इथियोपिया और उसके जीवनदायी कुएं
सिसिलिया सेपिया
मंगलवार,14 मई 2024 (वाटिकन न्यूज) : लंबे समय तक सूखे और अकाल से प्रभावित दुनिया के कुछ हिस्सों में, लोग पीने के पानी की एक जग या नदी तक पहुंच के लिए मरने को तैयार हैं। भाई बनाम भाई: यह अक्सर नंगे हाथों से लड़ा जाने वाला युद्ध है, भूख और प्यास का युद्ध है। यह इथियोपिया में हो रहा है, गैम्बेला में, जो अफ्रीकी देश के सबसे दूरस्थ और सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है, जहां मिशनरी, फादर फिलिपो पेरिन, लारे पल्ली के पल्ली पुरोहित, 2008 से बड़े सलेसियन समुदाय के साथ रह रहे हैं और काम कर रहे हैं। वे 2000 की जयंती के बाद यहां पहुंचे।
गैम्बेला कई अलग-अलग जातीय समूहों को एक साथ लाता है और लगभग दस वर्षों से आठ शरणार्थी शिविरों में रहने वाले कई दक्षिण सूडानी शरणार्थियों का घर भी रहा है। फादर फ़िलिपो हमें बताते हैं, "केवल 14 प्रतिशत आबादी के पास पीने का पानी है, इसलिए पानी को लेकर गांवों के बीच खूनी झड़पें होना कोई असामान्य बात नहीं है। इसीलिए पहली चीज़ जो हमें सबसे ज़रूरी लगी, वह थी कुएं खोदने के लिए धन जुटाना। हालाँकि, लागत अधिक है। इस अभेद्य और अलग-थलग क्षेत्र में खुदाई करने वाली मशीन लाने के लिए ही तीन हजार यूरो की आवश्यकता होती है और खुदाई कार्य की लागत भी महंगी है, लेकिन इससे लोगों की जान बच जाती है।
कलीसिया, ‘कुओरे अमिको फ्रातेरनिता फाउंडेशन’ और कई निजी व्यक्तियों के सहयोग से, आज गैम्बेला में 100 चापाकल बनाए गए हैं, और हम अधिक से अधिक लोगों को अपने जगहों में रहने के लिए ऐसा करना जारी रखना चाहते हैं, क्योंकि पानी के बिना, कोई जीवन नही है।
अफ़्रीका का (मोह) सपना
"जब मेरा पुरोहिताभिषेक किया गया, तो मुझे तुरंत मिशन पर जाने की इच्छा महसूस हुई। कुछ समय के लिए, मैंने उत्तर इटली में ट्रेविसो के पास मोलियानो वेनेतो में एक स्कूल में काम किया और युवाओं के साथ हम गरीब देश की यात्राओं और ग्रीष्मकालीन शिविरों पर गए। मुझे लगा कि मेरी जगह वहीं है, इसलिए मैंने अपने दिल और विचारों को वहीं छोड़ दिया। फिर अपने वरिष्ठों के साथ थोड़ी बातचीत के बाद, मुझे तुरंत अफ्रीका जाने की अनुमति मिल गई, जैसा मैंने हमेशा सोचा था जंगल, सवाना, खूबसूरत जानवर, शेर, बारहसिंघे, जिराफ, मगरमच्छ और झोपड़ियों वाले ये गांव, धूल भरी सड़कें, भीषण, दमघोंटू गर्मी और उन बच्चों की मुस्कुराहट जिनके पास कुछ भी नहीं है। हर चीज़ को लेकर उत्साहित, मुझे यह एक सपने जैसा लग रहा था..."
