यूक्रेन: दर्द, नुकसान, विश्वास, आशा और लचीलापन
वाटिकन न्यूज
ल्वीव, मंगलवार 25 मार्च 2025 : जेसुइट शरणार्थी सेवा (जेआरएस) के अंतर्राष्ट्रीय सुलह कार्यक्रम की प्रमुख दानिएला वेला हाल ही में यूक्रेन से लौटी हैं, जहाँ वे ऑस्ट्रियाई जेसुइट फादर क्रिश्चियन मार्टे के साथ थीं और यूक्रेनी लोगों के साथ एकजुटता में खड़े होने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने देश के पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में अपनी यात्रा के बारे में वाटिकन न्यूज़ से बात की और युद्ध में एक राष्ट्र की गहन पीड़ा और लचीलेपन की गवाही दी।
नुकसान और अलगाव से चिह्नित
हालाँकि जिन क्षेत्रों का दौरा किया गया - ल्वीव, चेर्नित्सि और ट्रांसकारपैथिया - वे अग्रिम पंक्ति में नहीं हैं, दानिएला का कहना है कि युद्ध की उपस्थिति अपरिहार्य है।
"ये सबसे सुरक्षित क्षेत्र माने जाते हैं," दानिएला नोट करती हैं, "फिर भी वे बहुत प्रभावित हैं। ट्रांसकारपैथिया में एक ग्रीक काथलिक धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष थेओडोर मत्सपुला ने इसे स्पष्ट रूप से कहा: 'यूक्रेन के शरीर के हिस्से के रूप में, हम अपने परिवारों और पल्लियों के दर्द को महसूस करते हैं जिनके सदस्य मर गए हैं। हमारे गिरजाघऱ में लगभग हर दिन सैनिकों का अंतिम संस्कार होता है।'"
दानिएला बताती हैं कि कैसे हर जगह, उन्होंने स्मारक देखे: शहीद सैनिकों की तस्वीरों की कतारें, पीले और नीले रंग में रंगे कब्रिस्तान, फूलों और व्यक्तिगत स्मृति चिन्हों से सजे-धजे - चाबी के छल्ले, खिलौने, बच्चों और पालतू जानवरों की तस्वीरें। वे कहती हैं, "एक ऐसे युद्ध को याद करना बहुत अजीब लगता है जो अभी भी चल रहा है।"
"हम जिन लोगों से मिले, सभी के दुख और नुकसान एकसमान थे: प्रियजनों का नुकसान - युद्ध में मारे गए या लापता; देश से भागे लोगों का नुकसान और जीवन का नुकसान जैसा कि वे जानते थे और उनके समुदाय का नुकसान जैसा कि वे उन्हें जानते थे"। सैनिकों के लिए चिंता भी मूर्त है, दानिएला कहती हैं, "यह सामान्य जीवन में भी फैल जाती है, आप जानते हैं, हर बातचीत में, खासकर निश्चित रूप से, उनके परिवारों के बीच।" अन्य भारी भावनाएँ "जीवित रहने के लिए कृतज्ञता और इसके साथ ही, उन लोगों के लिए कृतज्ञता, जो अपने देश के लिए, अपनी स्वतंत्रता के लिए मर गए थे," दानिएला कहती हैं, "अनिश्चितता और भविष्य के लिए बड़ी चिंता है।"
व्यापक भय
इस अपार दुःख से परे, एक व्यापक भय भी है। दानिएला ने कहा, "पुरुष बाहर जाने से कतराते हैं, उन्हें डर लगता है कि कहीं उन्हें सेना में भर्ती न कर लिया जाए और उन्हें मोर्चे पर न भेज दिया जाए। देश छोड़ने वाले सात मिलियन यूक्रेनी शरणार्थियों में से कई सैन्य सेवा से बचने के लिए भाग गए हैं। इस डर ने रोज़मर्रा की ज़िंदगी को बदल दिया है, यहाँ तक कि कामगारों को ढूँढ़ना भी मुश्किल हो गया है।"
परिवारों का अलग होना एक और गहरा घाव है। जेआरएस अधिकारी मार्था के साथ अपनी मुलाक़ात को याद करते हैं, जो कारितास की एक कार्यकर्ता हैं और सच्चाई का मार्मिक वर्णन करती हैं: "यह ऐसा है जैसे हर घर में रॉकेट फट गया हो।" पति, पिता और बेटे चले गए हैं - या तो लड़ने के लिए, या कहीं और सुरक्षा पाने के लिए भाग गये हैं - जबकि महिलाएँ बच्चों और बुज़ुर्गों की देखभाल करती हुई अनिश्चितता के बोझ तले दबी हुई हैं।
दानिएला आगे कहती हैं, "एक युवक ने जो कहा वह मेरे दिमाग में हमेशा रहता है। उसने कहा 'हमारा जीवन पहले और बाद में विभाजित है; 24 फरवरी 2022 से पहले और उसके बाद। उस भयानक दिन पर सब कुछ बदल गया। और अब हम यह भी नहीं जानते कि कैसे जीना है'।"
3.7 मिलियन आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति
और फिर निश्चित रूप से, "सुरक्षित" क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय भी यूक्रेन के पूर्वी भाग से लोगों के आगमन से प्रभावित होते हैं, जहाँ युद्ध चल रहा है।
