सिस्टर रोसा रोकुज्जो और उर्सुलाइन धर्मबहनें जरूरतमंदों की मदद हेतु मिशन पर
सिस्टर मार्जिया दे लीमा, ओएसएफ
गुरुवार 6 जून 2024 (वाटिकन न्यूज) : रोसा रोकुज्जो का जन्म 1882 में मोंतेरोसो अल्मो (सिसिली द्वीप) में हुआ था, जो उस समय के सिराकूसा धर्मप्रांत में था, जिसे आज रागुसा कहा जाता है। जब रोसा 14 साल की थीं, तब उनकी माँ की मृत्यु हो गई थी, लेकिन उसने इस दर्द से अपने को पीछे नहीं रखा। उनके साथियों में से एक जुसेप्पा इंजिंगा कहती हैं, कि अपने अकेलेपन का सामना करते हुए, उन्होंने सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंद लोगों के लिए समर्पित करने के बारे में सोचा। रोसा लोगों के बीच गईं क्योंकि वह अपने शहर के लोगों की ज़रूरतों के लिए व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी लेना चाहती थीं। वह तुरंत काम पर लग गईं, इस दृढ़ इरादे के साथ कि हर किसी को शरीर और आत्मा में थोड़ी राहत देने का प्रयास करे।
रोसा के अटूट विश्वास ने एकांत को फलदायी बनाया
इसलिए, 1896 में, मोंतेरोसो अल्मो की युवा महिला झुग्गी-झोपड़ियों में जाकर बीमार और परित्यक्त बच्चों और बुजुर्गों की सहायता देना शुरु किया। वह सुबह-सुबह नदी में उनके कपड़े धोने के लिए निकल जाती थी और जब वह काम करती थी, तो वह अपने परिवार के कपड़े धोने वाली अन्य महिलाओं को प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करती थी। जब वह गरीबों और बीमारों से मिलने जाती थी, तो वह उन्हें उनकी ज़रूरत के हिसाब से चादर और पहनने के कपड़े देती थी, जो उसकी माँ द्वारा बुने गए कपड़े से बने होते थे और अपनी बेटी के दहेज के लिए रखे गये थे।
एक युवा महिला का सबसे ज़्यादा ज़रूरतमंदों के लिए बहुत प्यार
एक छोटी सी महिला जिसने भूख, गरीबी और प्लेग से पीड़ित सिसिली में अपना पूरा जीवन बीमारों, परित्यक्त बुज़ुर्गों और अनाथों की देखभाल करने में समर्पित कर दिया, जिनके चेहरे पर दर्द और पीड़ा के निशान थे, उसने उनमें मसीह के चेहरे की झलक देखी। बहुत साहस और विश्वास के साथ, यह छोटी लड़की अन्य युवा महिलाओं को अच्छे कामों को करने के लिए प्रेरित किया और अपने साथ शामिल करने में कामयाब रही, इस प्रकार पवित्र परिवार की उर्सुलाइन धर्मबहनों के धर्मसमाज का मार्ग प्रशस्त हुआ, जिसमें उसने अपना बाकी जीवन बड़ी विनम्रता और विवेक के साथ बिताया। वह जहाँ भी गई, रोसा ने गरीब लोगों के लिए विनम्र और बहादुर सेवा की अपनी छाप छोड़ा। 1956 में उनकी मृत्यु हो गई।
सिस्टर रोसा का मिशन आज भी जीवित है
मूलभूत करिश्मे के प्रति विश्वसनीय - अपने इतिहास की शुरुआत की तरह - आज पवित्र परिवार की उर्सुलाइन धर्मबहनें सुसमाचार प्रचार में अपनी प्रेरितिक सेवा प्रदान करने और समग्र मानव विकास में, शैक्षिक, रचनात्मक और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से जीवन को उसके सभी आयामों में बढ़ावा देने और अधिक न्यायपूर्ण और भाईचारे वाले समाज का निर्माण करती हैं। वर्तमान में वे इटली, ब्राजील और फ्रांस में सेवारत हैं।
ब्राज़ील में धर्मबहनों की उपस्थिति
1967 से ब्राज़ील में मौजूद पवित्र परिवार की उर्सुलाइन बहनों ने समाज के साथ मिलकर अपनी कहानी बनाई है, जिसे लोगों के भरोसे और विश्वसनीयता से बनाए रखा गया है। वहाँ की धर्मबहनें शहर के सबसे गरीब इलाकों में काम करती हैं ताकि सबसे वंचित लोगों को समाज में पूरी तरह शामिल किया जा सके।
लगभग 20 साल पहले, मोगी दास क्रूज़ के एक परिधीय शहर, सांतो अंजेलो में, "नाशेते दे वीता" के नाम से जाने जाने वाले सामाजिक केंद्र के उद्घाटन के बाद से, धर्मबहनें सीखने की कठिनाइयों वाले 7 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों के साथ रही हैं । वे सामाजिक जोखिम की स्थितियों में रहने वालों को प्राथमिकता देती हैं। साथ ही वे इन बच्चों और किशोरों के परिवारों में अपने बच्चों की देखभाल में सहयोग करने की जिम्मेदारी को फिर से जगाने का प्रयास करती हैं, उन्हें सक्रिय और जागरूक नागरिक बनाने के लिए प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, उन्हें अपने स्थानीय समुदाय में एकीकृत करती हैं ताकि वे अपने द्वारा अर्जित कौशल और ज्ञान का उपयोग करके श्रमिक बन सकें। इन परिवारों की मदद करने के लिए धर्मबहनें वैकल्पिक पोषण, सिलाई, शिल्प कौशल, स्वच्छता और सफाई उत्पादों, मैनीक्योर, साथ ही वयस्क साक्षरता सहित विभिन्न प्रकार के कौशल विकास पाठ्यक्रमों का आयोजन करती हैं। इन सभी पहलों का लक्ष्य परिवारों के लिए पैसे कमाने और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के अवसर पैदा करना है।
सिस्टर रोसा के करिश्मा को जारी रखना
सिस्टर रोसा रोक्कुजो का करिश्मा, जो एक गहन आंतरिक जीवन और गरीबों के लिए अथक और वीर सेवा द्वारा चिह्नित है, आज पवित्र परिवार की उर्सुलाइन धर्मबहनों द्वारा कलीसिया में जारी है। अपने पड़ोसियों की सेवा में, सादगी और विनम्र जीवन के दैनिक अनुभव में, पवित्र परिवार की प्रत्येक उर्सुलाइन धर्मबहन अपने भीतर सिस्टर रोसा के करिश्मा को लेकर चलती है, जिसने अपने ऐतिहासिक संदर्भ में, अपने शहर के बच्चों को ख्रीस्तीय शिक्षा से वंचित, गरीबों को बुनियादी जरूरतों से वंचित, बीमारों को बिना देखभाल के देखा: हर सुबह वह पवित्र मिस्सा समारोह में जाती और प्रभु से थोड़ा अच्छा करने में मदद करने के लिए कहती।
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