"फिर यहां रहते हुए, मैंने अपने हाथों से इस खूबसूरत भूमि के कष्टों, गंभीर रूप से चुनौतीपूर्ण पहलुओं को छुआ। जरा सोचिए, यहां जीवन प्रत्याशा 50 साल से कम है। भोजन की कमी है; लोगों को दिन में केवल एक बार भोजन मिलता है। कोई अस्पताल नहीं है और स्थानीय क्लीनिक केवल दो दवाएं वितरित करते हैं: परासेटामोल और एमोक्सिसिलिन, विभिन्न प्रकार के संक्रमणों के लिए एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक। युवा लोग और बच्चे उन बीमारियों से बीमार पड़ते हैं और मर जाते हैं जिनका दुनिया के अन्य हिस्सों में इलाज संभव है कोई स्कूल नहीं है; सरकारों के लिए भी शिक्षा प्राथमिकता नहीं है, इसलिए इसे अक्सर कलीसिया या गैर सरकारी संगठनों को सौंपा जाता है जो इस महत्वपूर्ण कार्य को सर्वोत्तम तरीके से करते हैं। बच्चों के पास लिखने के लिए नोटबुक और किताबें नहीं हैं, परंतु सीखने की बहुत इच्छा है। जलवायु स्थिति का तो जिक्र ही न करें : दिसंबर से जून तक तापमान 40-45 डिग्री से अधिक होता है और बारिश नहीं होती है, इसलिए कृषि को बहुत नुकसान होता है।"
गाँव में पानी मिलने की खुशी
फादर फ़िलिपो बताते हैं कि 16 वर्षों में, उन्होंने एक नया पल्ली खोला; गैम्बेला अब एक धर्मप्रांत है, और सबसे बढ़कर, वे 30 चापाकल खोदने के लिए धन जुटाने में कामयाब रहे हैं। वे आगे कहते हैं, "कुछ साल पहले, हम एक ऐसी कंपनी ढूंढने में कामयाब रहे जो खुदाई के लिए उपकरण मुहैया कराती थी। खुदाई करने वाला यंत्र सूखे महीनों के दौरान आता है जब बारिश नहीं होती है, तब यह गांवों तक आराम से पहुंच सकता है। अन्यथा, बरसात के मौसम में हर जगह पानी भर जाता है, सड़कें चलने लायक नहीं रह जाती, तकनीशियन निरीक्षण करते हैं, वे जल स्तर का पता लगाते हैं और देखते हैं कि पानी कितना गहरा है और यदि यह एक अच्छी जगह है, तो वे एक पंप की मदद से पानी को सतह पर लाने के लिए सीमेंट से बेस तैयार करते हैं।
जब पहला पानी निकलता है तो पूरा गांव खुशी से झूम उठता है। महिलाएं अपने जेरीकेन भरने पहुंचती हैं; कुछ पीते हैं, कुछ स्नान करते हैं, कुछ पागलों की तरह पानी से खेलते हैं, कुछ खुशी से नाचते हैं! वे सभी घंटों तक कुएं के चारों ओर खड़े रहते हैं और महसूस करते हैं कि उन्हें कितना बड़ा उपहार मिला है!" दुर्भाग्य से, हालांकि, आपूर्ति सीमित है; हमेशा जोखिम रहता है कि पानी खत्म हो जाएगा और फिर फादर फिलिप्पो बताते हैं, "यह महत्वपूर्ण है यह सुनिश्चित करने के लिए कि कुएं का अच्छी तरह से रख-रखाव किया जाए। निवासियों को चापा कल के हैंडल के सही उपयोग के बारे में निर्देश दिया जाता है लेकिन यह अक्सर टूट जाता है और फिर हमें इसे ठीक करने के लिए कंपनी को दोबारा बुलाना पड़ता है। इसे ठीक करने के लिए बहुत खर्च करना पड़ता है।
ठोस कार्यों के माध्यम से सुसमाचार प्रचार-प्रसार करना
