रवांडा के बच्चों के लिए प्रकाश: नेत्रहीनों के बीच सिस्टर पिया का सेवाकार्य
टॉमस ज़ीलेनकीविक्ज़
रवांडा, किबेही, सोमवार 3 दिसंबर 2024 (वाटिकन न्यूज) : 14 मिलियन की आबादी वाले रवांडा में काथलिक लोग 1981 में किबेहो में छोटी लड़कियों को धन्य कुंवारी मरियम के दर्शन के लिए याद करते हैं। काथलिक कलीसिया ने आधिकारिक तौर पर इन दर्शनों को मान्यता दी है और दुनिया भर से तीर्थयात्री यहाँ आते रहे हैं।
पास में, पोलिश फ्रांसिस्कन सिस्टर्स सर्वेंट्स ऑफ़ द क्रॉस द्वारा नेत्रहीनों के लिए संचालित एक स्कूल और शैक्षिक केंद्र है, जिसे 2008 में स्थापित किया गया था।
2009 में, एक प्राथमिक विद्यालय शुरू किया गया, जो पूरे रवांडा में नेत्रहीनों के लिए पहला विद्यालय था। यहाँ एक मिडिल स्कूल और एक माध्यमिक विद्यालय भी है, जिसमें अलग-अलग शैक्षिक मॉड्यूल हैं।
इस साल, केंद्र में 185 बच्चे आए हैं। कर्मचारियों में पोलैंड की दो धर्मबहनें, केन्या की एक, रवांडा की तीन और कई आम कर्मचारी शामिल हैं।
सिस्टर पिया बताती हैं कि वे कई वर्षों से मिशनरी के रूप में सेवा करने के बारे में सोच रही थीं।
उन्होंने कहा, "मैंने येसु से कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो मैं जाऊंगी। वरिष्ठों की ओर से प्रस्ताव था, इसलिए मैं इस युवा कलीसिया को जानना चाहती थी और मैं पूरी तरह खुलेपन के साथ यहां आई।"
किबेहो की धर्मबहनें बच्चों में फ्रांसिस्कन सिस्टर्स सर्वेंट्स ऑफ द क्रॉस की संस्थापिका धन्य मदर रोजा ज़ाका की याद जगाना चाहती हैं।
सिस्टर पिया कहती हैं, "हम उन्हें दिखाना चाहते हैं कि वे स्वतंत्र हो सकते हैं और वे दूसरों को यह दिखा सकते हैं कि विकलांगता विकास और सफलता में बाधा नहीं बनती। हम अपने कार्यों के माध्यम से उन्हें आशा देना चाहते हैं।"
हालांकि, जिन बच्चों की बहनें देखभाल करती हैं, उनमें से कई को उनके अपने परिवारों ने यूँ ही छोड़ दिया है। यही कारण है कि वे अक्सर 12 या 13 साल की उम्र में देर से केंद्र पहुंचती हैं।
धर्मबहनों के स्कूल के छात्र आलस्य नहीं करते। वे सुबह जल्दी उठते हैं, सुबह 6 बजे अपनी व्यक्तिगत पढ़ाई शुरू करते हैं, सुबह 8 बजे स्कूल जाते हैं और शाम 5 बजे तक वहीं रहते हैं। स्कूल के बाद, वे खेलकूद की गतिविधियाँ करते हैं और फिर अध्ययन करते हैं।
समूह में कुछ तेज छात्र शामिल हैं। उनमें से एक जीन डे डियू नियोनज़िमा है, जिसने जूनियर हाई स्कूल के अंत में राज्य की परीक्षाओं में देश में पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया। उसने स्थानीय मीडिया को बताया कि वह पत्रकारिता और भाषाओं का अध्ययन करना चाहता है।
छात्रों की उपलब्धियों पर धर्मबहनों को बहुत गर्व है। सिस्टर पिया कहती हैं, "बच्चे बेहद रचनात्मक हैं। उदाहरण के लिए, वे शिक्षक दिवस के लिए एक गीत बना सकते हैं। वे कई आवाज़ों और अलग-अलग स्वरों में गाते हैं और हमारे पास एक स्कूल गायन दल भी है। वे हर स्कूल समारोह में प्रदर्शन करते हैं और रविवार के मिस्सा समारोह में गायन का संचालन करते हैं।" दो शिक्षक नृत्य पाठ आयोजित करते हैं जिसमें छोटे और बड़े दृष्टिबाधित बच्चे भाग लेते हैं।
