पोप की इंडोनेशिया यात्रा के केंद्र में अंतरधार्मिक संवाद
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, मंगलवार 3 सितंबर 2024 : पोप फ्राँसिस की 45वीं विदेश यात्रा, जो उन्हें एशिया और ओशिनिया के चार देशों में ले जाएगी, वे इंडोनेशिया का दौरा भी करेंगे, जहाँ 87% आबादी मुस्लिम है।
इंडोनेशिया गहरे अंतर-धार्मिक सहयोग का देश है, एक बहुलवादी समाज जहाँ "पंचशीला" के सिद्धांत सद्भाव, देखभाल और दूसरों के प्रति सम्मान का आधार प्रदान करते हैं।
फ्लोरेस के खूबसूरत इंडोनेशियाई द्वीप पर जन्मे, फा.मारकुस सोलो केवुता, एस.वी.डी, अंतर-धार्मिक संवाद के लिए परमधर्मपिठीय विभाग में एक अधिकारी हैं और उन्हें विशेष रूप से एशिया और प्रशांत क्षेत्र में काथलिक और मुसलमानों के बीच अंतर-धार्मिक संबंधों में काम करने का व्यापक अनुभव है।
इंडोनेशिया में अंतरधार्मिक संवाद
प्रेरितिक यात्रा से पहले एक साक्षात्कार में, फा. मारकुस ने अपने देश में अंतरधार्मिक संवाद की केंद्रीयता को रेखांकित किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इसकी विविधता ही इसकी विशेषता है।
उन्होंने कहा, "इंडोनेशिया एक बहुत ही बहुल समाज, बहुल देश, बहुल राष्ट्र है।" उन्होंने देश की प्रभावशाली बहुलता को ध्यान में रखते हुए समझाया, जिसमें 17,000 द्वीप और असंख्य जातीय समूह, धर्म और भाषाएँ हैं।
उन्होंने कहा कि इस विविधता के लिए अंतरधार्मिक संवाद में दैनिक भागीदारी की आवश्यकता होती है, जिसमें "जीवन का संवाद, सहयोग का संवाद, आध्यात्मिक आदान-प्रदान का संवाद और धार्मिक चिंतन का संवाद" जैसे विभिन्न रूप शामिल होते हैं।
जैसा कि संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने सही कहा है, हृदय का संवाद भी होता है और ये सभी प्रकार के संवाद इंडोनेशिया में दैनिक आधार पर होते हैं।"
पोप फ्राँसिस की यात्रा के मुख्य आकर्षणों में से एक जकार्ता की इस्तिकलाल मस्जिद में एक कार्यक्रम और एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करना शामिल है, जो राष्ट्र और पोप के लिए, आपसी समझदारी और शांति को बढ़ावा देना है।
उन्होंने आगे कहा कि पोप की उपस्थिति अंतरधार्मिक संवाद के महत्व को रेखांकित करती है "और साथ ही हमें इसे बेहतर तरीके से करने की प्रेरणा भी देती है।"
उन्होंने कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत खुश हूँ कि अंतरधार्मिक संवाद कार्यक्रम वास्तव में पोप फ्राँसिस की इंडोनेशिया यात्रा का केंद्र है।"
पंचशीला: इंडोनेशियाई एकता की नींव
अंतरधार्मिक सद्भाव के लिए इंडोनेशिया के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण तत्व पंचशीला की अवधारणा है, जो राष्ट्र का दार्शनिक आधार है।
फा. मारकुस ने बताया कि पंचशीला की स्थापना देश के संस्थापक पिता सुकर्णो ने 1945 में की थी और इसमें पाँच स्तंभ शामिल हैं: एक ईश्वर में विश्वास, सामाजिक मानवता, इंडोनेशिया की एकता, सामाजिक लोकतंत्र और सामाजिक न्याय।
"पंचशीला का अर्थ है पाँच स्तंभ और पंचशीला राष्ट्र, राज्य का हमारा मौलिक दार्शनिक आधार है। यह हमारे राज्य के संविधान में भी एकीकृत है।"
ये स्तंभ न केवल राष्ट्र के शासन का मार्गदर्शन करते हैं, बल्कि इंडोनेशियाई लोगों के बीच उनकी धार्मिक या जातीय पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना एक साझा पहचान को भी बढ़ावा देते हैं। फा. मारकुस ने कहा कि पोप फ्राँसिस इन सिद्धांतों की सराहना करेंगे: "मुझे यकीन है कि पोप फ्राँसिस वास्तव में इसकी सराहना करेंगे।"
अंतरधार्मिक सह-अस्तित्व की चुनौतियाँ
जबकि इंडोनेशिया को अक्सर सफल अंतरधार्मिक सह-अस्तित्व के आदर्श के रूप में उद्धृत किया जाता है, फा. मारकुस ने बढ़ती असहिष्णुता और कट्टरपंथियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को स्वीकार किया।
उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि "इंडोनेशिया जैसे अंतर-धार्मिक एवं बहुलवादी समाज में रहना हमेशा आसान नहीं होता है।" उन्होंने कहा कि इंडोनेशियाई मुसलमानों की मुख्य रूप से खुले विचारों वाली और समावेशी प्रकृति के बावजूद, जैसा कि नहदलातुल उलमा और मुहम्मदिया जैसे संगठनों द्वारा दर्शाया गया है। समाज के भीतर ऐसे तत्व हैं जो स्थानीय संस्कृतियों के एकीकरण का विरोध करते हैं और विभाजन को बढ़ावा देते हैं।
उन्होंने कहा कि पोप फ्राँसिस की यात्रा एक महत्वपूर्ण समय पर हुई है, जो सहिष्णुता और एकता के मूल्यों को सुदृढ़ करने का अवसर प्रदान करती है।
काथलिक कलीसिया की भूमिका
फा. मारकुस ने कहा कि अल्पसंख्यक होने के बावजूद इंडोनेशिया में काथलिक कलीसिया "बहुत जीवंत और सक्रिय है।" उन्होंने सेवाओं और कार्यक्रमों के बारे में बताया जो अक्सर विश्वासियों से भरे होते हैं।
उन्होंने कहा कि बोर्नियो द्वीप पर स्थित नई राजधानी नुसंतारा में एक भव्य काथलिक महागिरजाघर का निर्माण इस वास्तविकता की गवाही देता है।
उन्होंने यह भी कहा कि जकार्ता की माता मरिया का स्वर्गउद्ग्रहण महागिरजाघर शहर की सबसे बड़ी मस्जिद के ठीक सामने है। यह निकटता और “मैत्री सुरंग”के माध्यम से महागिरजाघर और मस्जिद के बीच भौतिक संबंध, धार्मिक भाईचारे और आपसी सम्मान का एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है।
अंतरधार्मिक संवाद के लिए परमधर्मपीठीय विभाग का कार्य
अंतरधार्मिक संवाद के लिए परमधर्मपीठीय विभाग में फा. मारकुस की भूमिका में दुनिया भर के धार्मिक संगठनों के साथ संबंधों को बढ़ावा देना शामिल है। हालांकि, उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया की आंतरिक धार्मिक गतिशीलता की जटिलता ने देश में मुस्लिम संगठनों के साथ एकीकृत सहयोग स्थापित करने में चुनौतियाँ पेश की हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने पुष्टि की कि परमधर्मपीठीय विभाग और वाटिकन इंडोनेशियाई मुसलमानों के साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखते हैं।
उन्होंने कहा, "कई साल पहले, कुछ महत्वपूर्ण इंडोनेशियाई हस्तियों ने वाटिकन में अंतरधार्मिक संवाद के लिए परमधर्मपीठीय समिति के साथ अच्छे संबंध स्थापित किए और हमने उन्हें नियमित रूप से भाग लेने और अंतरराष्ट्रीय बैठकों में आने के लिए आमंत्रित किया। वे आए और खुशी से भाग लिया और यह सिर्फ इस बात को रेखांकित करने के लिए है कि अंतरधार्मिक संवाद वास्तव में हमारे जीवन का हिस्सा है।"
यात्रा से उम्मीदें
इंडोनेशिया में पोप का स्वागत करते हुए फा.मारकुस ने विश्वास व्यक्त किया कि पोप देश की संस्कृतियों और धर्मों की समृद्ध परंपरा से बहुत प्रभावित होंगे।
"पोप फ्राँसिस सिर पर स्कार्फ बांधे महिलाओं और अलग-अलग तरह के वस्त्र पहने मुसलमानों, बौद्ध और हिंदू लोगों को भी देखेंगे, यह एक बहुलता है। उन्होंने कहा, "यह एक खूबसूरत भित्तिचित्र है", उन्होंने बताया कि यह यात्रा एक औपचारिक आयोजन से कहीं अधिक है; यह अंतरधार्मिक संवाद और एकता के प्रति देश की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि है।
यह बताते हुए कि पोप फ्राँसिस "हमेशा शांति, सद्भाव, न्याय, और एक साथ रहने के मूल्यों के लिए संघर्ष कर रहे हैं," फा. मारकुस ने विश्वास व्यक्त किया कि यह अनुभव उन्हें गहराई से छूएगा।
फा. मारकुस ने आगे कहा कि पोप इंडोनेशिया के विभिन्न धर्मों के लोगों के साथ मिलेंगे, ऐसे लोग जिन्होंने सिलतुराहमी की प्रथा को पूरी तरह से अपना लिया है जिसका अर्थ है "एक दूसरे से मिलना, मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देना और जीना, जैसा कि अक्सर पोप फ्राँसिस ने खुद जोर दिया है।"
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