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इन्डोनेशिया वासी संत पापा के स्वागत की तैयारी में इन्डोनेशिया वासी संत पापा के स्वागत की तैयारी में  (ANSA)

इंडोनेशिया दौरे से पहले कार्डिनल सुहार्यो: संत पापा फ्राँसिस “आशा की किरण” हैं

इंडोनेशिया के कार्डिनल इग्नासियस सुहार्यो ने संत पापा फ्राँसिस को अंतरधार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने में “आशा की किरण” बताया है। संत पापा के इंडोनेशिया पहुंचने से कुछ दिन पहले मीडिया ब्रीफिंग में उन्होंने संत पापा फ्राँसिस को अंतरधार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने में “आशा की किरण” बताया।

माथियस हरियादी, लीकास न्यूज़

जाकार्ता, शनिवार 31 अगस्त 2024 :  इंडोनेशियाई धर्माध्यक्षीय कॉन्फ्रेंस की नई बिल्डिंग में गुरुवार को आयोजित प्रेस सम्मेलन में विभिन्न मीडिया के दर्जनों पत्रकार शामिल हुए। यह सम्मेलन संत पापा फ्राँसिस के 3 सितंबर को जकार्ता पहुंचने से कुछ दिन पहले हुआ है।

जाकार्ता के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल इग्नासियुस सुहार्यो ने विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच अच्छे संबंधों को बढ़ावा देने के लिए संत पापा फ्राँसिस की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने विभिन्न समुदायों के बीच पुल बनाने के संत पापा के प्रयासों पर जोर दिया।

कार्डिनल सुहार्यो के अनुसार, आशा का यह संदेश इंडोनेशिया में गहराई से गूंजता है। इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल देश है, जो उदार इस्लाम और धार्मिक सहिष्णुता की परंपरा के लिए जाना जाता है।

उन्होंने कहा कि संत पापा की प्रेरितिक यात्रा से पहले एक आश्चर्य की बात यह थी कि हाल ही में ‘साल्वे, पेरेग्रीनान्स स्पी’ (शुभ दिवस, आशा का तीर्थयात्री) नामक पुस्तक का प्रकाशन हुआ, जिसे इंडोनेशिया के प्रमुख मुसलमानों के एक समूह ने लिखा है।

कार्डिनल ने इस घटनाक्रम पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह इंडोनेशिया के मुसलमानों के मन में संत पापा फ्राँसिस के प्रति सम्मान और प्रशंसा को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, "मुझे अप्रत्याशित रूप से आश्चर्य इस बात से हुआ कि यह बहुत मोटी पुस्तक इंडोनेशिया के कई प्रमुख मुसलमानों द्वारा लिखी गई है।"

उन्होंने लेखकों की इस बात के लिए प्रशंसा की कि उन्होंने संत पापा को आशा के प्रतीक के रूप में पहचाना, खासकर अंतरधार्मिक संवाद और सहयोग के संदर्भ में।

कार्डिनल सुहारियो ने बताया कि पुस्तक का प्रकाशन वाटिकन और इंडोनेशिया के मुस्लिम समुदाय के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ इंडोनेशिया के उदारवादी मुसलमानों को ‘फ्रातेल्ली तुत्ती’ और ‘मानव बंधुत्व पर अबू धाबी दस्तावेज़’ के सिद्धांतों को लागू करने के लिए एक रोल मॉडल के रूप में मानता है, जो दोनों विभिन्न धर्मों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की वकालत करते हैं।

संत पापा फ्राँसिस की इंडोनेशिया यात्रा, जो पहले सितंबर 2020 में होने वाली थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई, का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। संत पापा की यात्रा का एक मुख्य आकर्षण 5 सितंबर को जकार्ता के गेलोरा बुंग कार्नो (जीबीके) स्पोर्ट्स स्टेडियम में होने वाला पवित्र मिस्सा समारोह होगा, जिसमें 88,000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।

इस मिस्सा समारोह में 800 पुरोहित, दो इंडोनेशियाई कार्डिनल, 34 इंडोनेशियाई धर्माध्यक्ष, 10 एशियाई धर्माध्यक्ष और एक ऑस्ट्रेलियाई धर्माध्यक्ष के शामिल होने की उम्मीद है। स्थल की सीमित क्षमता के कारण, कार्यक्रम का जकार्ता महाधर्मप्रांत के सभी पल्लियों में सीधा प्रसारण किया जाएगा।

आयोजन समिति के प्रमुख इंडोनेशिया के पूर्व परिवहन मंत्री इग्नासियुस जोनान ने पुष्टि की कि कार्यक्रम के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं, जिसमें उपस्थित लोगों की भीड़ को प्रबंधित करने के लिए जकार्ता अधिकारियों द्वारा जारी घर से काम करने की सलाह भी शामिल है।

इस कार्यक्रम को कवर करने के लिए 700 से अधिक इंडोनेशियाई पत्रकार लगे हुए हैं, जिनमें वे भी शामिल हैं जो संत पापा के साथ रोम से जकार्ता आएंगे, इस ऐतिहासिक यात्रा से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया का काफी ध्यान आकर्षित होने की उम्मीद है।

इंडोनेशिया के बिशप सम्मेलन के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष अंतोनियुस सुबियांतो बुंजामिन ओएससी, ने कहा, "हम इंडोनेशियाई केंद्रीय सरकार, जकार्ता प्राधिकरण, प्रेरितिक राजदूतावास और सैकड़ों स्वयंसेवकों को संत पापा के साथ इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न कराने में भाग लेने के लिए उदार दिल से धन्यवाद देते हैं।"

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31 August 2024, 15:32