बांग्लादेशः सिनोडलिटी समावेशी कलीसिया का स्वरुप
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, 04 जून 2024 (रेई) बांग्लादेश के आठ धर्मप्रांतों के प्रतिभागियों ने तीन दिवासीय सम्मेलन में भाग लेते हुए धर्मसभा की विषवस्तु को कलीसियाई प्रशासन और सामुदायिक सहभागिता के लिए एक सहयोगात्मक और परामर्शात्मक दृष्टिकोण स्वरूप गहराई से समझने का प्रयास किया।
सेमिनार के प्रमुख विषयों में से एक एशिया के अद्वितीय सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य में सिनोडलिटी के अनुकूलन पर अपने विचार का व्यक्त करते हुए सिस्टर नैथली बेक्वार्ट, एक्सएमसीजे, धर्मसभा हेतु वाटिकन सचिवालय की सचिव ने कहा, "सिनोडलिटी एक गतिशील दृष्टि है, जो निरंतर लक्ष्य निर्धारित करने की प्रक्रिया के माध्यम से प्रकट होती है"।
एशियन धर्माध्यक्षीय धर्मसम्मेलन के सामाजिक संचार कार्यालय के कार्यकारी सचिव फादर जॉर्ज प्लाथोट्टम, एसडीबी ने अपने संबोधन में ख्रीस्तीययों से आग्रह करते हुए कहा “हमें धर्मसभा की प्रक्रिया में पवित्र आत्मा की आवाज़ को सुनने की जरुरत है जो हमें एक दूसरे का सम्मान, सहयोग करते हुए सभों के संग मिलकर चलने को प्रेरित करता है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे कलीसिया आपसी सम्मान और सहयोग को बढ़ावा देते हुए सिनोडल दृष्टिकोण के माध्यम गरीबी, प्रवास और सांस्कृतिक विविधता जैसी स्थानीय चुनौतियों का समाधान कर सकती है।
सेमिनार में भाग लेने वाले और भूतपूर्व सरकारी अधिकारी पियुस कोस्टा ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि किस तरह सिनोडलिटी की विषयवस्तु ने उनके निजी और पेशेवर जीवन को प्रभावित किया। कोस्टा ने कहा, “हमें दूसरे धर्मों के भाई-बहनों से मिलकर यात्रा करने हेतु सिनोडलिटी की भावना को अपने में आत्मसात करने की जरुरत है।”
तीन दिवसीय संगोष्ठी में पारंपरिक कलीसियाई संरचनाओं के भीतर धर्मसभा की प्रक्रियाओं को लागू करने की चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। ढ़ाका के महाधर्माध्यक्ष बिजोय एन. डी'क्रूज़ ने धर्मसभा के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बहु-धार्मिक और सांस्कृतिक बांग्लादेश में ख्रीस्तीय समुदाय की भूमिका पर ध्यान केंद्रित कराया। उन्होंने समुदाय के भीतर सत्ता, धन और असहिष्णुता के मौजूदा प्रभावों की ओर इशारा किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि इन मुद्दों को धर्मसभा के सिद्धांतों के माध्यम से कम किया जा सकता है।
“येसु जिस भांति दूसरों के दुःखों को सहानुभूति से सुनते हैं, हमें भी उसी तरह दूसरों की बातों को ध्यान से सुनने की आवश्यकता है, हमें दूसरों का स्वागत करते हुए हृदय से उन्हें आलिंगन करने की जरुरत है।”
बांग्लादेश में प्रेरितिक कार्यों हेतु नियुक्त महाधर्माध्यक्ष केविन रैंडल ने कलीसिया के प्रति संत पापा फ्रांसिस के एक दृष्टिकोण को दुहराया जो सुनना और सहयोग करना है, जो एक अधिक समावेशी और समझदार कलीसियाई समुदाय को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
संगोष्ठी का समापन मिस्सा बलिदान से कहते हुए महाधर्माध्यक्ष रैंडल ने अपने प्रवचन में कहा, “संत पापा फ्रांसिस ने कलीसिया के संग हमारे संबंध को सुंदर बनाने हेतु एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जहाँ हम से दूसरों की बातों को सुनने के लिए एक नेक हृदय विकसित करने की मांग की जाती है।”
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