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धर्माध्यक्ष फडौल: नए मैरोनाइट संत ‘लोकधर्मियों के लिए आदर्श’ हैं

धर्माध्यक्ष साइमन फडौल ने मैरोनाइट ने नये संतों को लोकधर्मियों के लिए आदर्श कहा।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने दमिश्क के 11 शहीदों सहित 14 नए धन्यों को संतों की उपाधि दी, धर्माध्यक्ष साइमन फडौल ने उनमें से तीन मैरोनाइट लोकधर्मियों की प्रशंसा की जिन्होंने मसीह के प्रति निष्ठा की गवाही दी।

संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में समपन हुई संत प्रकारण की धर्मविधि के बारे में धर्माध्यक्ष साइमन ने वाटिकन समाचार के दिये गये साक्षात्कार में कहा, "मुझे लगा कि हम पवित्रता की शादी देख रहे हैं।”

वाटिकन समाचार के स्टूडियो में नूर एल खोरी से बात करते हुए, धर्माध्यक्ष ने पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में मैरोनाइट ख्रीस्तीयों की याद की जिसमें सगे भाइयों फ्रांसिस, मूत्ती और रफाएल मासाबकी को सन् 1860 में आठ फ्रांसिस्कन पुरोहितों के संग शहीद होना पड़ा। दमिश्क के 11  शहीदों के रूप विख्यात ख्रीस्तीय, मुस्लिम ओटोमन उत्पीड़न के दौरान संत पौलुस के मठ में विश्वास के कारण घृणा के शिकार हुए जिसके फलस्वरुप उन्हें लोहू गवाह होना पड़ा।   

धर्माध्यक्ष फडौल ने कहा कि तीन मैरोनाइट लोकधर्मी सभी लोकधर्मियों के लिए आदर्श के रूप में खड़े हैं, जो यह घोषित करता है कि कैसे “विश्वास में साहस और दृढ़ता कलीसिया की कीमत होती है।”

उन्होंने मध्य पूर्व में कई लोगों के सामने मौजूद स्थिति की भी याद की। उन्होंने कहा, “खासकर इन मुश्किल समयों के दौरान, यह घटना हमें अपने लोगों को उनकी भूमि से और भी ज़्यादा जुड़े रहने की याद दिलाती है।” “इतिहास को पीछे मुढ़कर देना हमें इस बात की याद दिलाती है है कि हमारे कई पूर्वजों ने अपने विश्वास के खातिर अपनी कुर्बानी दी।”

धर्माध्यक्ष ने कहा कि ये कई मैरोनाइट शहीद मध्य पूर्व में अपनी मातृभूमि में दृढ़ता से बने रहने का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं, उन्होंने कहा कि यह भूमि “हमारे पूर्वजों के पसीने और खून से सींची गई है।”

रोम के संग एकता

धर्माध्यक्ष फडौल ने इस बात की याद दिलाते हुए कहा कि मैरोनाइट कलीसिया की शुरूआत 430-400 में संत मरोन के मृत्यु उपरांत हुई थी लेकिन इस कलीसिया को अधिकारिक रुप में पहचान पहले ही मिली थी जिसने 451 में काल्सेडेन की धर्मसभा में भाग लिया था।

उन्होंने कहा, “तब से, मैरोनाइट रोम और परमधर्मपीठ के प्रति वफादार रहे हैं।” “मेरा मानना ​​है कि शहीदों का संत घोषित किया जाना मैरोनाइट कलीसिया को वैश्विक कलीसिया के और करीब लाती है।” धर्माध्यक्ष फडौल ने कहा कि पूर्वी रीति की काथलिक कलीसिया स्वरूप मैरोनाईट कलीसिया मसीह के शरीर में एक अनूठी भूमिका निभाती है।

“फ्रांसिस, मूत्ती और राफेल मासाबकी का संत घोषित किया जाता हमारी एकता को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। “हर संत घोषित किए जाने के साथ मैरोनाइट कलीसिया और वैश्विक कलीसिया के बीच का संबंध और भी मजबूत होता है, जिसमें हम पहचान और एकता की गहरी भावना को बढ़ता पाते हैं।”

 

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21 October 2024, 16:01