म्यांमार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कैदियों की रिहाई  म्यांमार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कैदियों की रिहाई   (AFP or licensors)

कार्डिनल बो: 'वर्ष 2025 म्यांमार में शांति स्थापना का साल हो'

म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बो ने सभी पक्षों से आग्रह किया कि करीबन चार सालों चले आ रहे गृह युद्ध हिंसा तुरंत समाप्त हो।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, 09 जनवरी 2025 (रेई) कलीसिया में जयंती वर्ष की शुरूआत के साथ, कार्डिनल चार्ल्स माउंग बो, म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष ने आशा व्यक्त की नया साल राष्ट्र में शांति स्थापना का वर्ष हो। उन्होंने अपनी आशा व्यक्त करते हुए कहा कि “2025 का वर्ष म्यांमार के हर दिल में और हर कोने में शांति पुष्पित होने का वर्ष हो।”

चार वर्षों से गृहयुद्ध

म्यांमार में विगत 01 फरवरी 2021 से उथल-पुथल की स्थिति बनी हुई है जब सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और उनकी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के नेतृत्व वाली एक निर्वाचित नागरिक सरकार को उखाड़ फेंका और लोकतंत्र समर्थक विरोधों के हिंसक रूप से दबा दिया। तख्तापलट के तब से सुरक्षा बलों द्वारा करीबन 6,000 से अधिक नागरिकों के मारे जाने की खबर है वहीं 28,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किए गया है, जिनमें सू की भी शामिल हैं, जिन पर 14 आपराधिक मामलें दर्जा हैं जिसके लिए उन्हें 27 साल की सजा सुनाई गई है, जिनमें उकसावे और चुनाव धोखाधड़ी से लेकर भ्रष्टाचार तक शामिल हैं।

हालांकि, तख्तापलट के बाद से, म्यांमार की सेना को चीन और रूस का समर्थन प्राप्त है, जिसे विभिन्न जातीय सशस्त्र गठबंधनों के खिलाफ लड़ाई में लगातार हार का सामना करना पड़ा है, जो अब देश के आधे से अधिक हिस्से को नियंत्रित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में सेना की "व्यवस्थित मानवाधिकार उल्लंघन, की निंदा की है, जिनमें कई युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध हैं”।

हिंसा समाप्त और नागरिक सुरक्षा का आह्वान

म्यांमार के कार्डिनल बो ने उका समाचार एजेंसी को दिये अपने संदेश में कहा कि देश में शांति संभावना का एकमात्र मार्ग संवाद है। उन्होंने पिछले वर्षों में बार-बार सुलह की अपील की है। उन्होंने हिंसा को तत्काल समाप्त करने और नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार देश में गृह युद्ध की स्थिति ने 54 मिलियन आबादी वाले देश में करीबन 3.3 मिलियन से अधिक नागरिकों को विस्थापित कर दिया है जिसमें आधी से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने को मजबूर है।

शांति का मार्ग, मेल-मिला और न्याय

देश में शांति स्थापना के संदर्भ में कार्डिनल बो ने कहा कि युवा “शांति के शिल्पकार हैं”, इसके लिए उन्हें तुरंत अवसर और शिक्षा देने की जरुरत है। ऐसा करने के द्वारा हम उन्हें देश के पुनः निर्माण की शक्ति प्रदान करेंगे जो लोगों और देश दोनों की आत्मा का निर्माण करेगा।

बर्मा के धर्माध्यक्षों ने भी मेल-मिलाप को शांति का एक मार्ग बतलाया। “मेल-मिलाप एक प्रक्रिया मात्र नहीं है, बल्कि यह एक चुनाव है- दर्द से परे प्रेम का चुनाव जिससे विनाश के बदले निर्माण हो सके।” कार्डिनल बो ने कहा कि न्याय और गरिमा स्थापित करने से शांति भी आती है। “सच्ची शांति युद्ध की अनुपस्थिति से परे है; यह सभों के लिए न्याय, सुरक्षा और गरिमा की निशानी है, यह विश्वास की नींव पर आधारित है जो करूणा से पोषित होती और आशा में बने रहती है।"

शांति स्थापना में असफलता

संत पापा फांसिस ने म्यांमार में हिंसा के अंत और शांति की स्थापना हेतु ईमानदारी से वार्ता के लिए प्रार्थना की है उसके साथ ही उन्होंने विभिन्न अवसरों में देश में शांति स्थापना हेतु आहृवान किया है। उनके और स्थानीय कलीसिया के अनेकों शांति आहृवान के बावजूद, बर्मी सैन्य जुंटा ने जातीय क्षेत्रों, मुख्य रूप से ख्रीस्तीय और बामर-बहुल क्षेत्रों में उत्पीड़न में कमी के कोई संकेत नहीं दिखे हैं। काया और चिन प्रातों में काथलिक कलीसिया को हवाई हमलों और तोपखाने की गोलाबारी से नष्ट कर दिया गया है, जिससे हजारों लोगों को भागने पर मजबूर होना पड़ा है।

हाल ही में माफी

इस बीच, 4 जनवरी को, सैन्य सरकार ने दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर माफी के तहत लगभग 6,000 कैदियों को रिहा करने की घोषणा की। हालाँकि, इसमें इस बात का कोई संकेत नहीं है कि इस रिहाई में आंग सान सू की भी शामिल होंगी।

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09 January 2025, 15:48