हरेक व्यक्ति के दिल में हमेशा शांति के लिए एक कोना होता है
वाटिकन न्यूज
फिलीपींस, शनिवार, 13 जुलाई 2024 (रेई) : फादर सेबास्तियानो डी'अम्ब्रा द्वारा मिंदानाओ द्वीप पर ख्रीस्तीय और मुसलमानों के बीच शांति और संवाद को बढ़ावा देने के प्रयासों के कारण ही फिलीपींस की काथलिक कलीसिया ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया है।
विदेश मिशन के लिए परमधर्मपीठीय संस्था (पीआईएमई) के फादर सेबास्तियनो डी आम्ब्रा अंतरधार्मिक आंदोलन सिलसिला के संस्थापक हैं।
"बिशप जॉर्ज बार्लिन गोल्डन क्रॉस" पुरस्कार काथलिक कलीसिया में धर्माध्यक्ष के रूप में नियुक्त होनेवाले फिलीपींस के पहले पुरोहित की स्मृति को समर्पित है।(1906 में)
पुरस्कार वितरण समारोह 7 जुलाई को, काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की आमसभा के दौरान सम्पन्न हुई।
फादर सेबास्टियानो, जो 40 से अधिक वर्षों से फिलीपींस में मिशनरी हैं, एक साक्षात्कार में एशियाई द्वीपसमूह में अपने सुसमाचार प्रचार कार्य और सिलसिला आंदोलन द्वारा प्राप्त सफलता के बारे में बताया।
प्रश्न – पुरस्कार के बारे जानने के बाद आपकी पहली प्रतिक्रया क्या थी?
मैं बहुत खुश हुआ, खासकर, इसलिए क्योंकि फिलीपींस में कलीसिया ने, न केवल मेरे काम को मान्यता दी है, बल्कि पिछले कुछ सालों में मेरे काम से विकसित हुए विभिन्न पहलुओं को भी मान्यता दी है। मिशन पर अपने शुरुआती दौर में, मैंने विद्रोही समूहों और सेना के बीच मध्यस्थ के रूप में शांति निर्माण में योगदान दिया। यह एक कठिन दौर था जो शांति वार्ता के कारण समाप्त हुआ, भले ही, व्यक्तिगत रूप से, मुझे सेना के साथ इतनी समस्याएँ हुईं कि मुझे 1981 में फिलीपींस छोड़ना पड़ा।
इस दौरान मैंने अध्ययन किया, इस्लाम के साथ वार्ता के मेरे ज्ञान को बढ़ाया। जब मैं 1983 में फिलीपींस लौटा तब मैंने मुस्लिम और ख्रीस्तीयों से सिलसिला आंदोलन (अरबी शब्द जिसका अर्थ श्रृंखला या लिंक) का प्रस्ताव रखा तथा 1984 में हम एक साथ काम करने लगे।
इसके बाद फिलीपींस के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने “इम्माउस संवाद आंदोलन” को मान्यता दी, जिसकी स्थापना मैंने 1987 में की थी: यह एक ऐसा आंदोलन है जिसमें समर्पित लोकधर्मी, विवाहित लोग, पुरोहित, धर्मबहनें, सेमिनरी छात्र, युवा और हाल ही में एक धर्माध्यक्ष भी शामिल हैं।
प्रश्न – क्या आपको इस पहचान की उम्मीद थी?
जी नहीं, लेकिन मुझे पता है कि फिलीपींस का काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन हमारे काम को दिलचस्पी से देखता है। यही कारण है कि वे मुझे यह पुरस्कार देना चाहते थे।
प्रश्न – आपने मिंदानाओ में ख्रीस्तीय और मुसलमानों के बीच शांति एवं वार्ता को कैसे बढ़ावा दिया?
