नागासाकी शांति स्मारक में संत पापा का संबोधन
माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
नागासाकी, रविवार 24 नवम्बर 2019 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने रविवार सुबह को नागासाकी में शांति स्मारक का दौरा किया। जहाँ 9 अगस्त 1945, को एक परमाणु बम विस्फोट हुआ। जिसमें शहर का एक तिहाई हिस्सा नष्ट हो गया और लगभग 150,000 लोग मारे गए या घायल हुए और बाद में रेडियोधर्मी विषाक्तता के प्रभाव से कई लोगों की मृत्यु हो गई।
संत पापा ने स्मारक के तल पर फूल चढ़ाया और कहा, “यह जगह हमें उस दर्द और आतंक के बारे में गहराई से अवगत कराती है, जिसे हम इंसान एक-दूसरे पर चोट पहुंचाने में सक्षम हैं। हाल ही में नागासाकी के महागिरजाधर में पाये गये क्षतिग्रस्त क्रूस और माता मरियम मूर्ति ने बमबारी के पीड़ितों और उनके परिवारों की अकथनीय वेदना को एक बार फिर से याद दिलाया।”
सुरक्षा की झूठी भावना
मानव की सबसे बड़ी इच्छा शांति, सुरक्षा और स्थिरता है। परमाणु और अन्य हथियारों पर कब्जा करने से इस इच्छा को पूरा नहीं किया जा सकता, वास्तव में वे हमेशा इसे विफल करते हैं। हमारी दुनिया एक विकृत द्वंद्वात्मकता द्वारा चिह्नित है जो भय और अविश्वास की मानसिकता से बनी सुरक्षा की झूठी भावना के माध्यम से शांति की रक्षा करने और स्थिरता सुनिश्चित करने की कोशिश करती है, जो लोगों के बीच संबंधों को समाप्त करती है और किसी भी प्रकार के संवाद में बाधा डालती है।
संत पापा ने कहा, “शांति और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता, आज पूरे मानव परिवार में परस्पर-निर्भरता और साझा जिम्मेदारी वाले भविष्य को एकजुटता और सहयोग की वैश्विक नैतिकता के आधार पर ही प्राप्त किया जा सकता है।”
संसाधनों की बर्बादी
संत पापा फ्राँसिस ने पुष्टि की कि "हथियारों की दौड़ में अनमोल संसाधनों की बर्बादी होती है जिसका उपयोग बेहतर तरीके से लोगों के अभिन्न विकास को लाभ पहुंचाने और प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि एक ऐसी दुनिया में जहां लाखों बच्चे और परिवार अमानवीय परिस्थितियों में रहते हैं, वहाँ परमाणु हथियारों का निर्माण, उनका उन्नयन, रखरखाव और विनाशकारी हथियारों की बिक्री के माध्यम से किए गए पैसों की बर्बादी को देखते हुए मानो धरती भी कराह उठती है।
अविश्वास का माहौल
संत पापा ने कहा, अगर हमें परमाणु हथियारों से मुक्त शांति की दुनिया का निर्माण करना है, तो हमें सभी व्यक्तियों, धार्मिक समुदायों और नागरिक समाज, परमाणु हथियार रखने वाले और नहीं रखने वाले सभी देश, सैन्य बलों, निजी क्षेत्रों और अंतर्राष्ट्रीय संगठन को भी शामिल करना होगा।” उन्होंने परमाणु हथियारों से मुक्ति पाने के लिए "संयुक्त और ठोस" प्रतिक्रिया का आह्वान किया, साथ ही "आपसी विश्वास बनाने के लिए कठिन और निरंतर प्रयास करने की आवश्कता पर भी जोर दिया।
संत पापा ने कहा, ""हम बहुपक्षवाद का क्षरण देख रहे हैं, जो सैन्य प्रौद्योगिकी के नए रूपों के विकास के लिए अधिक गंभीर है।" यह दृष्टिकोण "आज के अंतर-संबंध के संदर्भ में अत्यधिक असंगत" है।
कलीसिया की प्रतिबद्धता
संत पापा फ्राँसिस ने लोगों और राष्ट्रों के बीच शांति को बढ़ावा देने के लिए काथलिक कलीसिया की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। यह हर काथलिक का कर्तव्य है कि वह ईश्वर और दुनिया के सामने बाध्य महसूस करे।"
उन्होंने कहा, “प्रार्थना, समझौतों के समर्थन में अथक परिश्रम और संवाद पर जोर देना सबसे शक्तिशाली 'हथियार’ है जिसमें हम अपना भरोसा रखते हैं और न्याय तथा एकजुटता की दुनिया के निर्माण के लिए अपना प्रयास करते हैं जो शांति का प्रामाणिक आश्वासन दे सके।”
सभी के लिए एक चुनौती
संत पापा फ्राँसिस इस बात से आश्वस्त हैं कि परमाणु हथियारों के बिना एक दुनिया संभव है और इसकी आवश्यकता सभी को है। इसके लिए हमें उनके विनाशकारी प्रभाव को विशेष रूप से मानवीय और पर्यावरणीय प्रभाव को इंगित करने की आवश्यकता है और परमाणु सिद्धांतों द्वारा भय, अविश्वास और शत्रुता के बढ़ते माहौल को अस्वीकार करना है।
संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि विश्वास और पारस्परिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए उपकरण बनाने का काम हममें से हर एक को चुनौती देता है। कोई भी लाखों पुरुषों और महिलाओं के दर्द के प्रति उदासीन नहीं हो सकता है जिनके कष्ट आज हमारे विवेक को परेशान करते हैं। कोई भी हमारे ज़रूरतमंद भाइयों और बहनों की दलील का जवाब नहीं दे सकता। संवाद की अक्षम संस्कृति के कारण हुई बर्बादी के प्रति कोई भी आंख मूंद नहीं सकता। ”
शांति के साधन
संत पापा ने सभी को प्रतिदिन, मनपरिवर्तन के लिए, जीवन की संस्कृति की विजय के लिए, सामंजस्य और बंधुत्व के लिए प्रार्थना करने हेतु आमंत्रित किया। भाईचारे का समुदाय, एक सामान्य उद्देश्य की तलाश में विविधता को पहचान और सम्मान दे सकती है।
संत पापा फ्राँसिस ने शांति के लिए प्रार्थना हेतु असीसी के संत फ्राँसिस की प्रार्थना का पाठ किया। हे प्रभु, मुझे अपनी शांति का एक साधन बना:
जहां नफरत है, वहां मैं प्यार फैला सकूँ,
जहां आधात लगी है, वहाँ क्षमा,
जहां संदेह है,वहाँ विश्वास,
जहाँ निराशा है, वहाँ आशा,
जहां अंधेरा है, वहाँ प्रकाश,
जहां दुख है, वहाँ आनंद ला सकूँ।
संत पापा ने कहा, "स्मरण का यह स्थान, हमें हमारी उदासीनता से बचाता है, हम विश्वास के साथ ईश्वर की ओर मुड़ें और शांति लाने के हर प्रयास में प्रभावी साधन बनने हेतु निवेदन करें। अतीत की गलतियों का कभी दुहराव न हो।”
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