पेपल फाउंडेशन ने छात्रवृत्ति के 25 वर्ष पूरे किए, 2,000 छात्रों को लाभ मिला
वाटिकन न्यूज
1988 में अमेरिका में स्थापित पेपल फाउंडेशन ने विश्व स्तर पर अपनी पहुंच बढ़ा ली है, तथा अफ्रीका में स्कूलों के निर्माण, लैटिन अमेरिका में चिकित्सा देखभाल करने तथा छात्रवृत्तियों के वित्तपोषण जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है। 5 दिसंबर को जॉन पॉल द्वितीय छात्रवृत्ति कोष की 25वीं वर्षगांठ मनाई गई, जिसने लगभग 2,000 विद्यार्थियों को रोम में अध्ययन करना संभव बनाया।
एक वैश्विक मिशन
अकेले 2024 में, पेपल फाउंडेशन ने 60 से अधिक देशों में 118 परियोजनाओं का समर्थन किया। ये पहल आवश्यक जरूरतों को पूरा करती हैं, जिसमें स्वच्छ पानी तक पहुंच, स्कूल निर्माण और कक्षा मरम्मत शामिल हैं।
कलीसिया की शिक्षाओं का अनुवाद करने, गिरजाघरों, मठों और सेमिनरी को मरम्मत करने, चिकित्सा सुविधाओं का निर्माण करने और छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए भी धन आवंटित किया गया है। प्रत्येक परियोजना पोप द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओं का पालन करती है।
अपनी स्थापना के बाद से, फाउंडेशन ने दुनिया भर में पोप के प्रेरितिक और परोपकारी प्रयासों में सहायता करने के अपने मिशन के रूप में इन उद्देश्यों के लिए 225 मिलियन डॉलर से अधिक दान किया है।
उनका काम "संत पेत्रुस के प्रबंधकों" के योगदान के माध्यम से संभव हुआ है, जो उदार दानकर्ता हैं जिनके वित्तीय दान फाउंडेशन की परियोजनाओं को आगे बढ़ाते हैं।
एक निर्णायक वर्ष: 1998
1998 पोपल फाउंडेशन के लिए एक मील का पत्थर वर्ष था, जिसमें जॉन पॉल द्वितीय छात्रवृत्ति कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
यह पहल संत पापा जॉन पॉल द्वितीय और तत्कालीन अध्यक्ष कार्डिनल फ्रांसिस ओ'कॉनर के बीच बातचीत से उभरी थी। जॉन और कैरोल सीमैन ने कार्यक्रम की स्थापना के लिए प्रारंभिक निधि प्रदान की।
श्री सीमैन ने वाटिकन न्यूज़ को बताया कि "छात्रवृत्ति कार्यक्रम के लिए पोप जॉन पॉल द्वितीय का अनुरोध बहुत ही व्यक्तिगत था," "वे खुद रोम में अंजेलिकुम में अपनी पढ़ाई के दौरान छात्रवृत्ति प्राप्तकर्ता रहे थे। वे चाहते थे कि अन्य ज़रूरतमंद धर्मसंघी पुरुषों और महिलाओं तथा लोकधर्मियों को भी यही अवसर उपलब्ध कराया जाए।"
पिछले 25 वर्षों में, छात्रवृत्ति निधि ने छात्रों को 16 मिलियन डॉलर प्रदान किए हैं, जिससे 1,959 व्यक्ति रोम में अध्ययन करने में सक्षम हुए हैं।
जीवन में बदलाव
छात्रवृत्ति प्राप्तकर्ता, भारत की सिस्टर अन्ना कपौनामाई ने कहा कि रोम में उनकी पढ़ाई से उन्हें युवाओं को सोशल मीडिया के उचित उपयोग में बेहतर प्रशिक्षण देने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, "आज युवाओं और बच्चों के बीच सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ रहा है।" "मेरा लक्ष्य युवाओं को उनके व्यक्तिगत और सामाजिक मूल्यों को संरक्षित करते हुए साक्षर और जिम्मेदार सोशल मीडिया उपयोगकर्ता बनने में मदद करना है। हम पेपल फाउंडेशन और श्री जॉन और श्रीमती कैरोल सीमैन को उनके समर्थन के लिए अपना आभार और प्रार्थनाएँ व्यक्त करते हैं।"
जिम्मेदारी का आह्वान
पेपल फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अध्यक्ष कार्डिनल सीन ओ'मैली ने संत लूकस रचित सुसमाचार को उद्धृत किया: "जिसे बहुत दिया जाता है, उससे बहुत कुछ मांगा जाएगा।" उन्होंने वैश्विक असमानता को संबोधित करने में संगठन की भूमिका पर भी जोर दिया।
कार्डिनल ओ'मैली ने कहा, "ऐसे समाज में जहाँ अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती जा रही है, संत पेत्रुस के प्रबंधक गरीबों और कमजोर लोगों की जरूरतों को प्राथमिकता देने की अपनी जिम्मेदारी को पहचानते हैं।"
फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक डेविड सैवेज ने कहा, "ये अनुदान, छात्रवृत्तियाँ और उदार पहल काथलिक कलीसिया को हमारे संगठन का उपहार हैं।"
पोप की स्वीकृति
अप्रैल में, पोप फाउंडेशन के सदस्यों ने रोम में पोप फ्राँसिस से मुलाकात की।
अपने संबोधन में, पवित्र पिता ने जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में प्रार्थना और आराधना के महत्व को रेखांकित किया।
उन्होंने विश्वव्यापी शैक्षिक, मानवीय और प्रेरितिक परियोजनाओं का समर्थन करने में फाउंडेशन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
पोप ने कलीसिया और आध्यात्मिक तथा सामाजिक हाशिये पर पड़े लोगों को प्रदान की गई सहायता के लिए भी आभार व्यक्त किया, तथा एकजुटता और शांति को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास करने का आग्रह किया।
पेपल फाउंडेशन दुनिया की कुछ सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने में विश्वास, उदारता और वैश्विक सहयोग की शक्ति का प्रमाण प्रस्तुत करता है।
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