बहुत प्रयास की आवश्यकता थी और शुरू से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक पीमे मिशनरी के रूप में, मैंने संवाद के बारे में द्वितीय वाटिकन महासभा के निर्देशों को लागू करने की कोशिश की, जिसे तब "मिशन के नए तरीके" का हिस्सा माना जाता था।
जब मैंने मिंदानाओ में काम शुरू किया तब मार्शल लॉ लागू था, ख्रीस्तीयों और मुसलमानों के बीच बहुत हिंसा और नफरत थी। अपने काम को समझाने के लिए मैं अक्सर दोस्तों से कहता हूँ कि मैंने मिशन के सबसे कठिन पहलुओं को इसलिए चुना क्योंकि ईश्वर ने मुझे उस रास्ते पर चलने की हिम्मत और ताकत दी है। चुनौतियाँ अभी भी बहुत है, भले ही जब से मैंने सिलसिला आंदोलन शुरू किया और मुझे अंतरधार्मिक संवाद के लिए धर्माध्यक्षीय आयोग का कार्यकारी सचिव नियुक्त किया गया, तब से बहुत कुछ बदल गया है, इस पद को मैंने दो साल पहले तक संभाला था। मैं अभी भी इसमें योगदान देता हूँ।
प्रश्न – क्या आप प्राप्त परिणाम से संतुष्ट हैं?
बीते वर्षों में कई परिणाम मिले हैं जो पीड़ा और गलतफहमी से मिश्रित हैं। शुरू में पूर्वाग्रह और संदेह था लेकिन अब सभी कोई कलीसिया के मिशन पर रूचि रख रहा है, यद्यपि समाज के कुछ भागों में अब भी प्रतिरोध और संदेह है।
प्रश्न – मिंदनाओ की स्थिति क्या है?
यह जटिल है। हालांकि, सरकार विभिन्न रूपों में हस्ताक्षेप कर रही है इसके अलावा, एक शांति समझौते और मुस्लिम बहुल द्वीप के कुछ क्षेत्रों में एक स्वायत्त प्रशासन का स्वरूप भी है। साथ ही, पहले की तुलना में अब मुस्लिम समूह विभाजित हैं और विभिन्न क्षेत्रों में फैले हुए हैं। निश्चित रूप से, कलीसिया के एक साथ चलने (सिनॉडल) का मार्ग हमारी मदद कर रहा है; फिर भी, यह एक लंबी यात्रा है।
प्रश्न – आपके मिशन की मुख्य बाधाएँ क्या हैं?
मैंने इसकी शुरूआत 1977 ई. में पहाड़ों में कुछ ख्रीस्तीय समुदायों की सेवा करके शुरुआत की, फिर सुबानोन नामक एक आदिवासी समूह के साथ काम किया, लेकिन दो साल बाद उस क्षेत्र में संघर्ष के कारण मैंने मुसलमानों के साथ काम करना, उनके साथ रहना और शांति के लिए मध्यस्थ के रूप में काम करना चुना।
दुर्भाग्य से, 1981 में मेरे दल पर हमला हुआ, जिसमें एक सदस्य की मौत हो गई और मुझे इटली लौटना पड़ा। मैं मिशन के कई चरणों से गुजरा और मुझे कुछ निर्णय लेने थे। इस संदर्भ में मैंने काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के लिए भी काम किया, पहले धर्माध्यक्ष फर्नांडो रॉबल्स कैपला के साथ, जिन्होंने मुझे अंतरधार्मिक संवाद के लिए धर्माध्यक्षीय आयोग में उनकी मदद करने के लिए कहा, और बाद में, जब उन्हें दावो का महाधर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया, तो मैंने बिशप-उलेमा फोरम आयोग के सचिव के रूप में उनकी मदद की, जो बाद में बिशप-उलेमा सम्मेलन बन गया। अंतरधार्मिक संवाद की यात्रा पर यह एक दिलचस्प अनुभव था, और इसने इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे पड़ोसी देशों को आंशिक रूप से प्रभावित किया।
प्रश्न – क्या आपको लगता है कि भविष्य में मिंदनाओ में सौहार्द को मजबूत किया जा सकता है? वहाँ क्या खतरा हो सकता है?