इथियोपिया के अन्य क्षेत्रों की तरह, लारे गांव में लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि है। अधिकतर, मक्के की खेती की जाती है और मक्के का आटा बनाकर पोलेंता बनाया जाता है और यही उनका मुख्य भोजन है; एक अन्य आर्थिक गतिविधि पशुधन है, विशेष रूप से दूध और मांस के लिए गाय और भेड़ पाला जाता है, लेकिन पानी के बिना झुंडों को जीवित रखना मुश्किल है। अंत में, स्थानीय हस्तशिल्प और स्थानीय महिलाओं द्वारा सिले गए कपड़े छोटी व्यावसायिक गतिविधियाँ हैं, लेकिन वे निश्चित रूप से आय के एक बड़े स्रोत की गारंटी नहीं देते हैं। इसके अलावा, कोई यह समझ सकता है कि अत्यधिक गरीबी के इस संदर्भ में शिक्षा को प्रोत्साहित क्यों नहीं किया जाता है: युवा अक्सर खेती में अपने परिवारों की मदद करते हैं; उन्हें आजीविका के लिए काम करना पड़ता है और वे पढ़ाई का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं।
फादर फ़िलिपो आगे कहते हैं, "इस भूमि में, हम अपने आम घर और उसके निवासियों की देखभाल के लिए संत पापा के आह्वान के बारे में लगातार जागरूक रहते हैं। सलेसियन मिशनरियों के रूप में, हमारा मिशन केवल लोगों को कलीसिया में लाना नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए। बेशक, सुसमाचार का प्रचार करना, पूरे गाँव के साथ मिलकर पवित्र मिस्सा में का अनुष्ठान करना मौलिक है, लेकिन यहाँ हम कार्यों के माध्यम से प्रचार करते हैं और येसु हमसे कहते हैं कि प्यासे को पानी दो और भूखों को भोजन दो, धर्मशिक्षा शुरु करने से पहले, लोग मुझसे एक कुआँ खोलने के लिए कहते हैं, क्योंकि पानी जीवन की संभावना को बढ़ाता है यही कारण है कि हम न्यूनतम कल्याण सुनिश्चित करने के लिए, कुआँ परियोजना के साथ अपने कार्यों की शुरुआत करते हैं।
जीवित रहना! लारे और पूरे इथियोपिया में यह प्रमुख शब्द है; हम अपना मुँह फेरकर उदासीन नहीं हो सकते! और यदि हम जीवन नहीं दे सकते हैं, तो कम से कम हम अपने सामर्थ्य से सब कुछ करके जीवित रहना सुनिश्चित कर सकते हैं: पहले, स्वच्छ पेयजल या हाथ धोने के लिए, फिर इस महान जैव विविधता के लिए, शांति और सम्मान के लिए भी काम करना।
केवल जीवित रहना नहीं, जीवन को सक्षम बनाना
फादर फिलिप्पो पेरिन ने एक दर्दनाक कहानी के साथ अपना साक्षात्कार समाप्त किया: "फरवरी में, जो कि मेरे यहां आने के बाद से अब तक का सबसे गर्म महीनों में से एक था, हमने मृतकों की गिनती करते हुए दिन बिताए और इस पर कोई समाचार पत्र रिपोर्ट नहीं करता है। विभिन्न जातीय समूह पानी, कुओं पर नियंत्रण के लिए एक-दूसरे से टकराते हैं और हत्या करते हैं। अतः संत पापा का विश्वपत्र ‘लौदातो सी' और इससे भी अधिक ‘लौदाते देउम’, हमें इस दूरस्थ स्थान पर सद्भाव और भाईचारे के लिए काम करने हेतु प्रोत्साहित करते हैं, जहां हर चीज का अभाव है, लेकिन न कि केवल जीवित रहने की, बल्कि चीजों को बदलने और जीवित रहने में सक्षम होने की गहरी इच्छा भी है।”
इथियोपिया के इस क्षेत्र में कोई स्कूल नहीं है, लेकिन सलेसियन धर्मसमाजी अपनी ओर से बुनियादी शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करते हैं
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