पेरो मिलिसेविक: “मैंने अपने पिता के हत्यारों को माफ कर दिया”
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, 22 अगस्त 2024 (रेई) रिमिनी की बैठक में मोस्टार के एक युवा पुरोहित पेरो ने अपने ख्रीस्तीय विश्वास और प्रेम को साझा करते हुए वाटिकन रेडियो संवाददाताओं से कहा कि मैंने अपने पिता के हत्यारों को माफ कर दिया है।
“दो चीजें हैं जिन्हें अलग नहीं की जी सकती हैं, क्षमा प्राप्ति और क्षमा दान। हानि और क्षति की स्थिति में बुराई करने वालों को माफ करना असंभव ऊंचे पहाड़ में चढ़ने जैसा होता है। हम इसे अकेले नहीं कर सकते, बल्कि इसके लिए हमें ईश्वरीय कृपा की आवश्यकता होती है, जिसकी कृपा हमें मांग की जरुरत है।” संत पापा फ्रांसिस ने 18 मार्च 2020 को अपने आमदर्शन समारोह में इस पर प्रकाश डाला था जिसे मोस्टार के एक युवा पुरोहित मिलिसेविक ने चरितार्थ करते हुए अपने जीवन में आत्मसात किया और अपने पिता के हत्यारों को क्षमा कर दिया।
अंधेरी रातों का शिकार
रिमिनी की बैठक में वाटिकन रेडियो के संवाददाताओं को दिये गये अपने साक्षात्कार में पुरोहित पेरो ने बतलाया कि सन् 1993 के युगोस्लाविया युद्ध के दौर वह मात्र सात वर्ष का था। “एक ही दिन में मैंने अपने परिवार के 8 लोगों को खो दिया। मेरे पिता मारे गये, मेरी चाची ने अपने तीन बच्चों को खोया, दूसरी चाची ने अपने बेटे को खोया, मेरी और एक चाची मारी गई...” इस दर्दनाक कहानी का अंत वहाँ नहीं हुआ। पेरो ने कहा कि सात वर्ष की आयु में उसे युद्ध बंदी स्थल ले जाया गया।
शांति का मरूद्यान
पुरोहित पेरो ने अपने जीवन की घटनाओं का जिक्र कहते हुए कहा कि मोस्टार के अन्य बच्चों के साथ उन्हें एक महीने के लिए इटली लिया गया। इस यात्रा के आयोजक पुरोहित बेनिटो जियोर्जेटा, जो बैठक में मौजूद थे, जो पेरो को टर्मोली ले गए घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि यात्रा हेतु सभी जरूरी दस्तवेजों की पूरी प्रक्रिया उपरांत मैं उसे लेने के लिए व्यक्तिगत रूप से गया था। पुरोहित बेनिटो ने कहा कि उनके लिए बहुत सारे बलिदान और बहुत सारी प्रतिबद्धताएं थीं, लेकिन इन सबसे ऊपर वे उन बच्चों के लिए शांति की चाह रखते थे, जो पीड़ित थे। बेनिटो ने अपने विचारों को साझा करने के क्रम में उन परिवारों के लिए कृतज्ञता और धन्यवाद के भाव व्यक्त किये जिन्होंने उस समय उनका स्वागत किया।
प्रेम भूला नहीं जाता है
पुरोहित पेरो ने जीवन की घटनाओं की याद करते हुए आगे कहा कि बच्चे मोस्टार लौट आये और उनकी पीड़ा और मानवीय रिश्तों को सुधारने और सदमों के उपचार हेतु कई प्रयास किये गये जिसमें कई वर्ष बीत गये। लेकिन उसने अपने लिए ज़ाग्रेब गुरूकुल का चुनाव किया। वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए इटली लौटा जिसके दौरान उसने संत जोवान्नी रोतोंदो की तीर्थयात्रा की जहाँ उसे टर्मोली के चिन्ह दिखाई दिये। यागदारी की लौ फिर से जल उठी, और वह फेसबुक के माध्यम उस कैस्तोता परिवार को खो निकाला जिसके द्वारा उसका स्वागत किया गया था। रोम लौटने पर आश्चर्यजनक रुप में उसकी मुलाकात पुरोहित बेनिटो से हुई और उन्होंने एक साथ टर्मोली में मिस्सा बलिदान अर्पित किया। “प्यार- पुरोहित पेरो ने कहा- भुलाया नहीं जा सकता है”।
"मुझे पता है मेरे पिता को किसने मारा..."
सुसमाचार की प्रेममय ज्याति से प्रज्वलित पेरो ने प्रेम का साक्ष्य देते हुआ कहा कि “जैसे ईश्वर हमें क्षमा करते हैं वैसे ही हमें दूसरों को भी माफ करना चाहिए, मुझे पता है कि मेरे पिता को किसने मारा - लेकिन मैं बदले की भावना से नहीं जी सकता।” उनसे प्रेम की अनुभूति में अपने विचारों को साझा करते हुए कहा “अगर मुझमें नाराज़गी बनी होती, तो ऐसी परिस्थिति में ईश्वर का पुरोहित नहीं होता, हम सभी गलती करते हैं, हम इंसान हैं, हम एक ही जगह पैदा हुए हैं, हम बहुत अलग नहीं हैं।” पुरोहित पेरो के जीवन में ख्रीस्तीय अनुभवों के सार को व्यक्त करते हुए कहा कि क्षमा चंगा होने और दूसरे को एक सच्चे भाई के रूप में देखने का तरीका है।
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