तिमोर-लेस्ते में हॉस्पीटलर धर्मबहनों ने मानसिक रोगियों की मदद हेतु एक मिशन खोला
सि. इसाबेल संतामरिया बेनितो, एचएससी
तिमोर-लेस्ते, शुक्रवार 20 2024 (वाटिकन न्यूज ) : सिस्टर इसाबेल मार्टिंस, जो येसु के पवित्र हृदय की हॉस्पीटलर धर्मबहनों का धर्मसंघ की सदस्य हैं, अपनी किशोरावस्था से ही मिशनरी बनने का सपना देखती थीं। उनके लिए, "मिशनरी बनने का मतलब था दूर चले जाना, खुद को उन लोगों से दूर रहना जिन्हें सबसे ज्यादा प्यार करती है ताकि वह खुद को दूसरों को दे सके।"
इसाबेल को अन्ततः समझ में आ गया कि हृदय से मिशनरी होने के लिए बड़ी भौतिक दूरियों की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि जरूरतमंदों के करीब होने की आवश्यकता होती है।
उन्होंने अपने बुलाहट को याद करते हुए कहा "मैं हमेशा से ही दूसरी संस्कृतियों और दूसरे लोगों के करीब रहना चाहती थी, जिन्हें मैं अपनी गरीबी के बावजूद थोड़ा और दे सकूँ, और साथ ही, दूसरों से और भी कुछ पा सकूँ, बाहरी धन इकट्ठा करने के लिए नहीं, बल्कि आत्मा को समृद्ध करने और खुद को अंदर से मुक्त करने के लिए।"
कुछ नया करने का आह्वान
उसका सपना उसी साल सच हो गया, जब उसे अपने अधिकारिणी से यह खबर मिली। “हाँ, धर्मबहन तिमोर-लेस्ते जा सकती है, हमें लगता है कि वह पहली लोगों में से एक हो सकती है” सिस्टर इसाबेल ने ईश्वर को उसकी उपस्थिति, धर्मसमाज और उन कई लोगों के लिए धन्यवाद दिया, जिनसे वह निकट और दूर से जुड़ी थी। उसने खुद को तैयार करना शुरू कर दिया।
बाहर की ओर
तिमोर में आने के बाद से ही, दो धर्मबहनों के साथ, सि. इसाबेल ने अपना काम शुरू कर दिया। पहला कदम एक हॉस्पिटलर समुदाय की स्थापना करना था, पड़ोसियों से मिलने के लिए सड़कों पर जाना और इसमें शामिल सभी लोगों के बीच संबंधों का एक नेटवर्क बनाना।
सि. इसाबेल कहती हैं, "मेरा विश्वास करो, यहाँ हम बाहर जाते हैं, हम बाहर जाते हैं, हम बाहर जाते हैं।" हर दिन, वे आस-पास रहने वाले लोगों से मिलने जाते हैं, अपने मरीजों के रिश्तेदारों से मिलते हैं और दूर रहने वाले अन्य लोगों से भी मिलते हैं। वे कुछ कठिन समय से गुज़री लेकिन निराश हुए बिना, वे कई हाशिए पर पड़े लोगों के जीवन में आशा की किरण बनती हैं।
तिमोर-लेस्ते पहुंचने के चार साल बाद, अगस्त 2023 में, उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के लिए संत बेनितो मेन्नी केंद्र खोला, जो प्रारंभिक निदान के लिए एक स्थान है, जिसमें जांच और उपचार परामर्श किया जाता है, निदान किए गए रोगियों की निगरानी की जाती है, मानसिक रोग से जुड़े पारिवारिक कलंक को कम किया जाता है और नए पेशेवरों को प्रशिक्षित किया जाता है।
ईश्वर के कार्यों का चमत्कार
ईश्वर की विनम्रता के साथ, सि. इसाबेल आज तिमोर-लेस्ते में अपनी उपस्थिति की समृद्धि को पहचानती हैं। उन्होंने देश में अपने अनुभव के बारे में कहा "हम इसे कई रोगियों के चेहरों पर देखते हैं। जब हम उनके बगल में खड़े होते और उन्हें गले लगाते हैं, तो हम उनके रिश्तेदारों और पड़ोसियों को यह पुष्टि कर रहे होते हैं कि उनका जीवन, उनकी विकलांगता के बावजूद, जिसने उन्हें प्रभावित किया है, वही मूल्य और गरिमा रखते हैं।"
भले ही कुछ रोगी अभी भी अस्थिर हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश अपने परिवारों में अच्छी तरह से घुलमिल गए हैं। जैसे-जैसे उपचार धीरे-धीरे असर दिखाने लगते हैं, "छोटे-छोटे चमत्कार" होने लगते हैं। परिवार का साथ अधिक मिलता है, जो रोगियों के ठीक होने के लिए ज़रूरी है।
सफलताएँ और नई चुनौतियाँ
तिमोर-लेस्ते में जब से उन्होंने यह केंद्र खोला है, तब से धर्मबहनों ने 72 मनोरोग रोगियों की देखभाल की है और इसके अतिरिक्त 26 बुज़ुर्ग और बीमार लोगों को पवित्र यूखारिस्त पहुँचाती है।
सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह है कि लोगों को व्यावसायिक चिकित्सा सेवा तक पहुँचने में कैसे मदद की जाए क्योंकि केंद्र तक पहुँचना मुश्किल है और अधिकांश परिवार परिवहन का खर्च नहीं उठा सकते।
मिशन की चुनौतियों के बारे में सि. इसाबेल ने निष्कर्ष निकाला और कहा "हम यह जानते हैं कि चुनौतियाँ मिशन की खासियत हैं और उनमें से अधिकांश को पार करना असंभव नहीं है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ईश्वर हमें अकेला नहीं छोड़ते। जब हम बाहर जाती हैं तो वे वहाँ होते हैं। जब हम रुकते और चिंतन करते हैं तो वे वहाँ होते हैं, वे हमेशा हमारे साथ रहते हैं।"
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