दानिएला ने कहा, "यूक्रेन में 3.7 मिलियन आंतरिक रूप से विस्थापित लोग हैं।" ट्रांसकारपैथिया जैसे कुछ क्षेत्रों में "हर चार लोगों में से एक व्यक्ति विस्थापित है," यह एक चौंका देने वाली संख्या है जो "इस क्षेत्र को दुनिया में प्रति व्यक्ति सबसे अधिक शरणार्थियों की मेजबानी करने वाले देशों के बराबर रखती है, जैसे कि उदाहरण के लिए लेबनान। और, निश्चित रूप से, फिर, इन आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की खुद की जबरदस्त ज़रूरतें हैं।"
कलीसिया की भूमिका
विनाश के बीच, कलीसिया समर्थन के स्तंभ के रूप में खड़ी है, जो भौतिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक सहायता प्रदान करती है। दानियला वेला कहती हैं, "कलीसिया लोगों को समुदाय की एक मजबूत भावना, प्रार्थना करने, शोक करने, पुनर्निर्माण करने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान कर रही है।"
दानियला बताती हैं कि येसु समाजियों ने 'स्पेस ऑफ़ होप' (आशा का स्थान केंद्र) जैसी पहल शुरू की है, जहाँ सैनिकों की माताओं, पत्नियों और बच्चों को मनोवैज्ञानिक सहायता मिलती है। कारितास और जेआरएस आश्रय, सूप किचन, बाल देखभाल सेवाएँ और शैक्षिक कार्यक्रम संचालित करते हैं।
वेला कहती हैं, "ल्वीव में एक जेआरएस आश्रय विस्थापित दादी, माताओं और बच्चों के लिए एक आश्रय स्थल है। उन्हें स्थिरता की कुछ झलक पाने के लिए जितना समय चाहिए उतना समय दिया जाता है।"
दानियला कहती हैं, "यहां सूप किचन, बच्चों की देखभाल, बच्चों के लिए मनोवैज्ञानिक गतिविधियां, शिक्षा... बहुत कुछ चल रहा है।"
दानदाताओं की परेशानी
फिर भी, जब ये प्रयास जारी हैं, तो घटती अंतरराष्ट्रीय सहायता को लेकर चिंता बढ़ रही है।
वेला बताती हैं, "कारितास और जेआरएस के प्रतिनिधि चेतावनी देते हैं कि निरंतर आवश्यकताओं के बावजूद दानदाताओं की परेशानी बढ़ रही है।"
"युद्ध खत्म होने पर मानवीय संकट खत्म नहीं होगा; वास्तव में, यह और भी गंभीर हो सकता है।"
निराशा के बीच आशा
अंधकार के बावजूद, आशा के संकेत बने हुए हैं। वेला ने कहा, "लोग खुद ही आशा का सबसे बड़ा स्रोत हैं।" "उनका विश्वास - ईश्वर में, एक-दूसरे में और भविष्य में - उन्हें आगे बढ़ने में मदद करता है।"
दानियला एक यूक्रेनी जेसुइट फादर मायखाजलो के अटूट समर्पण की प्रशंसा करती हैं, जो आध्यत्मिक साधना और प्रेरितिक देखभाल प्रदान करने के लिए "देश भर में घूमते हैं"।
दानिएला कहती हैं, "फादर मायखाजलो की आशा का सबसे बड़ा स्रोत येसु के साथ उनका रिश्ता है, जिसके बिना, वे कहते हैं, वे कभी भी मोर्चे पर नहीं जा पाते, लेकिन वे जाते हैं और उन्हें लगता है कि आशा उन्हें ताकत देती है।"
आशा लुदमिला जैसे लोगों में भी पाई जाती है, एक माँ जो वेला से जेआरएस आश्रय में मिली थी। "सिर्फ़ 33 साल की उम्र में कैंसर से अपने पति को खोने के बाद उसने युद्ध में अपना घर खो दिया।" उन्होंने बताया कि उनके एक बेटे को कई सर्जरी की ज़रूरत है, फिर भी उनका दृढ़ संकल्प बना हुआ है। उन्होंने मुझसे कहा, "जब कोई आप पर निर्भर होता है, तो आप हार नहीं मानते। जब तक आप जीवित हैं, तब तक यह अंत नहीं है।"
एकजुटता की पुकार
जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ता है, यूक्रेन के लोग शांति की कामना करते हैं - एक ऐसी शांति जो न्यायपूर्ण और स्थायी हो। "उन्हें उम्मीद है कि यूक्रेन पुनर्निर्माण करने में सक्षम होगा, कि उसे अपने इतने सारे संसाधनों को खोना नहीं पड़ेगा, और उन्हें इतनी उम्मीद है कि लोग वापस लौटेंगे, कि शरणार्थी वापस आएंगे।"
दानिएला पुष्टि करती हैं, “वे यह भी जानते हैं कि वे इसे अकेले नहीं कर सकते। वे दुनिया से उनके साथ एकजुटता में खड़े होने की उम्मीद करते हैं। यह बाहरी समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है!"
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