मुझे लगता है कि भविष्य में संवाद को और मजबूती मिलेगी क्योंकि फिलीपीनी कलीसिया और विश्वव्यापी कलीसिया आमतौर पर इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, खासकर धर्मसभा के रास्ते पर। साथ ही मैं देख रहा हूँ कि विश्व शांति के क्षितिज पर नई कठिनाइयाँ उभर रही हैं। शांति का मार्ग हिंसा के प्रकरणों से होकर गुजरता है और मुझे लगता है कि यहाँ भी यह जारी रहेगा।
प्रश्न – क्या आपने किसी पहल की योजना बनायी है?
सिलसिला आंदोलन के रूप में हमने कई योजनाएँ बनाई हैं; एक 1987 से चल रही है। यह मुसलमानों और ख्रीस्तीयों के लिए ग्रीष्मकालीन कोर्स है, जो जल्द ही 38वाँ ग्रीष्मकालीन कोर्स बन जाएगा। इन वर्षों में हमारे पास हज़ारों प्रतिभागी रहे हैं, जिनमें से कई अब कलीसिया एवं समाज में जिम्मेदारी के पदों पर हैं।
सिलसिला आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता, प्रशिक्षण, विदेशों में रहनेवाले फिलिपिन्सवासियों की देखभाल, जेल की स्थितियों और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अन्य कार्यक्रमों के आयोजन के लिए भी जाना जाता है, जिसकी देखरेख हम शांति के मार्ग के रूप में संवाद की संस्कृति को बढ़ावा देने के अपने मिशन और व्यवसाय के हिस्से के रूप में करते हैं।
हमारे संवाद का एक आध्यात्मिक आधार है जिसे हमने एम्माऊस आंदोलन में स्थानांतरित कर दिया है, जो उन काथलिकों के लिए है जो इस बुलाहट और मिशन को चुनते हैं। अंतरधार्मिक संवाद पर एम्माऊस कॉलेज ऑफ थियोलॉजी मेजर में, युवा काथलिक एक ठोस प्रशिक्षण प्राप्त करने और कलीसिया में नेता बनने के लिए अध्ययन करते हैं जब वे संवाद की भावना को जीते हैं।
प्रश्न: क्या आप इस्लामिक समुदाय के नेताओं के साथ अच्छे संबंध रखते हैं?
मुसलमानों के साथ हमारे संबंध अच्छे हैं। वे जानते हैं कि सिलसिला सभी के लिए एक आंदोलन है, भले ही इसे काथलिक मिशनरी ने शुरू किया हो। हम दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह यहाँ भी आतंकवादी समूहों की मौजूदगी को नज़रअंदाज़ नहीं करते। इसलिए, हमें वर्तमान में जीने और सार्वभौमिक भाईचारे की भावना से अच्छाई और शांति में योगदान देने के लिए कहा जाता है। अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।
प्रश्न: क्या सिलसिला आंदोलन उन अन्य देशों के लिए एक उदाहरण बन सकता है जहाँ बहुत ज़्यादा तनाव है?
यह अच्छा होगा यदि आंदोलन अन्य देशों के लिए एक उदाहरण बना। जापान में वे अनुरोध कर रहे हैं कि सिलसिला को यूनेस्को द्वारा मान्यता दी जाए। हमने जो संवाद और शांति की यात्रा शुरू की है, वह ईश्वर द्वारा हममें से प्रत्येक के हृदय में रखे गए प्रेम को साझा करने की इच्छा से प्रेरित है।
मैं मानता हूँ, क्योंकि मैंने विद्रोहियों के बीच इसका अनुभव किया है कि हर व्यक्ति के हृदय में हमेशा शांति का एक कोना होता है। इसी भावना से मैं अपना मिशन जारी रखता हूँ।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here