फूल से बने क्रूस का स्पर्श कर प्रार्थना करता एक श्रद्धालु फूल से बने क्रूस का स्पर्श कर प्रार्थना करता एक श्रद्धालु  (AFP or licensors)

भारतीय धर्माध्यक्षों की ख्रीस्तीय एकता सभा में ख्रीस्तीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर चर्चा

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) के तत्वधान में आयोजित, राष्ट्रीय धर्माध्यक्षों की एक ख्रीस्तीय एकता फेलोशिप मीटिंग में विभिन्न ख्रीस्तीय समुदायों के लगभग 40 प्रमुख नेता, बेंगलुरु के सेंट जॉन्स नेशनल एकेडमी ऑफ हेल्थ साइंसेज में एकत्र हुए।

लिकास न्यूज

धर्माध्यक्षों की राष्ट्रीय ख्रीस्तीय एकता फेलोशिप मीटिंग का उद्देश्य था ख्रीस्तीय समुदाय के बीच मेलजोल और भाईचारे को बढ़ावा देना, जिसमें विश्वव्यापी आंदोलन को मजबूत करने और तत्काल राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

कार्यक्रम में देशभर की कलीसियाओं के अध्यक्ष, संचालक और प्रमुख एक साथ संवाद, प्रार्थना और संगति में भाग लेने के लिए एकत्रित हुए।

सभा की अध्यक्षता सीबीसीआई के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष एंड्रयूज थजाथ ने की, जिन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत किया, जबकि सीबीसीआई के संवाद और ख्रीस्तीय एकता कार्यालय के अध्यक्ष बिशप जोशुआ मार इग्नेथियोस ने उद्घाटन भाषण दिया।

आधिकारिक बयान के अनुसार, "इस फेलोशिप मीटिंग में एकत्र होने का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर धर्माध्यक्षों/कलीसियाओं के प्रमुखों के बीच प्रभु येसु मसीह में भाईचारे और बंधुत्व को बढ़ावा देना था। इसका उद्देश्य भारत में चल रहे विश्वव्यापी आंदोलन को मजबूत करना था ताकि प्रभु की अंतिम इच्छा और प्रार्थना ताकि 'वे सभी एक हो जाएँ', (यो. 17:21) जल्द ही साकार हो सके।"

ख्रीस्तीय एकता संवाद के दौरान, प्रतिभागियों ने भारत में ख्रीस्तीय समुदाय से संबंधित राष्ट्रीय चिंताओं और मामलों पर चर्चा की।

इस सभा के परिणामस्वरूप कलीसियाओं के बीच एकता को मजबूत करने के उद्देश्य से प्रमुख प्रस्ताव पारित हुए। बैठक में कलीसिया के धर्मगुरूओं के बीच भाईचारा और बंधुत्व बढ़ाने के लिए अधिक बार एक साथ आने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर कलीसियाओं के मौजूदा ख्रीस्तीय एकता संघों को मजबूत करने और कलीसियाओं के राष्ट्रीय संघ के गठन की पहल करने के प्रयास किए जाएंगे।

प्रतिभागियों ने राष्ट्र निर्माण में ख्रीस्तीय धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया और इस गलत व्याख्या को दूर करने का लक्ष्य रखा कि ख्रीस्तीय धर्म एक विदेशी धर्म है, क्योंकि भारत में इसकी मौजूदगी लगभग 2000 वर्षों से है।

ख्रीस्तीयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचारों पर चिंता व्यक्त करते हुए उपस्थित सदस्यों ने अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा और सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा की पुरजोर मांग की। उन्होंने अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराया कि दलित ख्रीस्तीयों को समान दर्जा और संवैधानिक अधिकार बिना किसी देरी के लागू किए जाएँ।

इसके अतिरिक्त, सभा ने 2025 की जयंती वर्ष के लिए साझा ख्रीस्तीय एकता समारोह आयोजित करने तथा निचेया की प्रथम ख्रीस्तीय एकता परिषद एवं निचेन धर्मसार की 1,700वीं वर्षगांठ मनाने का निर्णय लिया।

बैठक का समापन ख्रीस्तीय समुदाय और कलीसियाओं से “राष्ट्र और आमहित के लिए अधिक से अधिक योगदान देने” के आह्वान के साथ हुआ।

राष्ट्रीय ख्रीस्तीय एकता बिशप फेलोशिप बैठक, ख्रीस्तीय एकता के लिए प्रार्थना और फेलोशिप डिनर के साथ समाप्त हुई, जिसने प्रतिभागियों को “प्रभु येसु मसीह में भाइयों और बहनों के रूप में एक साथ आने की खुशी से भर दिया गया।”

 

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24 September 2024, 16:02