ईराक में खलदैई ख्रीस्तीयों के धर्मगुरु प्राधिधर्माध्यक्ष कार्डिनल लूईस साको ईराक में खलदैई ख्रीस्तीयों के धर्मगुरु प्राधिधर्माध्यक्ष कार्डिनल लूईस साको 

पीड़ा समस्त ईराकियों को करती एकजुट, कार्डिनल साको

ईराक के काथलिक धर्माधिपति बगदाद के प्राधिधर्माध्यक्ष कार्डिनल लूईस साको ने वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में कहा कि तथाकथित इस्लामिक स्टेट द्वारा ईसाइयों और यजीदियों के नरसंहार के दस वर्ष बाद दुख सभी इराकियों को एकजुट करता है।

वाटिकन सिटी

ईराक, शुक्रवार, 9 अगस्त 2024 (वाटिकन न्यूज़): ईराक के काथलिक धर्माधिपति बगदाद के प्राधिधर्माध्यक्ष कार्डिनल लूईस साको ने वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में कहा कि तथाकथित इस्लामिक स्टेट द्वारा ईसाइयों और यजीदियों के नरसंहार के दस वर्ष बाद, कि दुख सभी इराकियों को एकजुट करता है: "हम सभी एक-दूसरे के लिए जिम्मेदार हैं, और जब हम मरेंगे, तो ईश्वर यह नहीं पूछेंगे कि मैं ईसाई हूं या मुसलमान, बल्कि यह पूछेंगे कि 'तुमने अपने भाई के लिए क्या किया है?"

विनाश

दस साल पहले, 6 अगस्त 2014 की रात को 120,000 इराकी ईसाइयों को अपने घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा था। इसके अलावा, एक पूरी जमात - यजीदियों - को खत्म करने की कोशिश की गई थी। 3,000 से अधिक पुरुष, महिलाएँ, किशोर और किशोरियाँ मारी गई थीं और कम से कम 6,800 लोगों, खास तौर पर महिलाओं और बच्चों को तथाकथित इस्लामिक स्टेट ने अगवा कर लिया था, इस आक्रमण को संयुक्त राष्ट्र संघ ने नरसंहार माना है।

इस विषय में वाटिकन न्यूज़ से कार्डिनल साको ने कहा कि यह ईराकी लोगों के लिए एक "सामूहिक त्रासदी" थी। उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीयों और अन्य अल्पसंख्यकों से जुड़ी एक त्रासदी लोगों के दिमाग में अभी भी बनी हुई है। यह सच है कि आईएसआईएस को पराजित कर दिया गया है, लेकिन इसकी विचारधारा अभी भी मज़बूत है, और वह केवल ईराक में ही नहीं।"

भविष्य की चिन्ता

कार्डिनल साको कहते हैं कि लोगों ने अब भविष्य के प्रति अपनी आशा को खो दिया है। सभी के मन में यही प्रश्न है कि हमें अंततः कब एक आधुनिक और लोकतांत्रिक राज्य मिलेगा, जहां हर नागरिक समान अधिकार और समान कर्तव्यों के साथ जीवन यापन कर सकेगा?

उन्होंने कहा कि यही कारण है कि सिर्फ़ ईसाई ही नहीं, बल्कि कई लोग ईराक छोड़कर जा रहे हैं, हालांकि उन्होंने कहा कि कलीसिया का लोगों से बात करने की कोशिश करती है, उन्हें भरोसा दिलाती है कि यह बुराई लंबे समय तक नहीं रहेगी इसलिये उन्हें धैर्य रखने की ज़रूरत है।

कार्डिनल महोदय ने कहा, ईसाई अपनी सुरक्षा को लेकर लगातार डरे हुए हैं क्योंकि देश में स्थिरता नहीं है और वे अल्पसंख्यक हैं। इसके अलावा, हर कोई मध्य पूर्वी संकट से उत्पन्न तनाव के बारे में चिंतित है। निनवे मैदान के ईसाई और यजीदी दोनों ही डरे हुए हैं।

मानसिकता बदलनी होगी

कार्डिनल साको ने कहा, हमें युद्ध और प्रतिशोध की मानसिकता को बदलने की जरूरत है। हमें बातचीत करना सीखना होगा और समस्याओं को हथियारों से नहीं बल्कि बातचीत के जरिए हल करना होगा। हमें शैक्षिक कार्यक्रमों, भाषा तथा लोगों द्वारा दिए जाने वाले भाषणों को बदलने की ज़रूरत है।

पश्चिम का रवैया

पश्चिमी जगत  के रवैये पर कार्डिनल साको ने कहा कि पश्चिम उन लोगों के प्रति कुछ हद तक डरपोक है जो सोचते हैं कि युद्ध ही एकमात्र समाधान है, जबकि यह विश्वास होना चाहिये कि युद्ध कभी जीत नहीं हो सकता, इसमें सबकी हार है, जैसा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने कई बार कहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिम के साथ समस्या है उदासीनता की। हर कोई लाभ के तर्क पर केंद्रित है और नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों का अभाव है। हम इसे यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है, उसमें देख सकते हैं और यह बेहद दुख की बात है।

कार्डिनल साको ने कहा, मुझे लगता है कि हमें मानवता के भाव में अपने भाइयों और बहनों को नहीं भूलना चाहिए। हम सब भाई-बहन हैं, और जीवन एक अद्भुत चीज़ है। हम बिना कुछ किए लोगों को मरने नहीं दे सकते, चाहे वह ईराक में हो या कहीं और। हममें से हर कोई दूसरे के लिये ज़िम्मेदार है, क्योंकि जब हम मरेंगे, तो ईश्वर  यह नहीं पूछेंगे कि आप ईसाई हैं या मुसलमान, बल्कि हमसे पूछेंगे: तुमने अपने भाई के लिए क्या किया है?

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

09 August 2024, 10:45