल ने कहा, "धर्मबहनों ने एक छोटा डिस्पेंसरी खोला, जहां एक प्रसूति वार्ड खोला गया, जिसकी उच्च मांग है, साथ ही इस प्रकार की देखभाल में धर्मबहनों की उपस्थिति भी है।"

सिस्टर नोरेटा ने महिलाओं की उपस्थिति के महत्व पर जोर दिया, जब महिलाएं प्रसव पीड़ा से गुजर रही हों।

"हम महिलाओं की देखभाल की सेवा का विस्तार करने के अनुरोध पर काम कर रही हैं, खासकर उनकी जो मां बनने वाली हैं।" मरियम की सेविकायें महिलाओं को उनके कौशल विकसित करने में सबसे सरल तरीकों से भी मदद करने की पूरी कोशिश करती हैं।

सिस्टरर नोरेटा ने कहा, “हमने एक सिलाई कार्यशाला का आयोजन किया और हमें एक दूसरी छोटी कार्यशाला खोलने के लिए कहा गया, शायद एक सैलून (बाल बनानेवाला) की, ताकि वे कोई काम सीख सकें। उन्हें कंप्यूटर के बुनियादी ज्ञान की भी आवश्यकता होगी। विचार यह है कि सेवा का विस्तार किया जाए, ताकि महिलाओं को बढ़ावा दिया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे वास्तव में और अधिक प्रमुख खिलाड़ी बन सकें और बदले में, अपने परिवार और बच्चों के पालन-पोषण का समर्थन कर सकें।”

युगांडा के मुकोनो जिले में किसोगा सिलाई कार्यशाला और स्कूल
युगांडा के मुकोनो जिले में किसोगा सिलाई कार्यशाला और स्कूल

विश्वास साक्षरता

सिस्टर नोरेटा ने कहा, "मैं उन शब्दों पर विचार करना चाहूंगी जो ईस्वातिनी मंज़िनी के धर्माध्यक्ष ने शताब्दी समारोह के अंत में कहा था: 'एक सौ साल और अब?'" “उनके साथ बातचीत करते हुए, हमने खुद से पूछा: कौन सी साक्षरता अधिक जरूरी है? निश्चित रूप से, अफ्रीकी और अन्य देशों में, अभी भी साक्षरता के बुनियादी चरणों की आवश्यकता है: पढ़ना, लिखना और गणित, जैसा कि पुराने दिनों में कहा जाता था। लेकिन मेरा मानना​​है कि अब, दुनिया भर में ख्रीस्तीय धर्म के विश्वास और ज्ञान की निरक्षरता है और मेरा मानना ​​है कि हमें प्रथम स्थान में रखना चाहिए। हम बहनों को इसे साझा करने के लिए अपनी पूरी ताकत और क्षमताओं का उपयोग करना चाहिए और इस प्रकार कलीसिया जो वर्षों से कहती आ रही है, उसे अभ्यास में लाना चाहिए, यानी एक नवीन सुसमाचार प्रचार की आवश्यकता है।

किसोगा पल्ली
किसोगा पल्ली

शहीदों का उदाहरण, युगांडा में विश्वास का प्रतीक

युगांडा में, मरियम की सेविकाओं का धर्मसंघ भी नवशिष्यों के प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार है।

नील नदी के उद्गम स्थल जिंजा में एक समुदाय नवशिष्यों की देखभाल करता है और वर्षों से न केवल युगांडा से बल्कि कांगो से भी लड़कियों का आना जारी है, खासकर युगांडा और केन्या की सीमा से लगे कुछ हिस्सों से।

सिस्टर नोरेटा ने कहा, "मैं वहां साढ़े चार साल तक थी और उससे पहले 19 साल तक ईस्वातिनी में थी। मेरा मानना है कि युगांडा में तथ्य यह है कि अलग-अलग समय पर अन्य लोगों के अलावा हमारे पास 22 शहीद हैं, जिन्होंने विश्वास के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया, यही अंतर्निहित कारण है कि स्थानीय परिवार खुश होते हैं यदि उनकी बेटियों में से एक खुद को प्रभु को अर्पित करने की इच्छा व्यक्त करती है। देश में काफी बुलाहट है और यह विवेक का महान कार्य है।”

 

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16 April 2024, 16:31