मद्रास-माइलापुर महाधर्मप्रांत की चालीसा जुबली 2025 तीर्थयात्रा में हजारों विश्वासियों की सहभागिता
फादर रिची विंसेंट-सचिव, सामाजिक संचार आयोग
चेन्नई, बुधवार 9 अप्रैल 2025 (वाटिकन न्यूज) : रविवार 6 अप्रैल को मद्रास-माइलापुर के महाधर्मप्रांत के प्रत्येक पल्ली का प्रतिनिधित्व करने वाले पुरोहितों, धर्मबहनों और लोक धर्मियों ने प्रार्थना, स्तुति और चिंतन से चिह्नित इस दिन में भाग लेने के लिए गर्मी की तपिश को झेलते हुए पैदल यात्रा की। आध्यात्मिक रूप से जीवंत यह कार्यक्रम चेन्नई के लोयोला कॉलेज में हुआ, जिसमें महाधर्मप्रांत के सभी कोनों से हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। चेन्नई की सड़कें आस्था की अद्भुत गवाही से जीवंत हो उठीं, जब लाल टोपी और लाल स्कापुलर पहने तीर्थयात्री सड़कों पर येसु के पवित्र नाम और पवित्र चेहरे को लेकर उमड़ पड़े।
कार्यक्रम की शुरुआत लोयोला कॉलेज परिसर में क्राइस्ट द किंग चर्च से कॉलेज के मैदान तक एक बड़े जुबली क्रूस जुलूस के साथ हुई, जो कलीसिया की आस्था और मिशन की यात्रा का प्रतीक है। जुलूस ने पूरे दिन के लिए माहौल तैयार किया और सभी को मसीह के साथ एक गहन मुलाकात के लिए आमंत्रित किया।
तीर्थयात्रा में कई पुरोहितों ने भाग लिया, जिन्होंने प्रेरितिक देखभाल और पापस्वीकार संस्कार के माध्यम से तीर्थयात्रियों की सेवा की। उनकी उपस्थिति ने एक गहन आध्यात्मिक माहौल को सुगम बनाया, जिससे श्रद्धालु जुबली वर्ष की कृपा में पूरी तरह से डूब गए।
शाम के सत्र का नेतृत्व धर्माध्यक्ष एस. सिंगारायार ने किया, जिन्होंने स्तुति और आराधना सत्र में हजारों लोगों का मार्गदर्शन किया। छोटे आध्यात्मिक चिंतन और आत्मा को झकझोर देने वाले भजनों के माध्यम से, धर्माध्यक्ष ने मण्डली को आनंदमय भक्ति के माहौल में ले गए। सैकड़ों धर्मबहनों ने भजनों का नेतृत्व करने में सहायता की, जिससे आराधना में सामंजस्य और गहराई आई।
पवित्र मिस्सा समारोह
शाम 5:30 बजे, महाधर्माध्यक्ष जॉर्ज अंतोनीसामी ने पवित्र मिस्सा समारोह की अध्यक्षता की। अपने प्रवचन में, महाधर्माध्यक्ष ने जयंती तीर्थयात्रा के अर्थ और प्रत्येक तीर्थयात्री द्वारा पहनी जाने वाली लाल टोपी और स्कापुलर पर गहराई से विचार किया। उन्होंने कहा, "जिस तरह हर यात्रा के लिए तैयारी और ज़रूरी चीज़ों की आवश्यकता होती है, उसी तरह आध्यात्मिक यात्रा के लिए एक ज़रूरी चीज़ की आवश्यकता होती है - येसु का नाम।" उन्होंने विश्वासियों को इस बात पर विचार करने के लिए आमंत्रित किया कि कैसे ईश्वर हमारी आध्यात्मिक प्यास बुझाते हैं और हमें भीतर से नया बनाते हैं। उन्होंने उन्हें याद दिलाया, "ईश्वर हमसे दूर नहीं हैं, बल्कि वे हर समय हमारे साथ रहते हैं।"
येसु का क्रूस और पुनरुत्थान
उन्होंने एक मार्मिक वास्तविक जीवन की गवाही के साथ मसीह के दुखभोग पर ध्यान लगाने की परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाया। उन्होंने याद किया कि कैसे इतालवी अभिनेत्री सबरीना इम्पासिएटोर, जिन्होंने मेल गिब्सन की ‘द पैशन ऑफ़ द क्राइस्ट’ में वेरोनिका का किरदार निभाया था, उस दृश्य के फिल्मांकन के दौरान जीवन बदल दिया था जिसमें वेरोनिका येसु का चेहरा पोंछती है। हालाँकि वह काथलिक थी, लेकिन उसने बहुत पहले ही अपना विश्वास त्याग दिया था और आध्यात्मिक रूप से बहुत कमज़ोर थी। लेकिन फिल्म में करुणा के इस कार्य के माध्यम से - वेरोनिका की नकल करते हुए - उसने मसीह के प्रेम को नए सिरे से अनुभव किया। महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "येसु के दुखभोग पर मनन-ध्यान करने से, प्रत्येक व्यक्ति में ठोस बदलाव आ सकता है। हम पापी के रूप में आते हैं, हम मसीह की पीड़ा का अनुभव करते हैं और हम नए सिरे से लौटते हैं। परिवर्तन तभी होता है जब हम खुद को ईश्वर के सामने समर्पित करने के लिए तैयार होते हैं।"
उन्होंने विश्वासियों को याद दिलाया कि ऐसे समय में जब बहुत से लोग व्यथित, उदास और निराश महसूस करते हैं, येसु का क्रूस और पुनरुत्थान एक अलग सत्य की घोषणा करते हैं: "कभी भी देर नहीं होती। अगर हम येसु के पास आते हैं, तो हम अभी भी आशा पा सकते हैं। आइए हम अपनी निगाहें उस पर टिकाएँ और अपने को बदलें।"
आधिकारिक जयंती गीत "येसुवे"
दिन का समापन आधिकारिक जयंती थीम गीत "येसुवे" के विमोचन के साथ हुआ, जो प्रभु को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है, जिसने तीर्थयात्रा की भावना को व्यक्त किया। इस गीत को डॉ. विंसेंट चिन्नादुरई ने लिखा है और द न्यू लीडर के पूर्व संपादक फादर एम. ए.जो, एस.जे., ने संगीतबद्ध किया है । संगीत का निर्देशन एक्स. पॉलराज ने किया और गीत को महान गायक के. जे. येसुदास के बेटे विजय येसुदास ने खूबसूरती से गाया।
इस गान ने भीड़ को गहराई से प्रभावित किया, जिससे तीर्थयात्रा प्रशंसा और प्रतिबद्धता के साथ समाप्त हुई।
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