स्कूल में एल्बिनिज्म से पीड़ित बच्चों का एक समूह रहता है। वे यहाँ सुरक्षित महसूस करते हैं, भले ही उनका जीवन दुखद हो। सिस्टर कहती हैं, "एक दिन, एक महिला दो एल्बिनो बच्चों को स्कूल लेकर आई और कहा कि घर पर बचा हुआ तीसरा बच्चा ही रवांडा का है।" "इसलिए उन पर विशेष प्यार बरसाना ज़रूरी है," वे इस बात पर ज़ोर देती हैं।
ईश्वर उन पर नज़र रखते है। सिस्टर पिया कहती हैं, "ईश्वर वाकई हमारा बहुत ख्याल रखते हैं, हमें दानकर्ता भेजते हैं; हमारी ज़्यादातर गतिविधियाँ दान की बदौलत संभव हो पाती हैं, ज़्यादातर पोलैंड और दूसरे देशों के संगठनों से।"
वे बताती हैं, "कभी-कभी हमें बस एक नया विचार सोचना होता है और अचानक ऐसे लोग मिल जाते हैं जो उसे साकार करने में हमारी मदद करते हैं।"
मदर रोजा ज़ाका धर्मबहनों के दैनिक कर्तव्यों में एक अद्वितीय संरक्षिका हैं। "उन्होंने अंधेपन को ईश्वर की इच्छा के रूप में स्वीकार किया, इसलिए हम बच्चों के विश्वास को बढ़ाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं। यह आसान है क्योंकि रवांडा समाज ईश्वर में विश्वास करने वालों का समाज है।"
बच्चों के चेहरों पर कृतज्ञता और खुशी देखी जा सकती है। सिस्टर पिया कहती हैं, "उन्हें मिलने वाले छोटे से छोटे उपहार से भी उनकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। जब जन्मदिन का जश्न मनाया जाता है, तो उनकी खुशी बहुत ज़्यादा होती है और वे आभारी होते हैं कि कोई ऐसे अवसर पर उन्हें याद रखता है।"
किबेहो में अक्सर खुशी, कृतज्ञता और सीखने की इच्छा जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं। बच्चों को फिर से यह विश्वास हो जाता है कि वे जीवन में कुछ हासिल कर सकते हैं। उन्हें गर्व होता है जब वे घर पर दिखा पाते हैं कि वे पढ़ सकते हैं। वे बुनाई कार्यशालाओं के दौरान टोपी और स्कार्फ बनाते हैं," ये सभी धर्मबहनों के लिए एक बेहतरीन प्रेरणा है।
सिस्टर पिया कहती हैं, "हम यहाँ हैं, यह ईश्वर का काम है; हम इसे महसूस करते हैं। केंद्र बड़ा है और हमारी संख्या कम हैं, इसलिए हम नये बुलाहटों की उम्मीद करते हैं।"
रवांडा में पोलिश राजदूत का आगमन धर्मबहनों के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन होगा। दूतावास खोलने की व्यवस्था की जा रही है। फरवरी 2024 में, केंद्र ने पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा और उनकी पत्नी, अगाता कोर्नहॉसर-डूडा की मेजबानी की।
"यहाँ, लोग जो कुछ भी है उसका आनंद लेते हैं," सिस्टर पिया ने जोर देते हुए कहा। हालाँकि केंद्र में उनके कार्य का केवल पहला वर्ष है, लेकिन उन्होंने पहले ही अपने विद्यार्थियों से मुस्कान की विशिष्ट पहचान हासिल कर ली है।
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